Yoga With Modi Vajrasana Gujarati
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Aasan
Common Yoga Protocol - Day 1
सामान्य योग अभ्यासक्रम ( प्रोटोकाल ) का उद्देश्य लोगो और जन समुदाय के बीच योग के विषय में सामन्य जागरूकता का प्रसार करना है। ताकि लोग योग के माध्यम से सामंजस्य एवं शांति प्राप्त कर सके। योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योग अभ्यास शरीर एवं मन, विचार एवं कर्म , आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मकता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है तथा यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का पूर्णतावादी दृष्टिकोण है। योग केवल व्ययाम ही नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरूकता उत्पन करता है तथ
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Common Yoga Protocol - Day 2
सामान्य योग अभ्यासक्रम ( प्रोटोकाल ) का उद्देश्य लोगो और जन समुदाय के बीच योग के विषय में सामन्य जागरूकता का प्रसार करना है। ताकि लोग योग के माध्यम से सामंजस्य एवं शांति प्राप्त कर सके। योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योग अभ्यास शरीर एवं मन, विचार एवं कर्म , आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मकता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है तथा यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का पूर्णतावादी दृष्टिकोण है। योग केवल व्ययाम ही नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरूकता उत्पन करता है तथ
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Common Yoga Protocol - Day 3
सामान्य योग अभ्यासक्रम ( प्रोटोकाल ) का उद्देश्य लोगो और जन समुदाय के बीच योग के विषय में सामन्य जागरूकता का प्रसार करना है। ताकि लोग योग के माध्यम से सामंजस्य एवं शांति प्राप्त कर सके। योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योग अभ्यास शरीर एवं मन, विचार एवं कर्म , आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मकता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है तथा यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का पूर्णतावादी दृष्टिकोण है। योग केवल व्ययाम ही नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरूकता उत्पन करता है तथ
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Common Yoga Protocol - Day 4
सामान्य योग अभ्यासक्रम ( प्रोटोकाल ) का उद्देश्य लोगो और जन समुदाय के बीच योग के विषय में सामन्य जागरूकता का प्रसार करना है। ताकि लोग योग के माध्यम से सामंजस्य एवं शांति प्राप्त कर सके। योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योग अभ्यास शरीर एवं मन, विचार एवं कर्म , आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मकता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है तथा यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का पूर्णतावादी दृष्टिकोण है। योग केवल व्ययाम ही नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरूकता उत्पन करता है तथ
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Common Yoga Protocol - Day 5
सामान्य योग अभ्यासक्रम ( प्रोटोकाल ) का उद्देश्य लोगो और जन समुदाय के बीच योग के विषय में सामन्य जागरूकता का प्रसार करना है। ताकि लोग योग के माध्यम से सामंजस्य एवं शांति प्राप्त कर सके। योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योग अभ्यास शरीर एवं मन, विचार एवं कर्म , आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मकता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है तथा यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का पूर्णतावादी दृष्टिकोण है। योग केवल व्ययाम ही नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरूकता उत्पन करता है तथ
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Common Yoga Protocol - Day 6
सामान्य योग अभ्यासक्रम ( प्रोटोकाल ) का उद्देश्य लोगो और जन समुदाय के बीच योग के विषय में सामन्य जागरूकता का प्रसार करना है। ताकि लोग योग के माध्यम से सामंजस्य एवं शांति प्राप्त कर सके। योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योग अभ्यास शरीर एवं मन, विचार एवं कर्म , आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मकता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है तथा यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का पूर्णतावादी दृष्टिकोण है। योग केवल व्ययाम ही नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अंदर जागरूकता उत्पन करता है तथ
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Yoga with Modi Vrikshasana Malayalam
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Aasan
Yoga With Modi Vajrasana Italian
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Aasan
Yoga With Modi Vrikshasana Mandarin
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Aasan
“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।