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Downward Facing Dog

Downward Facing Dog

Downward Facing Dog or Adho Mukha Svanasana (AH-doh MOO-kah shvah-NAHS-anna) as it is known in Sanskrit, is probably one of the most popular poses.

લોલાસન

સંસ્કૃત શબ્દ દોલ એટલે ઝૂલવું અથવા લોલકની માફક લટકવું. એટલે આ આસનને સ્વિંગિગ પોઝ-ઝૂલાસન કે પેન્ડ્યુલમ પોઝ કહે છે.

उत्थित-पद्मासन(लोलासन)

लोलासन करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में आइए फिर हथेलियों को जांघों के बराबर में ज़मीन पर रखिए। हाथों पर पूरे शरीर का वजन लेते हुए साधते हुए ज़मीन से अपने को ऊपर उठा लीजिए,कुछ देर इस स्थिति को बनाए रखिए, कुछ दिन अभ्यास के बाद आप इसमे अपने को आगे पीछे झुला भी सकते हैं। 2-4 बार दोराह सकते हैं। साँस- शरीर को ऊपर उठाते समय साँस भरेंगे, नीचे लाते समय साँस निकाल देंगे। एकाग्रता साँसों पर बनाए रखेंगे। लोलसन से  हाथों, कलाइयों और कंधों की मासपेशियों को मजबूत करता है। आँतों की कमज़ोरी, कव्ज में भी लाभदायक है।

যোগনিদ্রাসন

যোগনিদ্রাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত একটি আসন বিশেষ। যোগনিদ্রার উপযোগী আসন হিসাবে এর নামকরণ করা হয়েছে যোগনিদ্রাসন (যোগনিদ্রা +আসন)।

Yoganidrasana

Yoganidrasana, (Sanskrit: योगनिद्रासन) or Yogic Sleep Pose is a reclining forward-bending asana in modern yoga as exercise. It is sometimes called Dvi Pada Sirsasana, but that name describes the balancing form of the pose.

In hatha yoga, the pose, Pasini Mudra, was a mudra, a seal to prevent the escape of prana, not an asana.


योगनिद्रासन, (संस्कृत: योगनिद्रासन) या योगिक निद्रा एक झुकने आगे झुकने है आसन मॉडर्न में व्यायाम के रूप में योग। इसे कभी-कभी कहा जाता है दवि पाडा सिरसासना, लेकिन यह नाम मुद्रा के संतुलन के रूप का वर्णन करता है।

योगनिद्रासन

योगनिद्रासन, (संस्कृत: योगनिद्रासन) या योगिक निद्रा एक झुकने आगे झुकने है आसन मॉडर्न में व्यायाम के रूप में योग। इसे कभी-कभी कहा जाता है दवि पाडा सिरसासना, लेकिन यह नाम मुद्रा के संतुलन के रूप का वर्णन करता है।

में हठ योग, मुद्रा, पसिनी मुद्रा, एक था मुद्रा, से बचने के लिए एक सील प्राण, आसन नहीं।

মুক্তাসন

মুক্তাসন : যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ।

পদ্ধতি

১. প্রথমে দুই পা প্রসারিত করে হাঁটু মুড়ে বসুন এই সময় দুই পায়ের মধ্যে আপনার  নিতম্ব ভূমি স্পর্শ করে থাকবে
২. শ্বাস গ্রহণ করতে করতে, আপনার শরীরের দুই পাশে দুই হাত আনুভূমিকভাবে প্রসারিত করুন।
৩. শ্বাস ত্যাগ করুন এবার শ্বাস গ্রহণ করতে করতে দুই হাতের আঙুলগুলো নাকের দুই পাশে প্রসারিত করুন এক্ষেত্রে উভয় হাতের আঙুলগুলো দ্বারা যোনি মুদ্রা তৈরি হবে এবং উক্ত মুদ্রার ভিতরে আপনার মুখমণ্ডল ধারণ করতে হবে।
৪. ২০ সেকেণ্ড এই অবস্থায় স্থির থাকুন এই সময় যোনিমুদ্রার নিয়মে শ্বাস-প্রশ্বাস চালাতে হবে।

Muktasana

Muktasana is a sitting meditative yoga posture. Its name comes from the Sanskrit, mukti, meaning "liberation," and asana, meaning "posture." As such, it is also known as free pose, meditation pose or liberation pose in English.

मुक्तासन

पयुमुले वांगुल्फम दक्ष गुल्फम तथोपरि ।
संकेशिरोग्रीवम मुक्तासन तू सिद्धिदम ।।
    यानि बाएं पांव की एडी को पायुमूल में लगा कर उस पर दायें पांव की एड़ी को रखें सिर  तथा ग्रीवा को समान रख कर,शरीर को सीधा रखते हुए बैठें।यही मुक्तासन है।
   मुक्तासन का अभ्यासः बहुत सरल है।इस आसन में सभी लोग बैठ सकते हैं।इसका दूसरा नाम सुखासन भी है।इस आसान में बैठने से शरीर का सारा भाग नितम्बों और फर्श  के बीच छोटे से संपर्क भाग में आ जाता है।इस आसान में लंबे समय तक बैठने से आपके नितम्बों में दर्द हो सकता है।सावधानी के लिए नितंबो के नीचे तकिया रखा जा सकता है।

ভটনাসন

ভটনাসন

যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। এর বর্ধিত প্রকরণগুলো হলো― বদ্ধ পরিবৃত্ত-ভটনাসন, বদ্ধ ভটনাসন, সুপ্তভটনাসন।

পদ্ধতি
১. প্রথমে সোজা হয়ে দাঁড়ান।
২. এরপর ডান হাঁটু ভাজ করে, এর হাঁটু মাটিতে রাখুন বাম পাকে সামনের দিকে ভাঁজ করে এর পাতা মাটির উপর রাখুন।
৩. এবার ডান পায়ের উর্ধাংশ উপরের দিকে তুলে বাম পায়ের উরুর উপর রাখুন।
৪. এবার মেরুদণ্ড সোজা করে, দুই হাত বুকের কাছে তুলে নমস্কারের ভঙ্গিতে রেখে ২০ সেকেণ্ড স্থির হয়ে থাকুন এরপর পা বদল করে আসনটি আবার করুন।
৫. এরপর আসন ত্যাগ করে শবাসনে বিশ্রাম করুন

वातायनासन

इस आसन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर चटाई बिछा लें। अब चटाई में सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के घुटनों को आपस में मिला लें। एड़िया, सिर का पिछला भाग और नितंब सीधा हो, अब अपने दाहिनी टांग को घुटने से मोड़ लें और इस टांग के पांव को बांई टांग के जंघा पर रख लें। अब दोनों हाथों से नमस्कार की मुद्रा बना लें। इसके बाद अपनी बाई टांग के घुटने को धीरे धीरे सामने की तरफ मोड़ लें और दाहिने घुटने को धीरे धीरे बाएं पैर की एड़ी के पास जमीन से सटा लें। इस आसन को करते समय श्वास को सामान गति में ही लेते रहें। आप इस मुद्रा में जितनी बार रूक सकें, उतना आपके लिए फायदा होगा। ठीक इसी तरह से दूसरे पैर से इस आसन को