ਯੋਗ
हाई बीपी समस्या के लिए करें यह तीन योग….
हाई बीपी के लिए तीन योग….
हाई बीपी से देश करीब १० करोड़ लोग पीड़ित है। हाई बीपी का मुख्य कारन है तनाव,तनाव के लिए तीन प्राणायाम बहुत ही महत्वपूर्ण है, अनुलोमविलोम,भ्रामरी और शवासन प्राणायाम।
रोज ३ से ४ लीटर पानी पीना चाहिए। लोकी का जुश साथमे आमला मिलाकर पीना चाहिए ,ध्यान रखिये लोकी कड़वी नहीं होनी चाहिए। इसे पीनी से हाई बीपी कंट्रोल होता है।
अनुलोमविलोम
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पूर्ण भुजा शक्ति विकासक योग के लाभ
योग की पूर्ण भुजा शक्ति विकासक क्रिया को करने से जहां एक ओर प्राणशक्ति का विकास होता है वहीं खुलकर गहरी सांस लेने और छोड़ने से फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है। इसके चलते प्राणशक्ति का स्तर बढ़ जाता है और व्यक्ति दिनभर चुस्त-दुरुस्त बना रहता है। इसके नियमित अभ्यास से भुजाओं की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और कंधों की जकड़न दूर होती है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर के सभी अंगों में प्राणशक्ति का संचार होने लगता है।
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बचाना है पार्लर का खर्च तो करें ये तीन योगासन, चेहरे पर नहीं दिखेगा बुढ़ापा
उम्र को रोकना तो हमारे हाथ में नहीं है लेकिन बढ़ती उम्र में होने वाली समस्याओं से खुदको दूर रखना जरूर हमारे बस में है। बढ़ती उम्र के प्रभावों को रोकने और लंबे समय तक युवा दिखने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते। बाजार से तरह-तरह के एंटी एजिंग उत्पाद खरीदकर लाते हैं, तरह-तरह के ट्रीटमेंट करवाते हैं और अपना बजट बिगाड़ते हैं।
पेट और जांघों को पतला करने के लिए पांच आसन!
वजन घटाने के लिए योग को सबसे कारगर और सरल तरीका माना जाता है। योग को लेकर सबसे बढि़या बात यह है कि इसे किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं। योग किसी भी उम्र वर्ग के लिए खासा लाभदायक है। गर्भवती महिलाओं को भी कुछ विशेष सावधानियों के साथ योग करने की सलाह दी जाती है। ज्ञात हो कि तनाव के चलते कई तरह की बीमारियां जन्म लेती हैं। लेकिन योग के आसनों के जरिये इससे निजात पाया जा सकता है। वजन घटाने और फिट रहने के लिए योग काफी कारगर है और इससे तनाव का स्तर घटने के साथ व्यक्ति का आत्मविश्वास भी बढ़ता है। नीचे योग के कुछ आसनों के बारे में जिक्र किया गया है, जिसको निरंतर करने से वजन घटाने में काफी मदद मि
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दिमाग बनाना हो तेज तो नियमित करें योग
एक अध्ययन में पता चला है कि प्रतिदिन योग करना वयस्कों के लिए दिमाग को स्वस्थ और तरोताजा बनाए रखने में सहायक है। युवावस्था में दिमाग में रक्त का प्रवाह और संज्ञानात्मक कार्य अपने उच्चस्तर पर होता है। योग से होने वाले 20 सर्वोत्तम स्वास्थ्य लाभ एक अध्ययन के तहत 52 युवियों पर किए गए शोध में पता चला है कि दिमाग के अच्छे स्वास्थ्य और सुचारू रूप से काम करने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की उपलब्धता उन वयस्कों में उच्चस्तर पर होती है, जो प्रतिदिन नियमित रूप से योग करते हैं।
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योग में पाँच सर्वश्रेष्ठ बैठने की अवस्थाएँ/स्थितियाँ हैं
योग में पाँच सर्वश्रेष्ठ बैठने की अवस्थाएँ/स्थितियाँ हैं :
सुखासन - सुखपूर्वक (आलथी-पालथी मार कर बैठना)।
सिद्धासन - निपुण, दक्ष, विशेषज्ञ की भाँति बैठना।
वज्रासन - एडियों पर बैठना।
अर्ध पद्मासन - आधे कमल की भाँति बैठना।
पद्मासन - कमल की भाँति बैठना।
ध्यान लगाने और प्राणायाम के लिये सभी उपयुक्त बैठने की अवस्थाओं के होने पर भी यह निश्चित कर लेना जरूरी है कि :
शरीर का ऊपरी भाग सीधा और तना हुआ है।
सिर, गर्दन और पीठ एक सीध में, पंक्ति में हैं।
कंधों और पेट की मांसपेशियों में तनाव न हो।
हाथ घुटनों पर रखें हैं।
शरीर के अंदर देखने वाला कैमरा तैयार
वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कैमरा तैयार कर लिया है जिसके माध्यम से मानव शरीर के पार देखा जा सकता है.
डॉक्टर शरीर के अंदर की जांच करते समय मेडिकल औज़ार इंडोस्कोप का इस्तेमाल करते हैं. ये डिवाइस डॉक्टरों इंडोस्कोपी की प्रक्रिया में मदद के लिए तैयार किया गया है.
अब तक डॉक्टरों को महंगे स्कैन और एक्स-रे पर भरोसा करना पड़ता था.
ये नया कैमरा शरीर के अंदर रोशनी के स्रोत के ज़रिए काम करता है जैसे इंडोस्कोप की लचीली लंबी ट्यूब के अगले सिरे से निकलने वाली रोशनी.
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ਯਾਮਾ ਯੋਗਾ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਭਾਗ ਹੈ
ਇਹ ਸਾਡੇ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਸੰਭਾਲ ਰਿਹਾ ਹੈ. ਯਕੀਨਨ ਇਹ ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਮੁ natureਲਾ ਸੁਭਾਅ ਵੀ ਹੈ. ਯਮ ਦੁਆਰਾ ਮਨ ਨੂੰ ਮਜਬੂਤ ਅਤੇ ਸ਼ੁੱਧ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਮਾਨਸਿਕ ਤਾਕਤ ਵੱਧਦੀ ਹੈ. ਇਹ ਆਪਣੇ ਵਿਚ ਦ੍ਰਿੜਤਾ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵੱਲ ਅਗਵਾਈ ਕਰਦਾ ਹੈ.
ਇੱਥੇ ਪੰਜ ਕਿਸਮਾਂ ਦੀਆਂ ਯਮ ਹਨ - (1) ਅਹਿੰਸਾ, (2) ਸੱਤਿਆ, (3) ਅਸਟਯਾ, (4) ਬ੍ਰਹਮਾਚਾਰੀਆ ਅਤੇ (5) ਅਪਰਿਗ੍ਰਹਿ
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'यम' है योग का प्रथम अंग
यह हम सब को संभाले हुए है। निश्चित ही यह मनुष्य का मूल स्वभाव भी है। यम से मन मजबूत और पवित्र होता है। मानसिक शक्ति बढ़ती है। इससे संकल्प और स्वयं के प्रति आस्था का विकास होता है।
यम के पाँच प्रकार हैं- (1) अहिंसा, (2) सत्य, (3) अस्तेय, (4) ब्रह्मचर्य और (5) अपरिग्रह
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पेट के रोग में राम-बाण है अग्निसार क्रिया
हमारे शरीर को 13 प्रकार की अग्नियां चलाती हैं, जिनमें खाना पचाने में उपयोगी सात धातुओं की अग्नि, पांच भूतों की अग्नि व एक भूख लगाने वाली जठराग्नि होती है। अतः जो इन 13 प्रकार की अग्नियों को बल दे, उसे अग्निसार कहते हैं। यह क्रिया पेट के रोगों से जीवन भर बचाव के लिए बड़ी महत्वपूर्ण है। यह भी षट्कर्म का एक अभ्यास है।
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