वजन बढ़ाने के अन्य उपाय

ऊपर योग करने के जो तरीके बताये गए है उनके अलावा भी आप दौड़ लगाये, टहलने जाएँ , तैराकी करे और साइकिल चलाये। इन सबसे आपको अपना वजन बढ़ाने में जरूर मदद मिलेगी।

शीर्षासन वजन बढ़ाने के लिए

जो लड़कियाँ वजन बढ़ाना चाहती हैं वो शीर्षासन ज़रूर करें। इस आसन से माँसपेशियाँ मजबूत और लचीली बनती हैं। यह पाचन तंत्र को सक्रिय रखता है।

मत्स्यासन वजन बढ़ाने के लिए

भूख कम लगने की समस्या से ग्रसित लोगों को यह योग चमत्कारिक लाभ देता है। इस आसन की मुद्रा मछली जैसी आकृति बनाती है, जिस कारण इसे मत्सयासन कहते हैं। इस योग को करने से पेट की आँतें और माँसपेशियाँ मजबूत बनती है औए पाचन शक्ति में सुधर आता हैं। जिससे भूख बढ़ती है और हमें कोई पेट की बीमारी भी नहीं होती हैं।

भुजंगासन वजन बढ़ाने के लिए

जमीन पर पेट के बल सीधे लेट जाएं। अपने हाथ बाहर की ओर रखें। अपने हाथों के सहारे अपने गर्दन और छाती को धीरे धीरे ऊपर उठाएं। वजन बढ़ाने के लिए यह योग बहुत लाभदायक है।

शवासन वजन बढ़ाने के लिए

यह योग बहुत आसान है। जमीन पर सीधे लेट जाएँ। अपनी आँखें बंद करके अपने हाथ पैरों को ढीला छोड़ दें। इस आसान से शरीर को आराम मिलता है और वजन भी बढ़ता है।

सूर्य नमस्कार वजन बढ़ाने के लिए

सुबह सूर्य नमस्कार करने से शरीर में ऊर्जा आती है और वह चुस्त दुरुस्त रहता है। यह योग वजन बढ़ाने के लिए बहुत असरदार है। सूर्य नमस्कार के लिए सबसे पहले सीधे खड़े होकर दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार की मुद्रा में आ जाएं। शरीर को धीरे धीरे झुकाते हुए हाथों से पैरों को छूने का प्रयास करें।

वापस पहले वाली मुद्रा में आ जाएं। अब एक पैर को पीछे करके दूसरे पैर को आगे की ओर निकालें और घुटना मोड़ लें। इसी मुद्रा में थोड़ी देर रुकिए।

सूर्य नमस्कार का असर कंधों और छाती पर ज़्यादा पड़ता है। वजन बढ़ाने के उपाय के रूम में इस योग की सभी 12 मुद्राओं को 5-5 सेकेंड का समय देना चाहिए।

सर्वांगासन वजन बढ़ाने के लिए

जल्दी जल्दी वजन बढ़ाने के लिए सर्वांगासन योग कीजिए। इस आसन में जमीन पर लेटकर पैरों को ऊपर उठाना होता है, जबकि कंधे और गर्दन नीचे रहते हैं। इसको करने से शरीर में रक्त संचार बढ़िया होता है, खाना अच्छे से पचता है और भूख बढ़ती है।

योग द्वारा वजन बढ़ाने के उपाय

सुबह जल्दी उठकर योग करने से फायदा मिलता है। लेकिन अगर आप योग पहली बार करने जा रहे है तो योग किसी योगाचार्य की देखरेख में ही करें।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।