आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए एक्सरसाइज

आँखें हमारे शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिए इनकी देखभाल करना बहुत जरूरी है। आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए एक्सरसाइज करना बहुत ही फायदेमंद होता है। दिन भर कंप्यूटर पर काम करने, अधिक समय तक मोबाइल या टीवी देखने से आँखों में थकावट आ जाती है।

अधिक थकावट आँखों की रोशनी को कम करने के लिए भी जिम्मेदार होती है। आई की रोशनी बढ़ाने में एक्सरसाइज आपकी मदद कर सकता है। इसके अलावा यदि आपको कम आँखों की रोशनी के कारण चश्मा लगा है तो इन व्यायाम को करने से आपको इसे हटाने में मदद मिल सकती है।

एक हफ्ते में हिप्स कम करने के लिए प्लाइस (plies) को शामिल करें

अपने कंधे के बराबर दूरी पर अपने पैरों को रखकर खड़े रहें। अपने पैर की उंगलियों को अपने शरीर से 45 डिग्री के कोण पर रखें। अपने हाथों को अपनी छाती के सामने प्रार्थना की स्थिति में रखें या अपने हाथों को अपने कूल्हों पर रखें।

अपने सिर, धड़ (ऊपरी शरीर) और हिप्स को एक सीधी रेखा में बनाते हुए अपने शरीर को छत से ज़मीन की ओर ले जाएँ।

जब आप अपने शरीर को नीचे ला रहे हैं, तो आपके घुटने आपके शरीर से बाहर की ओर झुके होने चाहिए। अपने से जितना संभव हो कूल्हों को उतना नीचे लाने की कोशिश करें।

कूल्हों को टोन करने के लिए ब्रिज (bridge) एक्सरसाइज को भी शामिल करें

ब्रिज एक ऐसी पोजिशन है जो आपके पैरों के पीछे के हिस्से पर काम करती है, साथ ही यह एक्सरसाइज आपकी जांघों और कूल्हों को अधिक टोन्ड और पतला बना सकती है।


 
जमीन पर लेट जाएं और छत की ओर मुंह करें। अपने घुटनों को अपने शरीर के सामने 90 डिग्री के कोण पर मोड़ें। अपनी बाहों को अपनी तरफ रखें।

अपने नितंबों को दबाते हुए, अपने कूल्हों को हवा में ऊपर उठाएं जब तक कि आपका शरीर आपके घुटनों से आपके सिर तक एक सीधी रेखा में न हो।

अपनी पीठ या रीढ़ को जमीन पर लाने से पहले, कुछ सेकंड के लिए इस स्थिति में रहें।

योगा करें गर्दन की चरबी हटायें

जैसे जैसे उम्र बढती है वैसे वैसे हमारा शरीर विकास की ओर भी आगे कूच करता है और अधोगति भी करता है । यह अधोगति का मतलब कुछ बीमारियाँ, रोग आदि। हमारी उम्र हमारे चेहरे से साफ दिखती है। हम उन सब पर तो संपूर्ण ध्यान रखते हैं। किन्तु हमारे शरीर के कुछ हिस्से ऐसे है जिसे हम नजरअंदाज करते है। हमारी पीठ, हमारी गर्दन आदि। हमारी गर्दन में लम्बे समय के बाद दर्द शुरु हो जाता है। कुछ लोगो को तो छोटी से उम्र में ही यह दर्द होता है।

मकरासन योग करने का तरीका

जमीन पर योगा मैट बिछाकर पेट के बल लेट जाएं।
पैरों को एकदम सीधे फैलाएं और शरीर को सीधा रखें। शरीर में अधिक तनाव (strech) नहीं होना चाहिए और शरीर को हल्का लचीला भी रख सकते हैं।
दोनों पैरों के बीच बराबर दूरी बनाए रखें।
इसके बाद अपने सिर, सीने (chest) और कंधों को हल्का सा जमीन से ऊपर उठाएं।
दोनों हाथों की कोहनी को मोड़ें और कलाइयों को एक दूसरे के ऊपर इस तरह से रखें कि कोहनी मुड़ी हुई अवस्था में ही रहे।
इसके बाद हथेलियों को मोड़ने के बाद अपने सिर को इन्हीं हथेलियों के ऊपर टिकाएं और गहरी सांस लेते हुए आंखें बंद रखें।

Benefits of Bhujangasana: महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है यह आसन, पीठ दर्द से मिलती है राहत, जानिए दूसरे जबरदस्त फायदे

स्वस्थ रहने के लिए योग जरूरी है. योग के कई आसन हैं. इनमें एक आसन भुजंगासन है. इस योग को करने से पेट पर अधिक बल पड़ता है. इससे पाचन तंत्र बहुत मज़बूत होता है. यह कई बीमारियों में फायदेमंद है. इससे कब्ज, अस्थमा, महिलाओं को होने वाली मासिक धर्म में समस्या को दूर किया जा सकता है. 

भुजंगासन के जबरदस्त फायदे

  1. इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं.
  2. कंधों और बाहों को मजबूती प्रदान होता है.
  3. शरीर में लचीलापन बढ़ता है.
  4. तनाव और थकान को दूर करता है.
  5. भुजंगासन से हृदय स्वस्थ रहता है.
  6. अस्थमा के लक्षणों में आराम मिलता है.
  7. बेडौल कमर को पतली-सुडौल व आकर्षक बनाता है.
  8. इसे रोज़ाना करने से लंबाई बढ़ती है.
  9. पीठ दर्द से आराम मिलता है.

भुजंगासन करने का आसान तरीका

समतल और स्वच्छ जमीन पर दरी बिछाकर पेट के बल लेट जाएं और थोड़ी देर आराम करें.
इसके बाद पुश अप मुद्रा में आकर शरीर के अगले हिस्से को उठाएं.
इस आसान को अपने धड़ को आगे की दिशा में उठाकर रखना होता है.
इस मुद्रा में अपनी शारीरिक क्षमता अनुसार रहें.
फिर पहली अवस्था में आ जाएं. इसे रोजाना दस बार जरूर करें.
 

नाभि खिसकने पर करें ये 5 योगासन

नाभि खिसकना एक आम समस्या है जो अक्सर लोगों को परेशान करती है। नाभि खिसकने के कई कारण होते है जैसे कि कोई भारी वस्तु या वजन को उठाना, तेज गति से दौड़ना, ऊँची जगह से कूदना, अचानक से झुकना और मानसिक तनाव की वजह से भी नाभि खिसक जाती है।

जब किसी व्यक्ति की नाभि खिसक जाती है तो इसकी वजह से पेट में दर्द, दस्त, जी मिचलाना, घबराहट और शरीर में कमजोरी होना आदि की परेशानी का सामना करना पड़ता है। लंबे समय तक नाभि का खिसका रहना कई प्रकार की गंभीर समस्या का कारण बन जाता है जिसमें बीपी, अनिद्रा, कब्ज, तनाव और लिवर सिरोसिस शामिल हैं।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।