अर्धनवासन करने का तरीका

फर्श पर दोनों पैरों को सीधे फैलाकर बैठ जाएं और अपने हथेलियों को जमीन पर रखें। इसके बाद अपने दोनों पैरों को जमीन से थोड़ा सा ऊपर की ओर उठाएं और अपने हाथों को घुटनोें को नीचे लगाएं लेकिन ध्यान रखें आपके दोनों हाथ जमीन के समानांतर (parallel) हो।

जब आप इस मुद्रा में सहज महसूस करने लगें तब अपने घुटनों आप छाती के बीच में थोड़ी जगह दें और अपने पैरों को अपने सीने से बिल्कुल सीधे थोड़ा और फैलाएं।

अब आप पूरी तरह से अर्धनवासन की मुद्रा में हैं। करीब 30 से 40 सेकेंड तक इसी मुद्रा में बने रहें।

इस आसन का सही तरीके से अभ्यास करें, वजन घटाने में यह आसन बहुत फायदेमंद होता है।

अर्धनवासन मोटापा कम करने के लिए

यह आसन सीधे पेट पर अधिक प्रभावी रूप से कार्य करता है और दबाव डालता है, इसलिए वजन घटाने के लिए यह आसन बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा इस आसन का अभ्यास करने से एब्स की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं।

वशिष्ठासन करने का तरीका

शरीर को प्लैंक (Plank)या काष्ठफलक मुद्रा में लाएं, अर्थात् अपनी हथेलियों को फर्श पर रखें, कंधों को चौड़ा और खुला रखें एवं पैर की उंगलियों को भी फर्श पर रखें।

अपने पैर को बाएं तरफ झुकाएं ताकि आपके दाएं पैर का बाहरी दाहिना हिस्सा फर्श को छू सके और बायां पैर दाएं पैर के ठीक ऊपर रखें।

दाएं हाथ को जमीन पर टिकाते हुए इसके सहारे अपने वजन का संतुलन बनाएं और अपने बाएं हाथ को जमीन से धीरे-धीरे ऊपर की ओर एकदम सीधे उठाए रखें।

मोटापा कम करने के लिए वशिष्ठासन

यह आसन वजन घटाने में आश्चर्यजनक रूप से कार्य करता है। इस आसन में प्लैंक(plank) की कुछ मुद्राएं शरीर की कैलोरी कम करने में मदद करती हैं। यह आसन एब्स(abs) बनाने में भी मदद करता है।

वृक्षासन करने का तरीका

फर्श पर एकदम सीधे खड़े हो जाएं और अपने बाएं पैर को मोड़े और दाएं पैर के जंघे पर सटाकर रखें।

अपनी पीठ और कमर को एकदम सीधे रखें और दाएं पैर से पूरे शरीर के भार को संतुलित (balanced) रखें।

दोनों हाथों को नमस्कार या प्रार्थना (prayer) की मुद्रा में जोड़े और कंधों को भी सीधे रखें।

वृक्षासन मुद्रा मोटापा कम करने के लिए

यह आसन करने से मोटापा बहुत तेजी से कम होता है। हालांकि यह मुद्रासन देखने में जितनी आसान लगती है, इसका अभ्यास करना उतना ही कठिन है।

उत्कटासन करने का तरीका

दोनों पैरों को सटाकर जमीन पर सीधे खड़े हो जाएं और अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर एकदम सीधे रखें और कमर एवं कूल्हों को बैठने की पोजिशन में लाएं और वहीं रूक जाएं।

अपने कूल्हों को धीरे-धीरे सिकोड़ें और उकडू बनने की कोशिश करें और पीठ को अधिक वृतखंड या चाप आकृति में लाने से बचें।

अपनी दोनों जांघों को सटाए रखें और उसी मुद्रा में बने हुए इन्हें फर्श के समानांतर लाने को कोशिश करें।

40 से 50 सेकेंड तक इसी मुद्रा में बने रहें।

वजन घटाने के लिए यह आसन बहुत महत्वपूर्ण है। इस आसन को कई बार दुहराएं और अपना वजन नियंत्रित करें।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।