भुजंगासन के दौरान रखें ये सावधानियां

  • हर्निया से पीड़ित व्यक्ति इस आसन को ना करें.
  • पेट दर्द होने पर यह आसन ना करें.
  • गर्भवती महिलाएं इस आसन को बिल्कुल ना करें.
  • हाथ, पीठ और गर्दन में दर्द या चोट है तो इसे न करें.
  • आसन करते समय अपने सर को पीछे की ओर ज्यादा ना झुकाएं वरना मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है.

नाभि खिसकने पर नौकासन योग

नौकासन या नावासन योग खिसकी हुई नाभि को सही जगह पर लाने में मदद करता है। यदि आप नियमित रूप से नौकासन योग करते है तो यह नाभि के अलावा भी और कई प्रकार से लाभदायक होता है, इस योग की मदद से पाचन क्रिया में सुधार होता है और पेट का मोटापा कम किया जा सकता हैं। आप नावासन योग करके पेट, कूल्हे और रीढ़ की मांसपेशियों को भी मजबूत कर सकते हैं। आइये इस योग को करने के तरीके को विस्तार से जानते हैं।

उत्तानपादासन योग करने का तरीका

इस योग को करने के लिए सबसे पहले आप योगा मैट बिछाकर उस पर सीधे लेट जाइये।
दोनों पैर को पास पास रखें, पैरों के बीच अधिक दूरी नहीं होनी चाहियें।
दोनों हाथों को सीधा फर्श से चिपका के रखें जिसमें आपकी हथेली नीचे के तरफ जमीन से जुड़ी रहें।
धीरे धीरे साँस लें औरे अपने दोनों पैरों को ऊपर उठायें, आपको अपने पैर 45 डिग्री के कोण तक उठाना हैं।
उत्तानपादासन में कुछ लोग अपने पैरों को 60 डिग्री या 90 डिग्री तक उठा सकते हैं।
पैरों को 45 डिग्री उठाने के बाद इस स्थिति में पैरों को 15 से 20 सेकंड के लिए रोक के रखें।

नाभि खिसकने के लिए योग उत्तानपादासन

उत्तानपादासन योग बहुत ही फायदेमंद योग आसान है, इस योग से आप नाभि खिसकने की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।  जो लोग बार-बार नाभि खिसकने की समस्या से परेशान रहते हैं उनको नियमित रूप से उत्तानपादासन योग का अभ्यास करना चाहिए। यह योग पेट की चर्बी को कम करने और पेट तथा पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है। इसके आलावा उत्तानपादासन योग पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने और एब्स बनाने में प्रभावी है। आइये इस योग को करने का तरीका जानते हैं।

नाभि खिसकने के उपाय में करें मकरासन

मकरासन योग नाभि खिसकने का अच्छा उपाय है, इसलिए आपको इस योग को करना चाहिए। इसके अलावा भी आप इस योग को करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है, कमर दर्द ठीक होता है, पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है, फेफड़े मजबूत होते है, हाई ब्लड प्रेशर कम होता है और ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। आइये इस योग आसान को करने के तरीके को विस्तार से जानते हैं।

मंडूकासन योग करने का तरीका

इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले फर्श पर एक योगा मैट को बिछा के उस पर दोनों पैरों को मोड़ के घुटने टेक के बैठ जाएं।
मंडूकासन योग करने के लिए आप वज्रासन की मुद्रा में भी बैठ सकते हैं।
अपने दोनों हाथों को सामने करें और दोनों अंगूठों को हथेली पर रखें।
अब उंगलिओं से अंगूठे को दबाकर दोनों हाथों की मुट्ठी बंद कर लें।
दोनों हाथों की मुट्ठी की उँगलियों को आपस में मिलाएं और उनको अपने पेट पर नाभि के पास रखें।
अब साँस को बाहर छोड़ते हुए मुट्ठी को अपने पेट पर दबाएं और आगें की ओर झुकें।
जब आप आगे झुकने की स्थिति में हों तो सांस को रोककर रखें और सीधे देखते रहें।

मंडूकासन योग के लाभ नाभि खिसकने में

नाभि खिसकने पर आप मंडूकासन योग को करें, इस योग को करने से आपके पेट पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से नाभि अपने सही स्थान पर आ जाता हैं। इसके अलावा जब आप नियमित रूप से मंडूकासन योग को करते है तो गैस, अपच, एसिडिटी और कब्ज आदि की समस्या भी दूर रहती है। बैली फैट को कम करने में भी यह बहुत ही प्रभावी योग आसान हैं। आइये इस योग को करने के तरीका जानते हैं।

पवनमुक्तासन योग के फायदे नाभि के खिसकने पर

आप पवनमुक्तासन योग करके नाभि खिसकने की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं, यह बहुत ही प्रभावी योग आसान है। इसके अलावा आप पवनमुक्तासन को करके सेहतमंद रह सकते हैं। यह योग पेट की चर्बी, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, किडनी और रीढ़ की हड्डी मज़बूत मजबूत करता है। आइये इस योग को करने की विधि को जानते हैं

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आज के दौर में दुनियाभर के युवाओं में रोष, गुस्सा और जरूरत से ज्यादा आक्रामक व्यवहार देखने को मिल रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दिमाग को शांत रखने वाला योग, उन युवाओं की मदद कर सकता है जो पारिवारिक झगड़ों को बीच रह हैं या झगड़ालु व्यवहार दिखाते हैं या फिर नकारात्मक और खतरनाक रवैया अपनाए हुए हैं।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।