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ਯੋਗ

लाभदायक है त्रिकोणासन

शरीर का बाह्य रूप से ही नहीं भीतरी रूप से भी ठोस होना मौजूदा जीवनशैली की जरूरत है। ऐसे में सिर्फ खानपान पर आश्रित रहना सही नहीं है। जरूरत इससे कुछ ज्यादा की है। त्रिकोणासन इसमें हमारी मदद कर सकता है। सामान्यतः त्रिकोणासन चैड़े सीने की चाह रखने वालों के लिए लाभकर है। लेकिन त्रिकोणासन के तिगुने लाभ हैं। यह शारीरिक रूप से फिट रहने की चाह रखने वालों को अवश्य करना चाहिए। पेट, कूल्हे और कमर के बेहतरीन शेप के लिए तो त्रिकोणासन से बेहतर और कुछ है ही नहीं। यह आसन सिर्फ कुछ शारीरिक अंगों पर ही कारगर नहीं है वरन हमारी मांसपेशियों के लिए भी त्रिकोणासन सहायक है। कहने का मतलब यह है त्रिकोणासन हमारे संपूर

कटिचक्रासन : डाइबिटीज को रखें कंट्रोल में हमेशा

वर्तमान समय में हर उम्र वाले लोगों में डाइबिटीज के रोगी देखे जा सकते हैं। डाइबिटीज एक ऐसा रोग है जो अगर एक बार इंसान को लग जाए तो उसे जिंदगी भर दवाईयां खानी पड़ती है। अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो योग के कटिचक्रासन के माध्यम से आप इस पर काबू पा सकते हैं।

भूचरी आसन दिमाग तेज रखने और याददाश्त बढ़ाने के ल‌िए

काम में ध्यान न लगे या फिर पढ़ी हुई चीजें न याद रहें, याददाश्त और दिमाग से जुड़ी छोटी-छोटी समस्याओं का पुख्ता उपचार योग में मौजूद है।

ऐसे में योग की भूचरी मुद्रा का नियमित अभ्यास न सिर्फ याददाश्त बढ़ाने में मदद करता है बल्कि यह मानसिक शांति देता है और फोकस बढ़ाता है। साथ ही, इसके नियमित अभ्यास से बहुत अधिक गुस्से पर काबू पाया जा सकता है।

जानिए, इस मुद्रा की सही विधि और आप खुद आजमाकर देखिए।

– इसे करने के लिए सुखासन में यानी पालथी मारकर सीधे बैठें और कमर सीधी रखें।

– अब हथे‌लियों को ऊपर की ओर करके अपनी जांघों या घुटनों पर रखें। आराम महसूस करें।

पवनमुक्‍तासन पेट में गैस की समस्‍या में रामबाण

लगातार बैठ कर काम करने और खाना-पानी लेने में जरूरी सावधानी नहीं बरते जाने के कारण गैस की समस्या आज आम हो गई है। इससे बचाव जरूरी है और कुछ यौगिक क्रियाओं का अभ्यास भी।

आजकल के मशीनी युग की भागदौड़ से गैस की शिकायत एक आम समस्या बन गई है। हालांकि गांवों में भी इस समस्या से पीडित लोगों की संख्या कम नहीं, लेकिन शहर में रहने वाला प्राय: हर व्यक्ति गैस की परेशानी से पीडित है।

बंद एवं मुद्राएं

 एवं मुद्राएं एवं मुद्राओं के अभ्यास के अभ्यास का प्रावधान हठयोग के ग्रंथों में मिलता है बंद योगाभ्यास का छोटा किंतु महत्व पूर्ण वर्ग है बंद का शाब्दिक अर्थ बांधना या नियंत्रित करना है बंद शरीर में प्राण वायु या विशेष की क्रियाओं को नियंत्रित करने का कार्य करते हैं जिससे उनकी कार्य क्षमता को पूर्ण आराम देकर बढ़ाया जा सके समानता बंदूक का प्रयोग श्वास रोकने के लिए सुरक्षा तरल के रूप में किया जाता है

प्राणायाम एवं ध्यान पर बैठने की मुद्राएँ

प्राणायाम एवं ध्यान पर बैठने की मुद्राएँ

योग में पाँच सर्वश्रेष्ठ बैठने की अवस्थाएँ/स्थितियाँ हैं :
सुखासन - सुखपूर्वक (आलथी-पालथी मार कर बैठना)।

सिद्धासन - निपुण, दक्ष, विशेषज्ञ की भाँति बैठना।

वज्रासन - एडियों पर बैठना।

अर्ध पद्मासन - आधे कमल की भाँति बैठना।

पद्मासन - कमल की भाँति बैठना।

ध्यान लगाने और प्राणायाम के लिये सभी उपयुक्त बैठने की अवस्थाओं के होने पर भी यह निश्चित कर लेना जरूरी है कि :
शरीर का ऊपरी भाग सीधा और तना हुआ है।

सिर, गर्दन और पीठ एक सीध में, पंक्ति में हैं।

प्राण, अपान और अपानवायु मुद्रा

मुद्राओं का जीवन में बहुत महत्व है। मुद्रा दो तरह की होती है पहली जिसे आसन के रूप में किया जाता है और दूसरी हस्त मुद्राएँ होती है। मुद्राओं से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ प्राप्त किया जा सकता है। यहाँ प्रस्तुत है प्राण, अपान और अपानवायु मुद्रा की विधि और लाभ।

प्राण मुद्रा : छोटी अँगुली (चींटी या कनिष्ठा) और अनामिका (सूर्य अँगुली) दोनों को अँगूठे से स्पर्श करो। इस स्थिति में बाकी छूट गई अँगुलियों को सीधा रखने से अंग्रेजी का 'वी' बनता है।

शिथिलीकरण व्यायाम

शारीरिक स्वास्थ्य और विकास के लिए लचकदार व मजबूत रीड की आवश्यकता होती है बचपन से यदि हम अपनी मांसपेशियों तक तथा रीढ़ की हड्डियों को तुरंत आवश्यकता प्रदान कर सके तो आंतरिक बल से परिपूर्ण स्वास्थ्य शरीर की आधारशिला तैयार होगी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित किया गया है विकास होता है लिखने में सहायता मिलती है जिससे अधिक समय तक आ सकता है

हरी मिर्च खाने के चमत्कार

मिर्च कैप्सिकम वंश के एक पादप का फल है, तथा यह सोलेनेसी (Solanaceae) कुल का एक सदस्य है। वनस्पति विज्ञान मे इस पौधे को एक बेरी की झाड़ी समझा जाता है। स्वाद, तीखापन और गूदे की मात्रा, के अनुसार इनका उपयोग एक सब्जी (शिमला मिर्च) या एक मसाले (लाल मिर्च) के रूप में किया जाता है। मिर्च प्राप्त करने के लिए इसकी खेती की जाती है।

जानिये हर प्राणायाम को करने की विधि

प्राणस्य आयाम: इत प्राणायाम’। ”श्वासप्रश्वासयो गतिविच्छेद: प्राणायाम”-(यो.सू. 2/49)

अर्थात प्राण की स्वाभाविक गति श्वास-प्रश्वास को रोकना प्राणायाम (Pranayama) है।

सामान्य भाषा में जिस क्रिया से हम श्वास लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं उसे प्राणायाम (pranayam) कहते हैं। प्राणायाम से मन-मस्तिष्क की सफाई की जाती है। हमारी इंद्रियों द्वारा उत्पन्न दोष प्राणायाम से दूर हो जाते हैं। कहने का मतलब यह है कि प्राणायाम करने से हमारे मन और मस्तिष्क में आने वाले बुरे विचार समाप्त हो जाते हैं और मन में शांति का अनुभव होता है और शरीर की असंख्य बीमारियो का खात्मा होता है।