योग का महत्व

यह प्रमाणित तथ्य हैं की योग मुद्रा, ध्यान और योग में श्वसन की विशेष क्रियाओं द्वारा तनाव से राहत मिलती है, योग मन को विभिन्न विषयों से हटाकर स्थिरता प्रदान करता है और कार्य विशेष में मन को स्थिर करने में सहायक होता है.

हम मनुष्य किसी चीज़ की ओर तभी आकर्षित होते हैं जब उनसे हमें लाभ मिलता है. जिस तरह से योग के प्रति हमलोग आकर्षित हो रहे हैं वह इस बात का संकेत हैं कि योग के कई फायदे हैं. योग को न केवल हमारे शरीर को बल्कि मन और आत्मिक बल को सुदृढ़ और संतुष्टि प्रदान करता है. दैनिक जीवन में भी योग के कई फायदे हैं, आइये! इनसे परिचय करें.

योग के प्रकार

हमारे शरीर में अलग अलग अंगों और विभिन्‍न प्रकार के स्‍वास्‍थ्‍य लाभों को प्राप्‍त करने के लिए योग किया जाता है। लेकिन योग के कई प्रकार होते हैं आइए संक्षिप्‍त में जाने योग के प्रकार जो हमें कई प्रकार के लाभ दिलाते हैं।

वि‍नीसा योग (Vinyasa Yoga)
अष्‍टांग योग (Ashtanga Yoga)
आयंगर योग (Iyengar Yoga)
बिक्रम योग (Bikram Yoga)
जिवामुक्ति योग (Jivamukti Yoga)
पावर योग (Power Yoga)
शिवानंद योग (Sivananda Yoga)
यिन योग (Yin Yoga)
 

प्रसव के बाद करे अनुलोम विलोम प्राणायाम

अनुलोम विलोम प्राणायाम रक्त परिसंचरण में सुधार के लिए और उत्कृष्ट साँस लेने बहुत ही अच्छा प्राणायाम हैं। यह प्रसव के बाद करने के लिए अच्छा योग आसन है। यह प्राणायाम दिल की रुकावटों (heart blockages) को दूर करता है। यह तनाव, चिंता और अवसाद को भी स्वाभाविक रूप से दूर करता है।

कपालभाति प्राणायाम फॉर हेल्थी लिवर

कपालभाति प्राणायाम एक साँस लेने का व्यायाम है जो लीवर में होने वाले रोगों जैसे- लिवर सिरोसिस, पीलिया, हेपेटाइटिस और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए लाभदायक होता है। कपालभाति प्राणायाम योग जो लीवर को उत्तेजित करता है और विभिन्न प्रकार की लीवर की समस्याओं को प्रभावी ढंग से ठीक करता है।

अधिक समय तक सेक्स करे अनुलोम विलोम प्राणायाम से

अनुलोम विलोम प्राणायाम एक साँस लेने की तकनीक है और यह श्वसन एलर्जी, राइनाइटिस (rhinitis), साइनसाइटिस (sinusitis), सर्दी और खांसी जैसी कई समस्याओं को हल करने में मदद करने के लिए जानी जाती है। इसके अलावा अनुलोम विलोम प्राणायाम यौन आनंद को बढ़ाने में भी मदद करता है और संभोग की भावना को रोकता है। यह स्खलन में देरी करने में भी मदद करता है और पूरे शरीर को ताकत देता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछा कर सुखासन या वज्रासन में बैठ जाएं।

बाल उगाने के लिए योग भस्त्रिका प्राणायाम

भस्त्रिका प्राणायाम बालों को झड़ने से रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण योग है और यह एक सुपरचार्ज मोड प्राणायाम भी है। यह फेफड़ों को स्वस्थ रखता है और पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार करता है जो  बालों का झड़ना भी रोकता है और बालों के उगने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछा कर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अपनी आँखों को बंद कर लें और अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। फिर अपनी तर्जनी को अंगूठे से मिलाएं। अब एक गहरी साँस अन्दर लें और फिर बलपूर्वक उसके बाहर निकालें। फिर से बलपूर्वक अन्दर की ओर साँस लें और फिर से बलपूर्वक उसे बाहर निकले। इस भस्त्रिका प

लो बीपी के लिए योग सूर्यभेदी प्राणायाम

सूर्यभेदी प्राणायाम मन को नियंत्रित करने में मदद करता है और सांस लेने की दर को धीमा करता है। जैसे ही ऑक्सीजन प्रवेश करती है और विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकलते हैं। यह दिमाग को शांत करता है जिससे सिर ठंडा रहता है और चक्कर नहीं आते हैं। यह एक उन्नत प्राणायाम है इसे योग शिक्षक के मार्गदर्शन में किया जाना चाहिए।

श्वसन तंत्र में लाभदायक योग कपालभाति प्राणायाम

कपालभाति प्राणायाम एक साँस लेने की प्रकिया है जो हमारे श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है। यह वजन को कम करने के लिए कपालभाति एक बहुत ही अच्छा आसन हैं। कपालभाती प्राणायाम पेट की बीमारी, मोटापा, पाचन विकार और पेट से जुड़ी कई समस्याओं को ठीक करने में बहुत प्रभावी है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछाकर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखे और ध्यान की मुद्रा में बैठे। साँस अन्दर को ओर ले अब साँस को बाहर छोड़ते हुए पेट को अन्दर की ओर इस प्रकार खींचे की पेट और पीठ आपस में मिल जाएं। फिर साँस को अन्दर ले ओर पेट को ढीला करें। यह क्रिया फिर से दोहर

नाड़ी शोधन प्राणायाम क्या है

नाड़ीशोधन संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है जहां नाड़ी का अर्थ चैनल या प्रवाह (flow) और शोधन का अर्थ सफाई या शुद्धि (purification) है। इसलिए नाड़ी शोधन प्राणायाम को आमतौर पर नासिका की सफाई करने और शरीर एवं दिमाग को शुद्ध करने के लिए जाना जाता है। नाड़ी शोधन एक ऐसा प्राणायाम है जिसे महिला, पुरुष और किसी भी उम्र के व्यक्ति बेहद आसानी से कर सकते हैं और इसका लाभ पा सकते हैं। यह प्राणायाम शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के साथ ही हर तरह के चिंता और तनाव को दूर करने में बहुत सहायक होता है। नाड़ी शोधन प्राणायाम गहरी सांस लेने, कुछ देर तक उसे रोकने (hold) और फिर छोड़ने की एक प्रक्रिया है, इसलिए यह शरी

नाड़ी शोधन प्राणायाम की विधि

सबसे पहले दोनों पैरों को मोड़कर जमीन पर बिल्कुल आराम से बैठ जाएं। रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी (erect) रखें और कंधों को भी आराम की मुद्रा में रखें और अधिक तनाव न दें और दोनों आंखों को बंद करके बैठें।

इसके बाद अपने बायीं हथेली को बाएं जांघ (thigh) के ऊपर रखें। हथेली ऊपर की ओर खुली रखें और अंगूठे और तर्जनी उंगली के पोरों को एक दूसरे से सटाकर रखें।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।