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Sarvangasana

Gives a good stretch to the spine and makes it strong and flexible. Contributes to your health by improving blood circulation. Strengthens heart and lungs.
How to do Sarvangasana?
- Lie down flat on your back. Keep your legs close together and your chin tucked in.
- Breathe deeply. Inhale. Lift your legs upwards till your feet are pointing directly up - that is, till your legs are perpendicular to your torso.
- Tuck your hands underneath yourself with your palms facing up. With your hands under your buttocks, prepare to raise your torso.
- Lift your torso gradually till you are resting on your shoulders.
- Your arms must now be bent at the elbow. Bring your hands to your back to support yourself. Your legs should be over your head.
- Slowly straighten your back.
- Keep your knees firm but relax your calf muscles now. Maintain the posture.
- To relax, lower your legs till your feet are at an angle of 45 degreesover your head. Lower your arms to the floor. Unwind gradually.
सर्वांगासन करने की विधि-
- सर्वप्रथम सीधे पीठ के बल लेट जायें ।
- दोनो हाथों को शरीर के बराबर,हथेलियाँ ज़मीन पर ,
- अब दोनो पैरो को 30 डिग्री पर उठाइए, हाथों को कमर पर रख कर सहारा दीजिए और दोनो पैरो को 90 डिग्री के कोण बनाते हुए सीधा कर लीजिए ।
- कोहनियाँ फर्श पर लगी रहेंगी ।
- ठुड्डी को सीने से सटा लीजिए।
- कुछ देर इसी स्थिति में (5-10 सेकेंड ) रुकिये।
- बहुत धीरे से वापिस आइए ।
अब आराम के लिए सीधे शवासन मे आ जाइए।
सर्वांगासन करने की सावधानियाँ-
- कमर दर्द, गर्दन दर्द ,हृदय रोगी, हाई बीपी व स्लिप डिस्क के रोगी न करें।
सर्वांगासन करने की लाभ-
- जैसा की इस आसन का नाम है सर्वांगसन -यह पूरे शरीर अर्थात सभी अंगों को स्वस्थ रखता हैं ।
- पाचन तंत्र को मजबूत करता है। पैरो की मासपेशयों में रक्त संचार तेज करता है ।
- मस्तिष्क व बालों में भी रक्त संचार तेज करता है ।
- महिलाओं की मासिक गड़बड़ी को ठीक करता है।
Aasan
- Shoulder Stand
Sarvangasana - The Shoulder Stand
Gives a good stretch to the spine and makes it strong and flexible. Contributes to your health by improving blood circulation. Strengthens heart and lungs.
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सर्वांगासन क्या है
सर्वांगासन का अर्थ होता है सर्व अंग और आसन जो पूरा मिलकर बनता है सर्वांगासन| यह संस्कृत का शब्द है जिसमें सर्व = पूरा अंग अथार्त सरीर क्र अंग और आसन = बैठने की मुद्रा होता है | इस आसन को करने से सभी अंगों को व्यायाम मिलता है इसीलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं। तथा पूरे सरीर को मजबूत करता है | अंग्रेजी भाषा में इस आसन को Shoulder Stand Pose के नाम से जाना जाता है। इसको करने से हमारी कई बीमारियाँ ठीक हो जाती है जैसे मोटापा, सुगर, घुटनों. की बीमारी इत्यादि |
सर्वांगासन की विधि :-
पहली स्थिति – सबसे पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएँ। पैर मिले हुए, हाथों को दोनों ओर बगल में सटाकर हथेलियाँ जमीन की ओर करके रखें |
दूसरी स्थिति – अब अपने दोनों पैरों को सांस लेते हुए आराम-आराम से बिना मोड़े उपर की तरफ उठाएं। और साथ ही कमर को भी उपर की तरफ उठाएं।
तीसरी स्थिति :- अब अपने दोनों पैरों को 90 डिग्री तक उठायें ये फिर ऊपर लें जाएँ|
चौथी स्थिति :- 90 डिग्री तक पैरों को न उठा पाएँ तो 120 डिग्री पर पैर ले जाकर व हाथों को उठाकर कमर के पीछे लगाएँ।
पांचवी स्थिति :- यह योग करते समय मुख उपर आकाश की तरफ होना चाहिए। और कुहनियां जमीन से टिकी हुई हों।
छटवी स्थिति :- 30-40 सेकंड या उससे अधिक के लिए मुद्रा को बनाए रखने के लिए प्रयास करें।
सातवी स्थिति:- वापस पहले जैसे अवस्था मैं आते समय पैरों को सीधा रखते हुए पीछे की ओर थोड़ा झुकाएँ। दोनों हाथों को कमर से हटाकर भूमि पर सीधा कर दें। अब हथेलियों से भूमि को दबाते हुए जिस क्रम से उठे थे उसी क्रम से धीरे-धीरे पहले पीठ और फिर पैरों को भूमि पर सीधा करें। इस तरह से आप 5-7 चक्र करें।
सर्वांगासन करने का समय :-
इसका अभ्यास हर रोज़ करेंगे तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। सुबह के समय और शाम के समय खाली पेट इस आसन का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं।सर्वांगासन कम से कम 5 मं तक करना चाहिए| और सुबह-सुबह खाली पेट करें|एक से पांच मिनट तक का एक सेट और कुल ऐसे दो से तीन सेट करें
सर्वांगासन के लाभ ( sarvangasana benefits ):-
1. थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति के लिए :– थायरोइड समस्या से पीड़ित व्यक्ति को लाभ मिलता है और साथ ही आसन थाइरोइड ग्रंथि को गतिशील बनाता है। हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism) ऐसी मेडिकल कंडीशन है जिसमें थायराइड ग्रंथि में थायराइड हार्मोन कम मात्रा में बनने लगता है। भारत में करोडों लोग हाइपोथायराइडिज्म से ग्रस्त हैं।
2. पाचन क्रिया में फायदेमंद :- यह आसन पाचन क्रिया को ठीक रखने मैं मदद करता है ।अगर हमारी पाचन क्रिया ठीक है तो पेट संबंधी सभी रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है क्यूंकि हमारी ज्यादातर बीमारियाँ पेट से ही उत्पन्न होती हैं |और हम बीमारियों से बच सकते हैं|
3. शरीर मजबूत बनता है:- इस आसन के अभ्यास से शरीर मजबूत बनता है| हमारे शरीर को विटामिन, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट ही नहीं, थोड़ी मात्रा में ही सही, खनिज तत्वों की भी जरूरत पड़ती है। आयरन यानी लोहा ऐसा ही खनिज है, जिसके बिना शरीर का काम नहीं चलता। और ये सभी चींजें इस आसन में उपलब्ध होती हैं।
4. कब्ज व् एसिडिटी में फायदेमंद :- इस आसन के नियमित अभ्यास से कब्ज व् एसिडिटी से मुक्ति पायी जा सकती है। कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है।
5. उच्च रक्तचाप में फायदेमंद :- उच्च रक्तचाप को के रोगियों के लिए सर्वांगासन बहुत ही उपयोगी हैं।हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है।-
6. बौद्धिक क्षमता बढती है:- जिन बच्चों की बुध्धि में विकास नही होता ही उन्हें यह आसन नियमित रूप से करना चाहिए। क्यूंकि ये बौद्धिक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। इंसान की बौद्धिक क्षमता के स्तर पर जीनों का प्रभाव पड़ता है।
7. स्वास्थ्य फिट रहता है:- इस आसन के अभ्यास से पूरा शरीर फिट और active रहता है और व्यक्ति काम से थकता भी नही है। स्वास्थ्य का अर्थ विभिन्न लोगों के लिए अलग-अलग होता है। लेकिन अगर हम एक सार्वभौमिक दृष्टिकोण की बात करें तो अपने आपको स्वस्थ कहने का यह अर्थ होता है कि हम अपने जीवन में आनेवाली सभी सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का प्रबंधन करने में सफलतापूर्वक सक्षम हों।
8. मनोविकार दूर होतें हैं:- इस आसन के अभ्यास से सभी प्रकार के मनोविकार दूर होते हैं। इसलिए इस आसन का अभ्यस प्रतिदिन करना चाहिए। मनोविकार (Mental disorder) किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की वह स्थिति है जिसे किसी स्वस्थ व्यक्ति से तुलना करने पर ‘सामान्य’ नहीं कहा जाता। स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में मनोरोगों से ग्रस्त व्यक्तियों का व्यवहार असामान्य अथवा दुरनुकूली (मैल एडेप्टिव) निर्धारित किया जाता है और जिसमें महत्वपूर्ण व्यथा अथवा असमर्थता अन्तर्ग्रस्त होती है। इन्हें मनोरोग, मानसिक रोग, मानसिक बीमारी अथवा मानसिक विकार भी कहते हैं।
9. चेहरे की झुर्रियां में फायदेमंद:- इस आसन के अभ्यास से चेहरे की झुर्रियां खत्म होकर चेहरा तरो ताजा दिखने लगता है झुर्रियां आना मतलब बुढ़ापे की दस्तक। हालांकि झुर्रियां आना बायोलॉजिकल प्रोसेस है लेकिन आजकल त्वचा की सही देखभाल न होने पर समय से पहले ही झुर्रियां नज़र आने लगती हैं। या फिर प्रदूषण, तनाव, गलत खानपान और जीवनशैली की समस्याओं का भी नतीजा हो सकती हैं।