मांसपेशियों के विकास की दिनचर्या बनाना
बिना जिम के शरीर बनाने के लिए आप निम्न रूटीन को फॉलो करें।
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क्रंचेस के फायदे एब्स एवं कोर के विकास में
शरीर के ऊपरी हिस्से के एब्स एवं कोर डेवलपमेंट में क्रंचेस एक्सरसाइज बहुत ही लाभदायक होती है। यह पेट को कम करने और सिक्स पेक एब्स के लिए बहुत ही अच्छी मानी जाती हैं।
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बिना जिम के घर पर बॉडी कैसे बनाये
यदि आप भी एक फिट शरीर चाहते है लेकिन जिम नहीं जा सकते तो हम आपको बताएंगें कि बिना जिम के घर पर बॉडी कैसे बनाये। एक फिट बॉडी स्वस्थ शरीर की पहचान होती है। मसल्स को बनाने और बॉडी टोनिंग के लिए केवल जिम जाने की आवश्यकता नहीं होती हैं, यह सब आप घर पर भी पा सकते हैं।
लड़का हो या लड़की हर किसी का सपना होता है कि उसके पास एक फिट बॉडी हो, निकला हुआ पेट किसी को अच्छा नहीं लगता है। लेकिन अधिक व्यस्त रहने और समय न मिल पाने या किसी अन्य कारण से जिम नहीं जा सकते तो यहाँ दिए गए तरीके आपकी मदद कर सकते हैं।
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तनाव कम करने के लिए व्यायाम में करे योग
तनाव को कम करने के लिए योग आसन बहुत ही लाभदायक होते हैं, यह स्ट्रेंथ ट्रेनिंग का ही रूप है जो शरीर को लचीला बनाते है। योग से होने वाले शारीरिक लाभों के साथ ही यह अच्छे मूड को भी बढ़ावा देता है। योग, ध्यान और मस्तिष्क को तनाव से निपटने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में सक्षम होते हैं। व्यायाम तनाव को दूर करने के लिए एक बहुत ही उपयोगी तरीका है, यह आत्म-करुणा और जागरूकता के अंतर्निहित दर्शन के साथ शारीरिक रूप से दोनों को जोड़ती है। स्ट्रेस को कम करने के लिए आप आप नियमित रूप से योग करें।
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Dead Bug
Crab Squat
सूर्य नमस्कार कब करें
इसे सुबह के समय करना बेहतर होता है। सूर्य नमस्कार में 12 आसान होते हैं। सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है, स्वास्थ्य ठीक रहता है और शरीर रोग मुक्त बना रहता है। सूर्य नमस्कार से दिल, जिगर, आंत, पेट, छाती, स्वरयंत्र, और शरीर के सभी हिस्सों के लिए कई लाभ हैं। सूर्य नमस्कार शरीर के सभी हिस्सों को सिर से लेकर पांव तक बहुत फायदा पहुंचाता है। इसीलिए सभी योग विशेषज्ञ इसके अभ्यास पर विशेष जोर देते हैं।
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सूर्य नमस्कार क्यों करना चाहिए?
भारत के प्राचीन ऋषियों द्वारा यह कहा जाता है कि शरीर के विभिन्न भाग विभिन्न देवताओं (दिव्य संवेदनाओं या दिव्य प्रकाश) द्वारा नियंत्रित होते हैं। मणिपुर चक्र (नाभि के पीछे स्थित है जो मानव शरीर का केंद्र भी है) सूर्य से संबंधित होता है। सूर्य नमस्कार के निरंतर अभ्यास से मणिपुर चक्र विकसित होता है। जिसके कारण व्यक्ति की रचनात्मकता और अंतर्ज्ञान में वृद्धि होती है। यही कारण था कि प्राचीन ऋषियों ने सूर्य नमस्कार के अभ्यास पर इतना जोर दिया। अब तो आप समझ गए होगें कि हमें सूर्य नमस्कार क्यों करना चाहिए?
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सूर्य नमस्कार योग क्या है?
सूर्य नमस्कार संस्कृत के दो शब्दों “सूर्य” और “नमस्कार” से मिलकर बना है, जहां सूर्य का अर्थ सूरज (Sun) और नमस्कार का अर्थ नमस्कार करना या हाथ जोड़ कर प्रार्थना (salutation) है। सूर्योदय के समय उठकर सूर्य नमस्कार योग करना दिन की शुरूआत करने का एक सर्वोत्तम तरीका है। सूर्य नमस्कार कुल 12 आसनों में पूरा होता है और इसका प्रत्येक स्टेप अपने आपमें बहुत लाभकारी है। सूर्य नमस्कार योग भगवान सूर्य की प्रार्थना करने और उन्हें धन्यवाद देने की एक बहुत ही पुरानी तकनीक है। सूर्य नमस्कार की पूरी प्रक्रिया में भगवान सूर्य के अलग-अलग नामों का जाप किया जाता है। सूर्य नमस्कार में कितने आसान होते हैं?
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सूर्य नमस्कार करने का तरीका और फायदे
सूर्य नमस्कार का अर्थ सूरज को अर्पण या नमस्कार करना होता है। सूर्य नमस्कार योग एक ऐसा योग है जो कई योग आसनों से मिलकर बना हुआ है जो हमारे शरीर और मन को स्वस्थ रखने का सबसे अच्छा तरीका होता है। इस लेख में आप जानेंगे सूर्य नमस्कार क्या है, सूर्य नमस्कार १२ योग आसन कौन से हैं, सूर्य नमस्कार करने का सही तरीका और सूर्य नमस्कार के फायदे क्या है (Sun Salutation Steps And Benefits In Hindi) इसके आलावा हम आपको सूर्य नमस्कार के बाद कौन सा आसन करना चाहिए? सूर्य नमस्कार कब और कैसे करें? के बारे में भी बताएगें।
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“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।