भद्रासन क्या है

भद्रासन, हठ योग प्रदीपिका के लेखक योगी आत्माराम के ध्यान के चार मुख्य आसनों में से एक है। भद्रासन को लंबे समय तक बैठने के लिए उपयुक्त होने के कारण हठ योग प्रदीपिका में चौथे आसन के रूप में उल्लेख किया गया है। योगी इस आसन में बैठकर थकान से छुटकारा पा सकते हैं। भद्रासन शब्द को संस्कृत भाषा से लिए गया है जो कि दो शब्दों से मिलकर बना है। भद्रासन का पहला शब्द ‘भद्र’ है जिसका अर्थ है ‘शुभ’ और दूसरा ‘आसन’ जिसका अर्थ ‘मुद्रा’ होता है। इस योग को अंग्रेजी में “ग्रेसिऑस पोज” (Gracious pose) कहा जाता है। इस मुद्रा को शास्त्रीय हठ योग प्रदीपिका द्वारा ‘सभी रोगों के नाशक’ के रूप में जाना जाता है। आइये भद्

भद्रासन योग करने का तरीका और फायदे

भद्रासन योग को एक हठ योग माना जाता हैं, जिसका उल्लेख हठ योग प्रदीपिका में किया गया है। भद्रासन शुरुआती लोगों के लिए उपयुक्त एक बेसिक योग मुद्रा है। यह ध्यान के लिए एक अनुकूल आसन है क्योंकि यह आरामदायक है और इसे अधिक अवधि तक किया जा सकता है। भद्रासन योग को अंग्रेजी में ‘ग्रेसिऑस पोज’ भी कहा जाता हैं। भद्रासन योग का अभ्यास मन को शांत करता है और इससे शरीर निरोगी और सुंदर बनता है। यह मूलाधार (मूल) चक्र को भी सक्रिय करता है। यह योग हमारे फेफड़ों और पाचन तंत्र के लिए बहुत ही लाभदायक होता हैं। आइये भद्रासन योग करने की विधि और उसके लाभों को विस्तार से जानते हैं।

दंडासन करने में क्या सावधानी रखें

मेरुदंडासन योग करने में आपको क्या-क्या सावधानी रखना आवश्यक हैं, इसे हम नीचे दिए कुछ बिंदुओं से समझते हैं-

मेरुदंडासन योग के फायदे लचीलेपन में

अपने शरीर के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए मेरुदंडासन योग बहुत ही अच्छा माना जाता हैं। यह योग कूल्हों और हैमस्ट्रिंग को अच्छा खिंचाव देता है। मेरुदंडासन योग पैर, पिंडली और ग्लूट्स को फैलाता है। यह कूल्हों को खोलने में मदद करता है और जांघ की मांसपेशियों को लंबा करता है। इसके अलावा यह योग संतुलन, फोकस और लचीलेपन में सुधार करता है।

मेरुदंडासन करने के फायदे पेट के लिए

मेरुदंडासन योग पेट को टोन करता है, यह विशेष रूप से यकृत पर काम करता है और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है। यह आंतों के पेरिस्टलसिस (peristalsis) को उत्तेजित करने में मदद करता है। यह योग कब्ज, एसिड रिफ्लेक्स, और ब्लोटिंग आदि पाचन सम्बन्धी समस्या जो अत्यधिक असहज और अस्वास्थ्यकर होती हैं, इन सभी प्रकार की समस्या को मेरुदंडासन योग के माध्यम से हटाया जा सकता है।

मेरुदंडासन योग के लाभ मांसपेशियों को मजबूत करे

हमारे शरीर की सभी मांसपेशियों को मजबूत करने में मेरुदंडासन योग बहुत लाभदायक होता है। यह योग कंधे, पीठ, और पैर की मांसपेशियों को मजबूत करता हैं। अधिक समय तक झुक कर कार्य करने से और कुर्सी पर अधिक समय तक बैठ के कार्य करने से पीठ की मांसपेशियों में दर्द लम्बे समय तक बना रहता हैं जिससे वो कमजोर हो जाती हैं, उनको मजबूत करने के लिए मेरुदंडासन अच्छा आसन हैं।

मेरुदंडासन योग के फायदे रीढ़ की हड्डी के लिए

इस योग के नाम से भी पता चलता है कि यह मेरुदंडासन योग आपको मेरुदंड अर्थात आपकी रीढ़ की हड्डी के लिए है। रीढ़ की हड्डी हमारी शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, इसके बिना ना कोई व्यक्ति बैठ सकता हैं ना चल सकता हैं। रीढ़ की हड्डी हमारी पीठ को मजबूत संरचना देने में मदद करती हैं। मेरुदंडासन योग हमारी रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनता हैं। यह लचीलापन आपको लगने वाली चोट को कम करने में मदद करता हैं।

मेरुदंडासन योग करने का तरीका

मेरुदंडासन योग के अनके स्वस्थ लाभ हैं, इसके स्वस्थ लाभ को जानने के बाद प्रत्येक व्यक्ति इस आसन को करना चाहता हैं। नीचे मेरुदंडासन को सही से करने के लिए कुछ स्टेप दी जा रही हैं जिसका पालन करके आप आसानी से इस योग को कर सकते है-

मेरुदंडासन योग करने से पहले करें यह आसन

मेरुदंडासन योग करने पहले आप नीचे दिए आसन को करें, जिससे आपको मेरुदंडासन योग करने में आसानी होगी-

दंडासन
पश्चिमोत्तानासन
जानुशीर्षासन
उत्तानपादासन

मेरुदंडासन क्या हैं

मेरुदंडासन शब्द संस्कृत भाषा से लिए गया है जो दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें पहला “मेरुदंड” है जिसका अर्थ “रीढ़ की हड्डी” होता है और दूसरा शब्द “आसन” है जिसका अर्थ “पोज़ या मुद्रा” होता हैं। मेरूदंडासन को आमतौर पर अंग्रेजी में “बैलेंसिंग बियर पोज़” (balancing bear pose) और “स्पाइनल कॉलम पोज” (Spinal Column Pose) कहा जाता है। मेरूदंडासन एक मध्यवर्ती आसन है जिसमें संतुलन और लचीलेपन की आवश्यकता होती है। इस आसन को करने वाला व्यक्ति एक बच्चे के सामान दिखाई देता है जैसे कि कोई बच्चा अपने पैर की उंगलियों को अपने मुंह में डालते हुए, अपने कंधे और सिर को उठाता है। आइये मेरुदंडासन योग को करने का तरीक

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।