शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में नाड़ी शोधन प्राणायाम के फायदे

नासिका द्वार से श्वास छोड़ने और लेने की क्रिया से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। हालांकि शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए प्रतिदिन नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास (practice) करना जरूरी होता है। यह प्राणायाम करने से व्यक्ति को न तो अधिक ठंड लगती है और न ही अधिक गर्मी का अनुभव होता है।

खून को शुद्ध करने में नाड़ी शोधन प्राणायाम के फायदे

नियमित रूप से शांत वातावरण में बैठकर नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास करने से श्वसन प्रणाली(Respiratory System) बेहतर होती है और शरीर का खून शुद्ध होता है। इसके अलावा यह प्राणायाम ब्लड में ऑक्सीजन की अच्छी तरह आपूर्ति (supply) करने में भी सहायक होता है। नाड़ी शोधन का अभ्यास करते समय गहरी श्वास लेने से कई तरह की बीमारियां दूर हो जाती हैं।

नाड़ी शोधन प्राणायाम करते समय सावधानियां

अन्य प्राणायाम की तरह नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से स्वास्थ्य को कई लाभ होते हैं। लेकिन यदि इस प्राणायाम का अभ्यास करते समय कुछ बातों का ध्यान नहीं रखा जाए तो इससे स्वास्थ्य को कई नुकसान भी हो सकता है। आइये जानते हैं कि नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।

प्राणायाम के द्वारा रोगों का उपचार

प्राणायम योग की एक महत्वपूर्ण क्रिया है जिसमे हम अपने शरीर के पाचनतंत्र को सुद्रिड करके समस्त हैं अंदरूनी बिमारियों से मुक्ति पा सकते हैं ! जैसा कि सर्बविधित है की हमारा सरीर पञ्च तत्वों से बना है ! जो कि समय के साथ-साथ बनते टूटते रहते हैं ! उन तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए हम खाना खाते हैं, पानी की पूर्ती के लिए पानी पीते हैं, और आक्सीजन की पूर्ती के लिए साँस लेते हैं तथा बेकार हुए तत्वों को बिभिन्न रास्तों से सरीर से बाहर किया जाता है ! इस भोजन,पानी को ग्रहण करने से लेकर अनुपयोगी तत्वों को सरीर से बाहर करने तक की क्रियाओं को उपापचय क्रिया कहते हैं !

बालों को उगाये अनुलोम विलोम प्राणायाम योग –

अनुलोम विलोम प्राणायाम योग फेफड़ों के काम को बेहतर बनाने और अवसाद तथा तनाव को दूर करने में मदद करता है, जो बालों के झड़ने का मुख्य कारण है। यह साँस लेने का व्यायाम फेफड़ों को स्वस्थ रखता है और शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह को भी उत्तेजित करता है जो खोपड़ी को भी पोषण देता है जिसके कारण बाल फिर से उगना प्रारंभ हो जाते है। अनुलोम विलोम प्राणायाम योग को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछा कर सुखासन या वज्रासन में बैठ जाएं।अब अपने दाहिने हाथ को ऊपर उठायें और अंगूठे से दाहिने नाके नथुने को बंद करके बाएं नथुने से लम्बी साँस लें अब अपने दाहिने हाथ की अनामिका से बाएं नथुने क

हार्ट ब्लॉकेज के लिए योग अनुलोम विलोम प्राणायाम

अनुलोम विलोम प्राणायाम साँस पर नियंत्रण करने वाला योग है जो कोलेस्ट्रॉल कम करके हार्ट ब्लॉकेज ठीक करने में मदद करता है। यह प्राणायाम ब्लॉक नाडी या ऊर्जा चैनल को खोलने या साफ करने में मदद करता है, स्ट्रेस और टेंशन को दूर करता है और चयापचय की दर को बढ़ाता है साथ में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी नियंत्रित करता है।

पेट की चर्बी कम करने के लिए प्राणायाम मार्जरासन

मार्जरासन योग पेट को कम करने में बहुत ही लाभदायक होता है। इस योग को करने से अधिक कैलोरी बर्न होती है जिसकी वजह से आसानी से वजन को कम किया जा सकता है। इस आसन को करने के लिए आप एक योगा मैट पर अपने सिर को सीधा रखें हुयें घुटने टेक के अपने दोनों हाथों को जमीन पर रख लें। अब साँस को अन्दर लेते हुए अपने सिर को पीछे की ओर तथा अपनी ठोड़ी को ऊपर करें।

अब साँस छोड़ते हुए सिर को सीधा करें। इसके बाद फिर से साँस को अपने सिर को नीचे करें और अपनी ठोड़ी को अपनी छाती से लगाने का प्रयास करें। इस आसन को कम से कम 5 से 6 बार करें। यह आसन पेट को कम करने के लिए लाभदायक होता हैं।

पेट कम करने के लिए कपालभाति प्राणायाम

कपालभाति वजन को कम करने के लिए सबसे अच्छा प्राणायाम है। जब आप इस योग को करते है तो अधिक गहरी साँस को लेते है। इससे आपके अंदर अधिक मात्रा में ऑक्सीजन जाता है। यह आपकी पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है। कपालभाति प्राणायाम पाचन क्रिया को ठीक रखता है जिसकी वजह से पेट को कम किया जा सकता है।

प्राणायाम का रहस्य व महत्व

कछुए की साँस लेने और छोड़ने की गति इनसानों से कहीं अधिक दीर्घ है। व्हेल मछली की उम्र का राज भी यही है। बड़ और पीपल के वृक्ष की आयु का राज भी यही है। वायु को योग में प्राण कहते हैं।

प्राचीन ऋषि वायु के इस रहस्य को समझते थे तभी तो वे कुंभक लगाकर हिमालय की गुफा में वर्षों तक बैठे रहते थे। श्वास को लेने और छोड़ने के दरमियान घंटों का समय प्राणायाम के अभ्यास से ही संभव हो पाता है।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।