अग्न्याशय के लिए योग मयूरासन

मयूर मुद्रा या मयूरासन अग्न्याशय या पैंक्रियास की समस्याओं से राहत पाने के लिए एक और बेहतरीन योग आसन है। यह योग पेट, गुर्दे और आंतों को सक्रिय करने में मदद करता है। मयूरासन मन को शांत करता है, चिंता को कम करता है और मधुमेह से लड़ता है। यह आसन पेट के अंदर दबाव को भी बढ़ाता है, जो बदले में यकृत और प्लीहा के विस्तार को कम करता है। यह आसन मल त्याग को आसान बनाता है। मयूरासन करने के लिए आप किसी स्वच्छ स्थान पर योग मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं। अपने हाथों को जमीन पर रखें और हाथ की उंगली को अपने पैरों की ओर रखना हैं। दोनों घुटनों के बीच में अपने दोनों हाथ रखें और कोहिनी को अपने पेट पर अच्छे सेट करे

पैंक्रियास के लिए योग अर्धमत्स्येन्द्रासन

अर्धमत्स्येन्द्रासन योग पैंक्रियास के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन रीढ़ को अधिक लचीला बनाने में मदद करता है, यह मांसपेशियों को भी फैलाता है और रीढ़ की हड्डी के दर्द से राहत देता है। पैंक्रियास के लिए योग अर्धमत्स्येन्द्रासन रक्त परिसंचरण में भी सुधार करता है, अग्न्याशय को उत्तेजित करता है और मधुमेह को ठीक करने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर दण्डासन में बैठ जाएं। अपने दायं पैर को बाएं पैर के घुटने के साइड में बाहर की ओर रखें। रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें अपने गर्दन कंधे और कमर को दाहिनी ओर घुमा लें। कुछ सेकंड के लिए इस मुद्

पादहस्तासन योग करने फायदे

पादहस्तासन योग हमारे शरीर को अनेक प्रकार से प्रभावित करता है और हमें स्वस्थ रखने में हमारी मदद करता है। पादहस्तासन योग करने के अनेक लाभ हैं आइये इसके लाभों विस्तार से जानते हैं-

पादहस्तासन योग करने का तरीका

अपने स्वा्स्थ्य को ठीक रखने के लिए और शरीर को रोगों से दूर रखने के लिए पादहस्तासन योग एक अच्छा योग हैं आइये इस योग को करने के तरीके को विस्तार से जानते हैं-

पादहस्तासन क्या है

पादहस्तासन एक योग आसन है जिसका नाम संस्कृत से लिए गया है। पादहस्तासन शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है जिसमें पहला शब्द “पाद” है जिसका अर्थ “पैर” होता है, इसका दूसरा शब्द “हस्त्” जिसका अर्थ “हाथ” है और तीसरा शब्द “आसन” जिसका अर्थ “मुद्रा या स्थिति” होता है। पादहस्तासन योग का अंग्रेजी नाम गोरिल्ला पोज (Gorilla pose) और हैण्ड अंडर फीट पोज (hand under foot pose) होता है। पादहस्तासन योग आसन हमारे शरीर के लिए अनेक प्रकार से लाभदायक होता है। आइये पादहस्तासन योग को करने की विधि को विस्तार से जानते हैं।

पीलिया रोग को दूर करने के लिए योगासन बद्ध-पद्मासन

बद्ध-पद्मासन योग आपके पेट के अंगों खासकर लिवर को टोन और मजबूत बनाने में मदद करता है। बद्ध पद्मासन करने के लिए सबसे पहले आप फर्श पर पद्मासन या कमल की मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों को पीछे की ओर ले जाएं विपरीत स्थिति में अपने अंगूठों को पकड़े अर्थात अपने दाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़े और बाएं हाथ से दाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें। बद्ध पद्मासन में अपने रीढ़ की हड्डी और सिर को एक सीधी रेखा में रखें। इसे आप कम से कम 30 सेकंड एक लिए करें।

पीलिया का उपचार के लिए योग गोमुखासन

गोमुखासन योग को काउ फेस पोज़ के नाम से भी जाना जाता है। यह सिरोसिस (Cirrhosis) के इलाज के लिए सबसे अच्छे आसनों में से एक है। जब आप यकृत सिरोसिस (Liver Cirrhosis) से पीड़ित होते हैं, तो ऑक्सीजन और रक्त प्रवाह को घाव के निशान वाले ऊतकों द्वारा रोका जाता है। जिससे आपका लीवर विषाक्त पदार्थों और रोगजनक बैक्टीरिया को हटाने और वसा को चयापचय करने में असमर्थ हो जाता है। गोमुखासन योग करने से आपका लिवर उत्तेजित हो जाता है, जिससे ऑक्सीजन और रक्त इसके माध्यम से मुक्त रूप से प्रवाहित होते है। इस आसन को करने के लिए आप आप सबसे एक योगा मैट बिछा के सुखासन में बैठ जाएं।

जॉन्डिस रोग के लिए योग सर्वांगासन

पीलिया रोग में सर्वांगासन योग बहुत ही फायदेमंद होता है। यह यकृत, गुर्दे और श्वसन प्रणाली को मजबूत करने में भी मदद करता है। इसके अलावा आप एक स्वस्थ जिगर और मजबूत प्रतिरक्षा के लिए सर्वांगासन योग करें। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट के सीधे पीठ के बल लेट जाएं। अपने दोनों हाथों को सीधा रखें। अब अपने दोनों पैरों को कमर के यहाँ से मुड़े और उनकों ऊपर करें। इसके बाद अपने दोनों हाथों से पीठ को सहारा देते हुए उठायें। अपने पैरों को अधिकतम ऊंचाई तक ऊपर करें। इस स्थिति में आपकी रीड की हड्डी और आपके पैर एक सीधी रेखा में रहने चाहियें।

जॉन्डिस को दूर करने के लिए योग नौकासन

नौकासन या नवासन जिसे नाव मुद्रा के रूप में जाना जाता है। यह यकृत कैंसर के इलाज में मदद करने के लिए एक सरल अभी तक प्रभावी आसन है। नौकासन योग के से आप अपने लीवर की उत्तेजना और मजबूती में मदद कर सकते हैं, जिससे यह आपके शरीर के सभी हानिकारक विषाक्त पदार्थों को साफ कर देता है। नवासना करने के लिए आप एक योगा मैट को बिछा के दण्डासन में बैठ जाएं। अब दोनों पैरों को सीधा रखें हुए ऊपर की ओर उठायें। आप थोड़ा सा पीछे की ओर झुक जाएं जिससे संतुलन बना रहे, हाथों को अपने आगे की ओर सीधा और फर्श के समान्तर रखें। इस मुद्रा में अपनी कमर पर 45 डिग्री का कोण बनाए। इस आसन को आप 20 से 60 सेकंड तक करने का प्रयास करें।

पीलिया के लिए योग धनुरासन

धनुरासन योग उन लोगों के लिए अद्भुत काम करता है जो फैटी लीवर की बीमारी से पीड़ित हैं। यह लीवर को उत्तेजित, मजबूत और स्ट्रेच करता है, और इसमें जमें वसा को शरीर के लिए ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है। इस आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट बिछा के उस पर पेट के बल लेट जाएं, दोनों हाथों को शरीर के समान्तर रखें और पैरों को पीछे की ओर मोड़ लें। अब अपने हाथों को पीछे ले जाएं और दोनों पैरों को दोनों हाथों से पकड़ लें। इस आसन में 20 से 30 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें। अंत में दोनों हाथों को खोल के अपनी प्रारंभिक स्थिति में आयें।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।