The Side Stretch
The Side Stretch helps to relax the brain and it also strengthens the shoulders, spine, wrists, hamstrings, and hips.
- Stand erect. Inhale deeply.
- Draw your shoulder backward along with your elbows. Join your palms.
- Exhale. Turn your joined palms upward, as if in prayer.
- Inhale. Jump and land with your feet apart. Exhale.
- Inhale. Twist your trunk to the right at your waist.
- Turn your right foot to the right.
- Exhale. Bend your trunk forward and downward. Let your head meet your knee. Keep your knee straight and leg tight.
- Breathe evenly. Maintain the posture for 20 seconds.
Parsvottanasana
Parsvottanasana or The Side Stretch helps to relax the brain and it also strengthens the shoulders, spine, wrists, hamstrings, and hips.
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पर्श्वोत्तनासन
पर्श्वोत्तनासन का नाम दो शब्दों के मेल से बना है: पार्श्व, और उत्तान। पार्श्व यानी छाती के दाएँ-बाएँ का भाग या बगल, और उत्तान मतलब खिचा हुआ। इस लेख को करने से आप तनाव से दूर रहते हैं और स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं भी नहीं होती।
पर्श्वोत्तनासन के फायदे
हर आसन की तरह पर्श्वोत्तनासन के भी कई लाभ होते हैं। उनमें से कुछ हैं यह:
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स्तनपान करवाना नहीं होगा मुश्किल (योगासनों का अभ्यास)
स्तनपान करवाना एक लाभदायक जिम्मेदारी है। मगर जब दूध बेबी के लिए पूरा नहीं हो पाता, तो यह आपको शारीरिक और मानसिक तनाव दे सकता है।
कई महिलाओं का ब्रेस्ट मिल्क बेबी की जरूरत के हिसाब से बढ़ता रहता है। पर कुछ माताएं इससे परेशान हो जाती हैं। लेकिन परेशान न हों, क्योंकि योग ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में भी आपकी मदद कर सकता है।
गर्भाशय की समस्या को दूर करे पश्चिमोत्तानासन
पश्चिम अर्थात पीछे का भाग- पीठ। पीठ में खिंचाव उत्पन्न होता है, इसीलिए इसे पश्चिमोत्तनासन कहते हैं। इस आसन से शरीर की सभी माँसपेशियों पर खिंचाव पड़ता है। पशिच्मोत्तासन आसन को आवश्यक आसनों में से एक माना गया है। शीर्षासन के बाद इसी आसन का महत्वपूर्ण स्थान है। इस आसन से मेरूदंड लचीला बनता है, जिससे कुण्डलिनी जागरण में लाभ होता है। यह आसन आध्यात्मिक दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण है। पशिच्मोत्तासन के द्वारा मेरूदंड लचीला व मजबूत बनता है जिससे बुढ़ापे में भी व्यक्ति तनकर चलता है और उसकी रीढ़ की हड्डी झुकती नहीं है। यह मेरूदंड के सभी विकार जैसे- पीठदर्द, पेट के रोग, यकृत रोग, तिल्ली, आंतों के रोग तथा ग
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