15 साल के बच्चों के लिए डाइट प्लान

15 साल के किशोरों की हेक्टिक लाइफस्टाइल के चलते उन्हें दिनभर में ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है। इस ऊर्जा की आपूर्ति के लिए 15 साल के बच्चों को सही मात्रा में संतुलित आहार लेना आवश्यक है। विशेषज्ञों के अनुसार संतुलित आहार किशोरों के शरीर का विकास करता है साथ ही उन्हें जरूरी पोषण देने में भी मदद करता है। अगर आप भी अपने 15 साल के बच्चे का विकास सही से करना चाहते हैं, तो हमारे इस 15 साल के बच्चों के लिए डाइट प्लान की मदद से उनके लिए सही डाइट प्लान तैयार कर सकतें हैं। आइये जानतें हैं 15 साल के बच्चे का भोजन चार्ट कैसा होना चाहिए

स्वस्थ आहार का सेवन करें

अपने आहार में भरपूर मात्रा में ताजे और संपूर्ण खाद्य (whole foods) पदार्थ शामिल करें। ताकि आपके शरीर में सभी पोषक तत्व मौजूद रहें, जो आपको पर्याप्त ऊर्जा दें। अपने खाने में नमक का सेवन सीमित करें।

बॉडी बनाने के लिए अपनी आहार शैली पर ध्यान दें

स्वस्थ शरीर और मांशपेशियों के विकास के लिए संतुलित आहार का सेवन करना बहुत जरूरी होता हैं। इसके लिए आप प्रोटीन युक्त भोजन को करें। घर पर बॉडी बनाने केलिए आप अनाज, फल, सब्ज़ियां, मुर्गी, अंडे, मछली, नट्स, दूध, मख्खन और प्रोटीन शेक पियें।

बिना जिम के घर पर बॉडी कैसे बनाये (Bina Gym Ke Body Kaise Banaye) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।

शिथिलीकरण व्यायाम

शारीरिक स्वास्थ्य और विकास के लिए लचकदार व मजबूत रीड की आवश्यकता होती है बचपन से यदि हम अपनी मांसपेशियों तक तथा रीढ़ की हड्डियों को तुरंत आवश्यकता प्रदान कर सके तो आंतरिक बल से परिपूर्ण स्वास्थ्य शरीर की आधारशिला तैयार होगी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित किया गया है विकास होता है लिखने में सहायता मिलती है जिससे अधिक समय तक आ सकता है

क्या गर्भावस्था में गुड़ खाना सुरक्षित है?

गर्भावस्था में थोड़ी मात्रा में गुड़ खा सकते हैं, अधिक गुड़ खाने से समस्या हो सकती है। गुड़ में कैल्शियम और आयरन होता है जो गर्भवती के लिए जरूरी तत्व हैं लेकिन गुड़ की तासीर गर्म होती हैं। गुड़ के अधिक सेवन से प्रेगनेंसी में लूज मोशन
की समस्या हो सकती है। साथ ही गुड़ का नियमित सेवन गर्भावस्था डायबिटीज़ यानि गेस्टेशनल डायबिटिज़ का खतरा पैदा कर सकता है। गुड़ खाने से शरीर में खारिश और फुंसियाँ निकलने का भी डर रहता है इसलिए थोड़ा बहुत खा सकते हैं, अधिक नहीं।

सहजन (मुनगा) - दुनिया का सबसे ताकतवर पोषण पूरक आहार है

दुनिया का सबसे ताकतवर पोषण पूरक आहार है- सहजन (मुनगा)। इसकी जड़ से लेकर फूल, पत्ती, फल्ली, तना, गोंद हर चीज उपयोगी होती है।

आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है। सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना :- विटामिन सी- संतरे से सात गुना अधिक। विटामिन ए- गाजर से चार गुना अधिक। कैलशियम- दूध से चार गुना अधिक। पोटेशियम- केले से तीन गुना अधिक। प्रोटीन- दही की तुलना में तीन गुना अधिक।

हरी मिर्च खाने के चमत्कार

मिर्च कैप्सिकम वंश के एक पादप का फल है, तथा यह सोलेनेसी (Solanaceae) कुल का एक सदस्य है। वनस्पति विज्ञान मे इस पौधे को एक बेरी की झाड़ी समझा जाता है। स्वाद, तीखापन और गूदे की मात्रा, के अनुसार इनका उपयोग एक सब्जी (शिमला मिर्च) या एक मसाले (लाल मिर्च) के रूप में किया जाता है। मिर्च प्राप्त करने के लिए इसकी खेती की जाती है।

नाड़ी शोधन प्राणायाम के फायदे

आपको बता दें कि नाड़ी शोधन प्राणायाम श्वसन की एक तकनीक (technique) है जिसका अभ्यास करने से स्वास्थ्य को कई फायदे होते हैं। यह प्राणायाम शरीर की अशुद्धियों को दूर करने के साथ ही मन को शांत (calm) रखने में सहायक होता है। आइये जानते हैं कि नाड़ी शोधन प्राणायाम करने के क्या फायदे होते हैं।

बेहतर नींद के लिए नाड़ी शोधन प्राणायाम के फायदे

नाड़ी शोधन प्राणायाम करते समय श्वास पर ध्यान केंद्रित करने से मन शांत रहता है। नासिका द्वार (nostril ) से श्वास लेने और छोड़ने की क्रिया से शरीर अपने आप शांत हो जाता है औऱ शरीर को एक अलग तरह की ऊर्जा मिलती है। इससे व्यक्ति को अच्छी नींद आती है।

यादाश्त बढ़ाने में नाड़ी शोधन प्राणायाम बेनिफिट्स

नाड़ी शोधन का अभ्यास करने से एकाग्रता बढ़ती है और मस्तिष्क तेज होता है। यह एक ऐसा प्राणायाम है जिसका प्रतिदिन अभ्यास करने से सुस्त (dull) मस्तिष्क के दोनों तरफ ऑक्सीजन का बेहतर प्रवाह होता है। यदि आपको प्रेजेंटेशन देने जाना है या किसी मीटिंग, इंटरव्यू, परीक्षा में जाना हो तो उससे पहले नाड़ी शोधन प्राणायाम जरूर करना चाहिए।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।