नई माँ के लिए योग वीरभद्रासन 2

प्रसव के बाद महिलाओं का वजन बढ़ जाता है, वीरभद्रासन 2 योग वजन को कम करने के लिए एक बहुत ही प्रभावी योग आसन है। यह पेट और जांघों के लिए बहुत प्रभावी है। यह कूल्हों को खोलता है और पेट की मांसपेशियों को काम करता है। वीरभद्रासन 2 योग विशेष रूप से आंतरिक जांघों और कमर पर काम करता है।

प्रसव के बाद योग अधोमुख श्वानासन

अधोमुख श्वान आसन प्रसव के बाद अतिरिक्त वजन कम करने लिए एक बेहतरीन मुद्रा है। यह आसन आपको तरोताजा और स्फूर्तिवान महसूस कराता है। अधोमुख श्वान आसन मस्तिष्क पर शांत प्रभाव भी डालता है और तनाव से राहत देने में मदद करता है। यह उत्कृष्ट योग पूरे शरीर को स्ट्रेच करता है।

नॉर्मल डिलीवरी के बाद करें विपरीत करनी योग

विपरीत करनी पोज़ बेहद आरामदायक है इसलिए इसे प्रसव के बाद करना अच्छा माना जाता है। यह थकान और तनाव को कम करता है। यह रक्तचाप को भी कम करता है और इससे अनिद्रा की समस्या खत्म हो जाती है।

विपरीत करनी योग को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर दीवार की ओर पैर करके सीधे लेट जाएं। अपने दोनों पैरों को ऊपर उठा के दीवार पर रखें और अपनी पीठ को जमींन पर ही रहने दें। इस स्थिति में आपकी कमर पर 90 डिग्री का कोण बनेगा। अपने दोनों हाथों को फर्श पर सीधा रखें। इस मुद्रा में 5 से 15 मिनट तक बने रहें।

प्रसव के बाद माँ के लिए योग त्रिकोणासन

त्रिकोणासन योग प्रसव के बाद महिलाओं के संतुलन में सुधार करता है, रीढ़, हैमस्ट्रिंग और पिंडली को खींचकर निचले शरीर, हाथ और छाती को मजबूत बनाता है। त्रिकोणासन पेट की चर्बी कम करने और कमर को पतला करने के लिए नई माँ के लिए एकदम सही मुद्रा है। यह पाचन विकारों के इलाज और तनाव तथा चिंता से राहत देने में भी मदद करता है।

डिलीवरी के बाद योग बालासन

बालासन योग पीठ और कूल्हों की मांसपेशियों को खींचने में मदद करता है। यह एक लंबे और थकाने वाले दिन के अंत में सोने से पहले करने वाला एक महान आसन है। बालासन योग डिलीवरी के बाद वजन कम करने के लिए एक अच्छा योग आसन है।

गर्भावस्था के बाद योग उष्ट्रासन

उष्ट्रासन योग डिलीवरी के बाद पेट कम करने में मदद करता है। उष्ट्रासन योग किडनी के साथ-साथ सभी अंगों की मालिश करता है। यह शरीर के अंगों को ताजा रक्त भेजता है जिससे उन्हें ऑक्सीकरण और डिटॉक्सिफाई किया जाता है।

इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को बिछा के उस पर घुटनों के बल खड़े हो जाएं। अब अपनी कमर के यहाँ से पीछे की ओर झुके और अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाएं। अपने सिर को पीछे झुका लें और दोनों हाथों को पैर की एड़ियों पर रखें। उष्ट्रासन की स्थिति में आप 30 से 60 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें।

डिलीवरी के बाद योग कैट काऊ पोज़

कैट काऊ पोज़ करने वाला व्यक्ति गाय और बिल्ली के समान दिखाई देता हैं इसलिए इसे अंग्रेजी में Cat Cow Pose कहते हैं। डिलीवरी के बाद महिलाओं का वजन कम करने के लिए यह एक अच्छा योग है। यह आपकी रीड की हड्डी को लोचदार बनता हैं और रक्त के प्रवाह को बढ़ता हैं।

प्रसव के बाद योग कोबरा पोज

कोबरा पोज प्रसव के बाद के बाद महिलाओं को कमर दर्द से राहत दिलाने में बेहद प्रभावी है। कोबरा पोज कूल्हों को मजबूत करने, पेट, हाथ और कंधे को टोन करने, रीढ़ को मजबूत बनाने, श्रोणि क्षेत्र में रक्त और ऑक्सीजन परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता है।

डिलीवरी या प्रसव के बाद योग

डिलीवरी के बाद योग महिलाओं के लिए शारीरिक और मानसिक समस्याओं से लड़ने का सबसे अच्छा उपाय है। आइये महिलाओं के लिए प्रसव के बाद योग के प्रकार और उन्हें करने के तरीकों को विस्तार से जानतें हैं –

प्रसव के बाद योग

प्रसव के बाद योग महिलाओं के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। एक बच्चे को जन्म देने के बाद महिला के शरीर में कई प्रकार बदलाब होते है। डिलीवरी के बाद योग (delivery ke baad yoga) शक्ति का निर्माण, मुद्रा में सुधार, ऊर्जा के स्तर में वृद्धि और प्रसवोत्तर अवसाद के लक्षणों को कम करने का एक शानदार तरीका हो सकता है। अपने साप्ताहिक दिनचर्या में कुछ प्रसवोत्तर योग जोड़ना भी एक कमजोर पेल्विक फ्लोर, तंग कूल्हों, गले में खराश, स्टैमिना की कमी और अधिक फैली हुयी पेट की मांसपेशियों के लिए ठीक करने में मदद करता है। डिलीवरी के बाद निकला पेट अंदर करने का सबसे अच्छा उपाय योग आसन होता है। आइये प्रसव के बाद वजन और प

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।