পক্ষপাত পরিত্রাণ পেতে ডায়েট

বিগ পেট, পেট চেপে, "বিয়ার পেট", পাশে ফ্যাট ডিপোজিট এবং পেট পেট - একটি সমস্যা যা কেবল নারীদেরই নয়, শক্তিশালী লিঙ্গের প্রতিনিধিও। চকচকে ফ্যাশন প্রকাশনা পৃষ্ঠা থেকে একটি সমতল সুদৃশ্য পেট সঙ্গে একটি সুন্দর সুস্থ শরীর বিজ্ঞাপিত। আচ্ছা, প্রত্যেকেরই ভিন্ন ধরনের জীবনযাত্রার কারণে এমন পেট নেই।

কিন্তু সমস্যা সমাধানযোগ্য। দেখা যাক এবং একটি বড় পেট অপসারণ কিভাবে টিপস সঙ্গে আপনাকে সাহায্য। পেট এলাকায় চিত্রে সংশোধন লক্ষ্য অর্জন করার জন্য লাইফস্টাইল খাওয়া এবং লাইফস্টাইল কিভাবে পরিবর্তন করবেন?

त्राटक ध्यान - ओशो

ओशो ने अचेतन का सामना करने के लिए एक बहुत ही सरल प्रयोग करने का सुझाव दिया है। यह प्रयोग एक घंटे का है। पहला चरण चालीस मिनट का और दूसरा चरण बीस मिनट का है।

 

हठयोग क्या है?

हठयोग शारीरिक और मानसिक विकास के लिए विश्व की प्राचीनतम प्रणाली है जिसका शताब्दियों से भारत के योगियों द्वारा अभ्यास किया गया है। मनोकायिक व्यायामों की यह एक अनन्यतम विधि है। हठयोग के आसन मानसिक प्रशांति, शारीरिक संतुलन और दिव्य प्रभाव के साथ प्रतिपादित होते हैं। इससे मेरुदंड लचीला बनता तथा स्नायु संस्थान के स्वास्थ्‍य में वृद्धि होती है। योगासनों से स्नायओं के मूल का आंतरिक प्राणों द्वारा पोषण होता है। अतएव योगासन अन्य व्यायामों से पृथक है।

एक मकरासन दूर करें कई बीमारियाँ

  1. वर्तमान में कमरदर्द की समस्‍या सबसे आम हो गई है।
  2. मकरासन का नियमित अभ्‍यास करने से दूर होता है दर्द।
  3. इसमें शरीर की स्थिति मगरमच्‍छ के जैसी हो जाती है।
  4. इसे करने से शरीर के विषाक्‍त पदार्थ दूर निकलते हैं।

आजकल की व्यस्त जीवनशैली में हम सभी को ज्यादातर काम झुककर करना पडता है। नतीजन पीठ दर्द, कमर दर्द, सर्वाइकल और अन्य सामान्य समस्याएं आम हो गई हैं। सामान्य दर्द को दूर करने के लिए दवा से बेहतर उपाय है योग। मगर एक संस्कृत शब्द‍ है जिसका अर्थ होता है मगरमच्छ। इस आसन में शरीर पानी में

महा बन्ध

जब साधक योग के अन्तरंग साधन में प्रविष्ट होता है, तय उसे अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होने लगते हैं, प्रत्याहार, धारण, ध्यान और समाधि इन चारों को योग के अंतरंग साधन कहते हैं, प्रत्याहार और धारणादि के अभ्यास काल में कुँडलिनी शक्ति जाग्रत करनी पड़ती हैं, कुण्डलिनी शक्ति के उत्थान के समय में और होने के पश्चात् साधक की बुद्धि अत्यन्त तीव्र हो जाती है, शरीर अत्यन्त तेजोमय बनता है, कुण्डलिनी उत्थान के लिये खेचरी मुद्रा, महामुद्रा, महाबन्ध मुद्रा, महावेद मुद्रा, विपरीत करणी मुद्रा, ताडन मुद्रा, परिधान युक्ति, परिचालन मुद्रा और शक्ति चालन मुद्रा आदि उत्कृष्ट अनेक मुद्राओं का अभ्यास करना पड़ता है। आगे

अष्टांगयोग क्या है

अष्टांग योग महर्षि पतंजलि के अनुसार चित्तवृत्ति के निरोध का नाम योग है (योगश्चितवृत्तिनिरोध:)। इसकी स्थिति और सिद्धि के निमित्त कतिपय उपाय आवश्यक होते हैं जिन्हें 'अंग' कहते हैं और जो संख्या में आठ माने जाते हैं।

अष्टांग योग के अंतर्गत प्रथम पांच अंग (यम, नियम, आसन, प्राणायाम तथा प्रत्याहार)

  • यम,
  • नियम,
  • आसन,
  • प्राणायाम तथा
  • प्रत्याहार

'बहिरंग' और

शेष तीन अंग (धारणा, ध्यान, समाधि) 'अंतरंग' नाम से प्रसिद्ध हैं।

इन मामलों में फिजिकल थेरिपी की डॉक्टर देते हैं सलाह

  • दर्द मिटाने में
  • अंगों की मुवमेंट एबिलिटी को बढ़ाने में
  • स्पोर्ट्स इंजरी से जल्द से जल्द रिकवर होने में
  • किसी प्रकार की डिसएबिलिटी और सर्जरी से निजात पाने के लिए
  • स्ट्रोक, एक्सीडेंट, इंजरी और सर्जरी के बाद रिकवर होने के लिए
  • शरीर के बैलेंस को मजबूत करने के लिए
  • क्रानिक बीमारी जैसे डायबिटीज, हार्ट डिजीज और आर्थराइटिस से बचाव के लिए
  • शिशु को जन्म देने के बाद तंदरुस्त होने के लिए
  • शरीर के बॉवेल और ब्लॉडर को कंट्रोल करने के लिए
  • आर्टिफिशियल अंग लगाने के लिए शरीर को उसके हिसाब से ढालने के लिए

हम आश

નેચરોપથીની રાષ્ટ્રીય સંસ્થા (એનઆઈએન)

નેશનલ ઈન્સ્ટિટ્યૂટ Natફ નેચરોપથી (એનઆઈએન) "બાપુ ભવન" નામના historicalતિહાસિક સ્થળ પર સ્થિત છે, જે "નેચર ક્યુરિન ક્લિનિક એન્ડ સેનેટોરિયમ" તરીકે ચલાવવામાં આવતી હતી, જે સ્વ. મહારાષ્ટ્રના પુણે ખાતે દિનશો કે. મહેતા. તેમ છતાં, એનઆઈએન, २२-૧૨-૧ Mahat86 on ના રોજ અસ્તિત્વમાં આવી હતી, જ્યારે સંસ્થાની સાથે મહાત્મા ગાંધીનો વારસો તેને નેચરોપેથીના ક્ષેત્રમાં પ્રખ્યાત બનાવ્યો હતો. એનઆઈએનનાં ઉદ્દેશો અને ઉદ્દેશો નિસર્ગોપચાર અને યોગનો પ્રચાર અને પ્રોત્સાહન, નિસર્ગોપચાર અને યોગ દ્વારા તમામ પ્રકારના રોગોની સારવાર સુવિધાઓ પ્રદાન કરવા, સંશોધન અને તાલીમ લેવા અને મહાત્મા ગાંધીના જીવંત સ્મારકની સ્થાપના કરવાનો છે.

યોગા પ્રેક્ટિસ કરો અને કરો નહીં

  1. Śauca means cleanliness - an important prerequisite for Yoga practice. It includes cleanliness of surroundings, body and mind. 

  2. Asanas should be practiced on an empty stomach. Consume small amount of honey in lukewarm water if you feel weak. 

  3. Bladder and bowels should be empty before starting Yogic practices. 

  4. Practice sessions should start with a prayer or an invocation as it creates a conducive environment to relax the mind. 

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।