बेहतर पाचन के लिए फायदेमंद है पश्चिमोत्तानासन

पश्चिमोत्तानासन करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है और खाना न पचने के कारण अक्सर कब्ज एवं खट्टी डकार आने की समस्या दूर हो जाती है। इसके अलावा प्रतिदिन इस आसन का अभ्यास करने से किडनी, लिवर, महिलाओं का गर्भाशय एवं अंडाशय अधिक सक्रिय(activated) होता है।

पश्चिमोत्तानासन करने के फायदे महिलाओं के लिए

डिलीवरी के बाद पश्चिमोत्तानासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से महिलाओं का शरीर फिर से अपनी प्रारंभिक आकृति में आ जाता है और पेट एवं कूल्हों की चर्बी कम हो जाती है। इसके अलावा यह आसन करने से मासिक धर्म भी सही तरीके से होता है।

नपुंसकता दूर करने में पश्चिमोत्तानासन के फायदे

पश्चिमोत्तासनासन एक ऐसा आसन है जिसका प्रतिदिन अभ्यास करने से नपुंसकता दूर हो जाती है और व्यक्ति के यौन शक्ति में वृद्धि होती है। इसके अलावा पेट और श्रोणि अंग (pelvic organs) भी अच्छे तरीके से टोन हो जाते हैं।

पश्चिमोत्तानासन करने के लाभ हड्डियों को लचीला बनाने में

पश्चिमोत्तानासन रीढ़ की हड्डी में खिंचाव उत्पन्न करता है और उन्हें लचीला बनाने का काम करता है। इसके अलावा इस आसन का अभ्यास करने से व्यक्ति की लंबाई भी बहुत आसानी से बढ़ने लगती है।

पश्चिमोत्तानासन करने के फायदे पेट की चर्बी दूर करने में

सही तरीके से पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करते समय पेट (abdomen) की मांसपेशियों खिंचती हैं जिसके कारण पेट और उसके आसपास की जगहों पर जमी चर्बी दूर हो जाती है।

तनाव दूर करने में पश्चिमोत्तानासन के फायदे

पश्चिमोत्तानासन करने से पूरे शरीर के साथ सिर और गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव उत्पन्न होता है जिसके कारण यह आसन तनाव, चिंता, और मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में बहुत सहायक होता है। इसके अलावा यह क्रोध और चिड़चिड़ापन (irritability) को भी दूर करता है और दिमाग को शांत रखता है।

पश्चिमोत्तानासन करने के फायदे

अन्य योगासन की तरह पश्चिमोत्तानासन करने से शरीर के विभिन्न विकार दूर हो जाते हैं और व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर हो जाता है। यह एक ऐसा आसन है जिसका अभ्यास करने से पूरे शरीर की मांसपेशियों(muscle) में खिंचाव होता है जिसके कारण यह कई बीमारियों के लक्षणों को दूर करने में फायदेमंद होता है। आइये जानते हैं पश्चिमोत्तानासन के फायदों के बारे में।

पश्चिमोत्तानासन करने का तरीका

किसी भी आसन का अभ्यास शुरू करने से पहले उसके सही तरीकों के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेना चाहिए अन्यथा उस आसन का पूरा लाभ हमें नहीं मिल पाता है।

तो आइये जानते हैं कि पश्चिमोत्तानासन करने का सही तरीका क्या है –

पश्चिमोत्तानासन करने का तरीका, फायदे और सावधानियां

निए पश्चिमोत्तानासन योग की विधि, पश्चिमोत्तानासन के फायदे, करने का तरीका और सावधानियों के बारे में। (Benefits of Paschimottanasana in Hindi) पश्चिमोत्तानासन संस्कृत भाषा का शब्द है, जहां पश्चिम का अर्थ पीछे की ओर (west direction) उत्तान का अर्थ खिंचना या तानना (stretched) और आसन का अर्थ (pose) है। इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर के पिछले हिस्से अर्थात् रीढ़ की हड्डी (spine) में खिंचाव उत्पन्न होता है, इस कारण इस आसन को पश्चिमोत्तानासन कहा जाता है। यहां पश्चिम का अर्थ पश्चिम दिशा से नहीं बल्कि पीछे के भाग से है। पश्चिमोत्तानासन देखने में बहुत आसान लगता है लेकिन वास्तव में इस आसन का अभ्यास करन

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।