सीना बनाने के लिए करें पुश अप एक्सरसाइज

पुश अप एक्सरसाइज करना बहुत आसान है और यह शरीर के ऊपरी भाग को बनाने मदद करता हैं। पुश अप करने के लिए आप फर्श पर पेट के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों की हथेलियों को फर्श पर अपनी छाती के पास में रखें।अब दोनों हाथों और पैर की उंगलियों पर वजन डालते हुए शरीर को ऊपर करें और फिर से हाथ की कोहनी को मोड़ें और शरीर को नीचे करें। यह क्रिया आप बार-बार दोहराहएं और इसके आप 3 सेट पूरा करें।

डांसिंग एक्सरसाइज के फायदे स्ट्रेस कम करने में

तनाव को कम करने में डांस बहुत ही फायदेमंद होता हैं। डांस करना भी एक प्रकार की एक्सरसाइज है जो आपके मेंटल स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है। डांसिंग एक्सरसाइज मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार से लाभकारी होती है, इसे करने से डिमेंशिया और दिलकी धड़कन बढ़ाने की संभावना कम होती है। इसलिए आप टेंशन को कम करने के लिए अपने मन पसंद के गानों को चला कर उन पर डांस करें।

स्ट्रेस कम करने के लिए वॉक एक्सरसाइज

वॉक एक्सरसाइज करके आसानी से डिप्रेशन या तनाव जैसे लक्षण को कम करके मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं। लेकिन अवसाद और तनाव से बचने के लिए मॉर्निंग वॉक करना एक अच्‍छा उपाय है। सुबह की सैर करने के बाद आपको कम तनाव का अनुभव होगा। क्‍योंकि इस दौरान ताजी ऑक्‍सीजन आपके मस्तिष्‍क स्‍वास्‍थ्‍य को बेहतर बनाने में मदद करती है। इसलिए स्ट्रेस को कम करने के सभी को हर रोज सुबह की वॉकिंग एक्सरसाइज करना चाहिए।

स्ट्रेस कम करने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज

ब्रीदिंग एक्सरसाइज तनाव को कम करने में बहुत ही प्रभावी होती हैं। नॉर्मल ब्रीदिंग एक्सरसाइज स्ट्रेस कम करने के साथ साथ फेफड़ों को भी मजबूत करती है जो क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), अस्थमा या फेफड़ों के कैंसर से प्रभावित हैं, तो ऐसे मरीजों के लिए व्यायाम एक अच्छा विकल्प हैं। इसके लिए आप सामान्य ब्रीदिंग एक्सरसाइज और डायाफ्रामिक श्वास या बेली ब्रीदिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं। इसे करने के लिए आप किसी स्थान पर बैठ कर या पीठ के बल लेट कर गहरी लंबी साँस लें और फिर धीरे धीरे साँस को छोड़ें।

स्ट्रेस कम करने के लिए एक्सरसाइज

अधिक तनाव हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है इसलिए हमें टेंशन लेने से बचना चाहिए। आज के समय में लगभग सभी को किसी न किसी वजह से स्ट्रेस रहता ही है, किसी को ऑफिस का, वजन बढ़ाने का, पढ़ाई का और भी कई कारण होते है जिसकी वजह से लोग तनाव में आ जाते है। आप व्यायाम करके भी अपने तनाव को आसानी से कम कर सकते हैं, आज हम आपको स्ट्रेस कम करने के लिए एक्सरसाइज के बारे में बताएंगें

क्या सी सेक्शन डिलीवरी के बाद व्यायाम कर सकते हैं –

हालांकि सी-सेक्शन सर्जरी होने के बाद व्यायाम करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि आप पूरी तरह से ठीक होने तक पर्याप्त आराम करें। आप सी सेक्शन डिलीवरी के बाद योग करना शुरू कर सकती हैं, लेकिन सी सेक्शन के बाद आप योग कब कर सकती हैं यह आपके ठीक होने पर निर्भर करेगा। सी-सेक्शन एक बड़ा ऑपरेशन है, जिसमें रक्त की हानि, मांसपेशियों में कटौती और उन्हें वापस सिलाई करना होता है। महिलाएं सी सेक्शन डिलीवरी के बाद पेट के टांको और घावों के ठीक होने के बाद योग आसन कर सकती हैं।

नेल रबिंग एक्सरसाइज के पीछे विज्ञान

नाखूनों को घिसना बालायाम योग विज्ञान में एक्यूप्रेशर और रिफ्लेक्सोलॉजी हैं। रिफ्लेक्सोलॉजी (Reflexology) एक वैकल्पिक दवा है जिसमें विशिष्ट बिंदुओं पर दबाव डाला जाता है। यह आमतौर पर पैरों और हाथों के “रिफ्लेक्स एरिया (Reflex areas)” रूप में जानना जाता है, जो शरीर के अंगों में दर्द को ठीक करने या कुछ ग्रंथियों में राहत प्रदान करने के लिए विशिष्ट अंगूठे, उंगली और हाथ की तकनीक के साथ होता है।

गर्दन के लिए व्यायाम

सबसे पहले अपने सिर को दाईं ओर झुकाएं जिससे आपके कान आपके कंधों को छुएं। कंधें न उठाएं। अब अपने बाएं हाथ को ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे फर्श की ओर रखें। इससे गर्दन और कंधों की मांसपेशियों में खिंचाव होगा और ये सुडौल होंगे।

नेल रबिंग एक्सरसाइज के पीछे विज्ञान

नाखूनों को घिसना बालायाम योग विज्ञान में एक्यूप्रेशर और रिफ्लेक्सोलॉजी हैं। रिफ्लेक्सोलॉजी (Reflexology) एक वैकल्पिक दवा है जिसमें विशिष्ट बिंदुओं पर दबाव डाला जाता है। यह आमतौर पर पैरों और हाथों के “रिफ्लेक्स एरिया (Reflex areas)” रूप में जानना जाता है, जो शरीर के अंगों में दर्द को ठीक करने या कुछ ग्रंथियों में राहत प्रदान करने के लिए विशिष्ट अंगूठे, उंगली और हाथ की तकनीक के साथ होता है।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।