वॉल प्रेस एक्सरसाइज करने का तरीका और फायदे

वॉल प्रेस एक्सरसाइज पुशअप्स की तरह ही सबसे प्रभावी व्यायाम में से एक है जिसे आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं। वॉल प्रेस एक्सरसाइज आपके हाथों, सीना, पीठ और कंधों को टारगेट करता है और पूरे शरीर को मजबूत करता है। वॉल प्रेस व्यायाम महिलाओं के लिए ब्रेस्ट साइज़ को बढ़ाना में मदद करता है और पुरुषों के लिए सीना बनाने में मदद करता है। यदि आप वॉल प्रेस व्यायाम के बारे में जानना चाहते है तो आज हम आपको वॉल प्रेस एक्सरसाइज करने का तरीका और फायदे को विस्तार से बताएंगे।

नीचे के शरीर को मजबूत बनाने के लिए करें लंज एक्सरसाइज

बिना जिम जाएं अपने घर पर ही बॉडी बनाने के लिए लॅन्ज एक्सरसाइज बहुत ही लाभदायक हैं। यह आपके पैरों और ग्लूट्स में भी ताकत बढ़ा देता है। इस एक्सरसाइज को करने के लिए आप एक सीधे खड़े हो जाएं और अपने दाएं पैर को 2-3 फुट आगे रखें। दोनों हाथों को कमर पर रख कर अपने दाएं पैर को घुटने के यहाँ से 90 डिग्री मोड़ें। अब फिर से पैर को सीधा कर लें। यह क्रिया दोनों पैरों से 10-10 बार के 3 सेट करे।

लोअर बॉडी के लिए करे ग्लूट ब्रिज एक्सरसाइज

अपने घर पर ही बिना जिम जाएं शरीर बनाने के लिए ग्लूट ब्रिज एक्सरसाइज बहुत अच्छी मानी जाता हैं। ग्लूट ब्रिज एक्सरसाइज करने के लिए आप एक एक्सरसाइज मैट को बिछा के उस पर सीधे लेट जाएं, अब अपने पैरों को घुटनों के यहाँ से मोड़ें और अपने हिप्स को ऊपर उठायें, अपने दोनों हाथों को पीठ के नीचे आपस में जोड़ लें। इस स्थिति में रहते हुयें 20 बार साँस लें और स्थिति से बाहर आयें।

निचले शरीर को बनाने के लिए करें स्क्वाट एक्सरसाइज

बिना जिम जाएं घर पर बॉडी बनाने के लिए स्क्वाट एक अच्छी एक्सरसाइज हैं। बॉडी को फ्लेक्सीबल करने, मांसपेशियों को मजबूत करने और मसल्स को स्ट्रान्ग करने के लिए स्क्वाट बहुत ही लाभदायक हैं।


 
इसे करने के लिए अपने दोनों हाथ सामने की ओर करके सीधे खड़े हो जाएं। अब धीरे-धीरे अपने घुटनों को मोड़ते हुए इस तरह बैठें जैसे आप किसी कुर्सी पर बैठ रहे हों। अब यहां ये उठक-बैठक करना शुरू करें। ऊपर आते समय सांस छोड़ें। बॉडी बनाने के लिए ऐसा 10 मिनट तक आप कर सकते हैं।

लोअर बॉडी बनाने के लिए करें वॉल सिट एक्सरसाइज

बिना जिम जाएं घर पर बॉडी बनाने और वॉल सिट एक्सरसाइज करने के लिए आपको एक दीवार का सहारा लेना होता हैं। यह एक्सरसाइज क्वर्ड्स (quads), हैमस्ट्रिंग (hamstrings), ग्लूट्स (Glutes), कोर को मजबूत और टोन करता है।

वॉल सिट एक्सरसाइज को करने के लिए आप सबसे पहले एक चिकनी सतह वाली दीवार पर आपने कन्धों को लगाकर सीधे खड़े हो जाएं। अब दीवार से चिपके हुए धीर-धीरे अपने पैर को घुटनों के यहाँ से मोड़ें और अपने कूल्हों को 90 डिग्री तक नीचे की ओर लाएं। इस स्थिति में आप एक कुर्सी पर बैठे हुये व्यक्ति के सामान दिखाई देगें। बॉडी बनाने के लिए 20-30 सेकंड तक रहने का प्रयास करें।

टेंशन दूर करने के लिए सर्किट ट्रेनिंग एक्सरसाइज

अगर आप मेंटन स्ट्रेस को दूर करना चाहते है तो इसमें सर्किट ट्रेनिंग एक्सरसाइज आपकी मदद कर सकती है। सर्किट ट्रेनिंग, कार्डियो और वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज के अल्टरनेटर की तरह उपयोग किया जाता हैं। यह एक हाई इंटेंसिटी वर्कआउट जो हमारे शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन लेवल बढ़ता है जो आपके मूड को ठीक करके तनाव कम करने में मदद करता हैं। स्ट्रेस को कम करने के लिए आप हर दिन कम से कम 30 मिनिट तक सर्किट ट्रेनिंग एक्सरसाइज को करें।

अगर आप शारीरिक दृष्टि से दिनभर सक्रिय रहते हैं, तो अलग से व्यायाम करना जरूरी नहीं।

अगर आप शारीरिक दृष्टि से दिनभर सक्रिय रहते हैं, तो अलग से व्यायाम करना जरूरी नहीं।

यहां हम शरीर कि बाहरी देह के गठीले पन,यां खूबसूरत अभिनेत्रियां और मॉडल्स जैसे सुगठित शरीर, और किसी खेल में भाग लेने वाले खिलाड़ियों की बात बाद में करेंगे।

Swami Vivekananda Cultural

  • 8th International Day of Yoga 2022

8th International Day of Yoga at the Swami Vivekananda Cultural Center, led by Ambassador Viraj Singh , enthusiastically celebrates with active participation from 7 year old to 77 year old.
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“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।