पीलिया रोग के लिए योग

जब आपको पीलिया होता है तो आपको यकृत में पित्त के अतिरिक्त स्राव होता है इससे छुटकारा पाने के लिए योगा और प्राणायाम के माध्यम से शरीर में ऊर्जा का संचार करना चाहिए, जो पीलिया का प्राथमिक कारण है। यकृत के कार्यों को महत्वपूर्ण बनाने के लिए कुछ योग आसनों का अभ्यास किया जा सकता है।

पीलिया क्या है

पीलिया एक प्रकार का रोग हैं जो कि लीवर में होता है। पीलिया फ्रांसीसी शब्द “Jaune” से आया है जिसका अर्थ है पीला होता है। पीलिया आमतौर पर चेहरे से शुरू होकर, पैरों की ओर (Top To Bottom) बढ़ते हुए दिखाई देता है और नीचे से ऊपर की ओर (Bottom To Top) ठीक होता है। यह रोग व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकता है। योग के द्वारा लिवर को स्ट्रांग बनाकर पीलिया को ठीक किया जा सकता है।

पीलिया रोग के लिए योगासन

यदि आप अपने लिवर को दुरुस्त रखना चाहते हैं, तो योगासन आपके लिए बेहत मददगार साबित हो सकता है अगर आपका शरीर पीला पड़ रहा है तो ये पीलिया का लक्षण हो सकता है। पीलिया को अंग्रेजी में जॉन्डिस भी कहा जाता है। आइये जानें पीलिया रोग को दूर करने के लिए योगासन के नाम, करने की विधि और तरीका हिंदी में। पीलिया यकृत (लीवर) में होने वाली एक गंभीर बीमारी है जिसकी वजह से त्वचा का रंग, श्लेष्मा झिल्ली और आँखों का रंग पीला हो जाता हैं। हम सभी जानते हैं कि लीवर हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है तो इसका अच्छी तरह से काम करना आवश्यक है। पीलिया के इलाज के लिए आपको तीन स्तरों मानसिक, शारीरिक और आहार

हार्ट के लिए योग उत्कटासन

उत्कटासन को चेयर पोज़ के नाम से भी जाना जाता हैं इस आसन को करने वाले की स्थिति एक कुर्सी के सामान दिखाई देती हैं। यह आसन हमारे ह्रदय को मजबूत करने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले किसी योगा मैट को फर्श पर बिछा के उस पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर लेकर जोड़ लें। अब धीरे-धीरे अपने घुटनों को मोड़े और कूल्हों को नीचे लाएं। इस स्थिति में आप एक कुर्सी के समान दिखाई देगें। इस आसन को आप 30 से 60 सेकंड के लिए करें।

दिल को मजबूत बनाने के लिए योग त्रिकोणासन

त्रिकोणासन को करने वाले व्यक्ति की स्थिति एक त्रिकोण के समान दिखाई देती हैं। यह आसन दिल से सम्बंधित सभी प्रकार की समस्या को दूर करने में मदद करता है। यह आसन पैरों को मजबूत करने और पूरे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता हैं।। इस आसन को करने के लिए आप एक स्थान पर योगा मैट को बिछा के दोनों पैरों को दूर-दूर करके सीधे खड़े हो जाएं, अपने दाएं पैर की तरफ झुकें और अपने हाथ को फर्श पर रखें। दूसरे हाथ को ऊपर सीधा करें जिससे दोनों हाथ एक सीधी रेखा में हो जाएं। इस आसन में कुछ सेकंड से एक मिनिट के लिए रहें।

मजबूत दिल के लिए योग पादहस्तासन

पादहस्तासन दो शब्द “पद” और “हस्त” का मेल हैं। इस आसन को करने में आपके हाथ, पैर को छूते हैं। यह आसन आपके दिल के लिए बहुत ही फायदेमंद है। पादहस्तासन ह्रदय में होने होने वाले अनेक प्रकार के रोगों से हमें बचाता हैं। पेट के वजन को कम करने के लिए पादहस्तासन एक अच्छा आसन हैं। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों को पास-पास रखें और दोनों हाथों को ऊपर सीधा कर लें, अब धीरे-धीरे कमर से नीचे झुकते जाएं और अपने दोनों हाथों से पैर के पंजों को पकड़ें। इस मुद्रा में आप 60 से 90 सेकंड के लिए रहें।

योग फॉर हार्ट पेशेंट्स वीरभद्रासन

वीरभद्रासन की मुद्रा को योद्धा पोस के रूप में भी जाना जाता है। यह आसन आपके शरीर के लिए एक अच्छे व्यायाम के रूप में जाना जाता हैं। वीरभद्रासन करने के लिए आप एक साफ स्थान पर योग मेट को बिछा के उस पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों को 3 से 3.5 फिट फैला लें। अपने दोनों हाथों की हथेलियों को अपने सिर के ऊपर जोड़ लें। इसके बाद अपने दाएं पैर के पंजे को 90 डिग्री के कोण पर घुमाएं और बाएं पैर के पंजे को 45 डिग्री घुमाएं। अपने सिर को भी अपने दायं पैर की ओर घुमाएं और फिर अपने दायं पैर को 90 डिग्री मोड़ के अपने सिर को पीछे की ओर झुका दें और ऊपर की ओर देखें। इस स्थिति में आप 30 से 60 सेकंड तक रहें। फिर

हृदय रोग के लिए योग सेतुबंध आसन

सेतुबंध आसन में आपका शरीर एक ब्रिज के समान दिखाई देता हैं। यह आसन आपको ह्रदय से सम्बंधित रोगों से बचाता हैं। इसके अलावा यह पेट की चर्बी को भी कम करने में मदद करता हैं। सेतुबंध आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट को बिछा के पीठ के बल यानि सीधे लेट जाएं। इसके बाद अपने पैरों को घुटनों के यहाँ से मोड़े और दोनों पैरों पर वजन डालते हुए अपने कूल्हों को फर्श से ऊपर उठायें। अपने दोनों हाथों को पीठ के नीचे ले आयें और उंगली को उंगली में फंसा के दोनों को आपस में जोड़ लें। इस स्थिति में रहते हुए 20 बार साँस लें और आसन को छोड़े।

हृदय को सही करने का योग भुजंगासन

भुजंगासन आपके दिल के लिए बहुत ही फायदेमंद आसन हैं। भुजंगासन को कोबार पोज़ के नाम से भी जाना जाता हैं। भुजंगासन एक बहुत ही सरल आसन हैं। इस आसन में आपकी स्थिति एक कोबरा सांप के सामान दिखाई देती हैं। इस आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट को बिछा के पेट के बल यानि उल्टा लेट जाएं। अपने दोनों हाथों को फर्श पर कंधो से थोड़ा आगे रखें। अब अपने दोनों हाथों पर आगे का शरीर ऊपर उठायें और धीरे-धीरे अपने सिर को पीछे के ओर करते जाएं, अपनी ठुड्डी को ऊपर की ओर करने का प्रयास करें। ध्यान रखें अपने हिप्स से नीचे का शरीर फर्श पर ही रखा रखने दें। भुजंगासन को आप कम से कम 20 से 30 सेकंड तक करें। यह आसन रीढ़ के हड्डी औ

हृदय के लिए योग ताड़ासन

ताड़ासन एक संस्कृत भाषा का शब्द है, इसमें “ताडा” का अर्थ “जहाँ” होता हैं। यह मुद्रा आपको एक पहाड़ के सामान स्थिर रहना सिखाती हैं। ताड़ासन करने के लिए आप सबसे पहले किसी योगा मैट को बिछा के उस पर सीधे खड़े हो जाएं। अपने दोनों पैरों के बीच आधा से एक फुट की दूरी बना के रखें। अब अपने दोनों हाथों को ऊपर करें और उंगलियों को आपस में फस लें। इसके बाद अपनों दोनों हथेलियों को घुमा के उल्टा कर लें, जिससे  हाथ की हथेलियां असमान की ओर हो जाएं। अब दोनों हाथों और पैरों को ऊपर की ओर खींचे और एड़ियों को ऊपर उठा के पंजों के बल खड़े हो जाएं। ताड़ासन में आप 20-30 सेकंड के लिए रहें। यह आसन आपके पूरे शरीर को एक अच्छा खि

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।