ठंड में जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए योग

सर्दियों के मौसम में ब्लड सर्कुलेशन अच्छी तरह से नहीं होने के कारण शरीर का तापमान कम हो जाता है। इस वजह से जॉइंट और मांसपेशियों में दर्द होने लगता है। इसके अलावा ठंड की वजह से शरीर में भी अकड़न होने लगती है।

सर्दियों में योग करने के फायदे आपकी बॉडी को गर्म बनाएं रखने में मदद करता है, जो जोड़ो के दर्द को होने से रोकता है।

सर्दियों में त्वचा की चमक बढ़ाने वाले योग

ठंड का मौसम आते ही वातावरण से नमी ख़त्म हो जाती है जिसकी वजह से हमारी स्किन ड्राई और काली होने लगती है। योग के माध्यम से सर्दियों में भी ग्लोइंग स्किन पाई जा सकती है और उसे चमकदार बनाया जा सकता है।


 
योग उचित ब्लड सर्कुलेशन को प्रोत्साहित करता है। जो बदले में, त्वचा में सुधार करता है क्योंकि यह कोशिकाओं को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है।

सर्दियों में फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए योग

फेफड़े हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं, इसलिए उनको स्वस्थ रखना बहुत जरूरी होता है। बढ़ता प्रदूषण और स्मोकिंग करना आदि आपके फेफड़ों को कमजोर कर रहे है। सर्दियों के मौसम में यह स्थिति और भी अधिक हानिकारक हो जाती है।

योग करने से आपके शरीर में ऑक्सीजन अधिक मात्रा में जाता है और फेफड़े भी अच्छी तरह से फैलते है। ठंड में योग आपके शरीर जो पर्याप्त ऊर्जा देने में भी सहायक होता है।

सर्दियों में करने वाले योग आसान

ड के मौसम में यदि आप रोज आधे घंटे के लिए निम्न योग आसन को करते है तो आपको कोई बीमारी नहीं होगी।

पश्चिमोत्तानासन योग
मंडूकासन योग
शशकासन योग
कूर्मासन
सूर्यनमस्कार योग
कपालभाति प्राणायाम
भस्त्रिका प्राणायाम

सर्दियों में योग करना क्यों है जरूरी? एक्सपर्ट से जानें फायदे

ठंडी के मौसम में हमारे शरीर को गर्म रखना बहुत जरूरी होता है। एक्सपर्ट के अनुसार सर्दियों में योग करने के फायदे हमारे शरीर को गर्म रखने में मदद करते है। सर्दियों का मौसम आते ही हम आलसी हो जाते है, जिसकी वजह से हम बीमार भी होने लगते है।

यदि आप ठंड के मौसम में भी स्वस्थ रहना चाहते है और एक फिट शरीर चाहते है, तो इसके लिए आपको नियमित योग करने की आवश्कता है। यह आपके वजन को कम करने के साथ-साथ सर्दियों में होने वाली सर्दी, जुकाम और खांसी को दूर रखने में आपकी मदद करता है।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।