हंसासन
हंसासन करने की विधि-
- सर्वप्रथम स्थिति में आएँगे ।
- पैरों को सामने की और सीधा कर बैठेंगे ।
- अब वज्रासन में आ जाइए घुटनों में फासला करते हुए आगे की और झुकेंगे।
- दोनों हथेलियों को ज़मीन पर घुटनो के बीच में रखिए।
- उंगलियाँ पीछे की और रहेंगी ।
- कोहनियों को मोड़ते हुए नाभि के पास सटाइए।
- सिर को ज़मीन से लगा लीजिए। अब पैरों को पीछे की ओर ले जाइए।
- पंजों को ज़मीन पर लगा लीजिए ।
- एड़ी से सिर तक शरीर को एक सीधी रेखा में रखिए ।
- फर्श पर कोण बनाते हुए।
- कुछ देर ५-१० सेकेंड रुकन
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मत्स्यासन
मत्स्यासन करने की विधि-
- सर्वप्रथम पद्मासन की स्थिति में आएँगे ।
- अब धीरे से कोहनियों की सहायता लेते हुए पीछे पीठ के बल लेट जाएँगे ।
- हाथो की हथेलियों को कानो के पास ज़मीन पर रखते हुए ,गर्दन को पीछे मोरकर सिर को ज़मीन पर टिकाएँगे ,अब हाथों को वापिस लाकर दाएँ हाथ से बायें पैर का अंगूठा और बायें हाथ से दाएँ पैर का अंगूठा थाम लीजिए।
कुछ देर इसी स्थिति में रहिए 5-10 सेकेंड ।
अब धीरे से कोहनियों की सहायता से वापिस आयेंगे और पैरो को खोलते हुए ढीला कर देंगे।
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योगमुद्रासन
योगमुद्रासन भली प्रकार सिद्ध होता है तब कुण्डलिनी शक्ति जागृत होती है । पेट के गैस की बीमारी दूर होती है । पेट एवं आँतों की सब शिकायतें दूर होती हैं । कलेजा, फेफडे, आदि यथा स्थान रहते हैं । हृदय मजबूत बनता है । रक्त के विकार दूर होते हैं । कुष्ठ और यौनविकार नष्ट होते हैं । पेट बडा हो तो अन्दर दब जाता है। शरीर मजबूत बनता है । मानसिक शक्ति बढती है । योगमुद्रासन से उदरपटल सशक्त बनता है । पेट के अंगों को अपने स्थान में टिके रहने में सहायता मिलती है । नाडीतन्त्र और खास करके कमर के नाडी-मण्डल को बल मिलता है ।
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भुजंगासन या कोबरा पोज से बढ़ता है स्तन का आकार
इस पोज को करते समय सांप की आकृति बनती है इसलिए इसे भुजंगासन कहा जाता है। भुजंगासन को करते समय सांप की तरह गर्दन को ऊपर उठाना पड़ता है। यह आसन ब्रेस्ट साइज को बढ़ाने में मदद करता है और उन्हें बिल्कुल गोलाकार बनाता है। इसके अलावा यह नितंबों को भी गोल बनाता है और रीढ़ को मजबूत रखने में टोन करने का कार्य करता है। इस योग से आपके ब्रेस्ट के आस पास के मसल्स में खिंचाव आएगा, जिससे ब्रेस्ट का साइज बढ़ेगा। इस आसन का अभ्यास सुबह या शाम के समय खाली पेट करना चाहिए और कम से कम 15 से 30 सेकेंड तक इस पोजीशन में बने रहना चाहिए।
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बड़े एवं गोल स्तन के लिए योग गोमुखासन
स्तन का आकार बढ़ाने के लिए यह एक सर्वश्रेष्ठ योग है। यह वास्तव में आपकी छाती की मांसपेशियों में खिंचाव लाता है और ब्लड के प्रवाह को बेहतर बनाता है। इसके अलावा यह आसन एक साथ शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे टखने, जांघ, कूल्हे, छाती, गर्दन, हाथ और हाथ में खिंचाव उत्पन्न करता है। गोमुखासन करने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है क्योंकि इसमें पैरों, हाथों, पंजों और हथेलियों को स्ट्रेच करना पड़ता है। लेकिन रोजाना अभ्यास से इसे करने में आसानी होती है। इस आसन को सुबह या शाम बिना कुछ खाए करना चाहिए और 30 से 60 सेकेंड तक इस मुद्रा में बने रहना चाहिए।
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छाती को सही शेप देता है ये आसन
योगा करने से आपके शरीर को किसी भी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं होगा और स्वास्थ्य लाभ भी मिलेगा। स्तनों को बड़ा करने के लिए योग आपकी खूबसूरती में चार चांद लगा सकता है, इसलिए जब भी समय मिले तब इन योगासनों को करना शुरू कर दें।
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मधुमेह में फायदेमंद हैं गौमुखासन
हरिद्वार स्थित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने मधुमेह (डायबिटीज) दिवस पर कहा कि ऋषि प्रणीत जीवनचर्या अपनाने से इस जटिल रोग से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि गौमुखासन के नियमित अभ्यास एवं सविता ध्यान से काफी राहत मिल सकती है।
डॉ. चिन्मय के अनुसार, सुबह जल्दी उठकर उगते हुए सूर्य का ध्यान, यज्ञोपैथी एवं नियमित आसनों के अभ्यास डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है। डायबिटीज का मरीज अक्सर तनाव में रहता है। ऐसे में नियमित प्राणायाम एवं सात्विक आहार मन के साथ तन को शांत एवं स्वस्थ रख सकता है।
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कोरोना के बीच मानसिक तनाव से खुद को और अपने परिजनों को दूर रखें
- 7th International Day of Yoga 2021
कोरोना के बीच मानसिक तनाव से खुद को और अपने परिजनों को दूर रखें। तनाव दूर करने के लिए राष्ट्रीय टोल-फ्री नंबर 080-46110007 पर कॉल करें।
Healthy advise
ओशो प्रार्थना ध्यान
अच्छा हो कि यह प्रार्थना ध्यान आप रात में करो। कमरे में अंधकार कर ले। और ध्यान खत्म होने के तुरंत बाद सो जाओ। या सुबह भी इसे किया जा सकता है, परंतु उसके बाद पंद्रह मिनट का विश्राम जरूर करना चाहिए। वह विश्राम अनिवार्य है, अन्यथा तुम्हें लगेगा कि तुम नशे में हो, तंद्रा में हो।
उर्जा में यह निमज्जन ही प्रार्थना ध्यान है। यह प्रार्थना तुम्हें बदल डालती है। और जब तुम बदलते हो तो पूरा अस्तित्व भी बदल जाता है।
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“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।