आंखों के लिए लाभदायक शुतुरमुर्गासन योग

शुतुरमुर्गासन योग करने से आपकी आँखों को भी लाभ होता है। इस योग आसन में जब आप नीचे की ओर झुकते है तब रक्त आपके सिर में अतिरिक्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व युक्त पदार्थ को भेज देता हैं, यह आपकी आँखों में रक्त के प्रवाह को बढ़ा देता हैं। शुतुरमुर्गासन योग मैक्युलर डीजेनेरेशन और आँखों से संबंधित कई प्रकार की समस्या को खत्म करने में मदद करता हैं।

पेट की गैस के लिए शुतुरमुर्गासन योग

जो लोग पेट में बनने वाली गैस की समस्या से परेशान है उसके लिए शुतुरमुर्गासन योग बहुत है। यह योग पेट में चयापचय की क्रिया को तेज करता हैं जो पेट में होने वाले अनेक रोगों से हमारी रक्षा करता हैं। यह गैस को कम करने में बहुत ही प्रभावी योग आसन है।

शुतुरमुर्गासन योग के लाभ शरीर को मजबूत करे

शारीरिक मजबूती के लिए शुतुरमुर्गासन योग बहुत ही असरदायक होता है। यह योग हमारे निचले हिस्से, बाहों और पैरों को मजबूत और टोन करने के लिए जाना जाता है। यह शरीर को स्थिर करने और संतुलन बनाने में मदद करता है क्योंकि यह सहनशक्ति को बढ़ाता है।

शुतुरमुर्गासन योग के फायदे कमर दर्द में

कमर दर्द को ठीक करने के लिए शुतुरमुर्गासन योग बहुत ही लाभदायक होता हैं। इस योग आसन को करने से पैरों के पीछे और गर्दन के पिछले हिस्से को एक अच्छा खिंचाव देता है और कमर दर्द से राहत दिलाता है। शुतुरमुर्गासन योग थके हुए पैरों को स्वस्थ करता है।

शुतुरमुर्गासन योग के फायदे

शुतुरमुर्गासन योग आसन हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। यह हमारे शरीर में होने वाली कई प्रकार की समस्या से हमें दूर रखता हैं। आइये इसके लाभों को विस्तार से जाते हैं।

शुतुरमुर्गासन योग करने का तरीका

शुतुरमुर्गासन योग एक सरल आसन है इसे करना बहुत ही आसान हैं इसे किसी भी उम्र का व्यक्ति आसानी से कर सकता हैं। नीचे इस आसन को करने की कुछ स्टेप दी गई है जिसकी मदद से आप इसे आसानी से कर सकते हैं।

शुतुरमुर्गासन योग करने से पहले यह आसन करें

शुतुरमुर्गासन योग करने से पहले आप नीचे दिए गए कुछ आसन का अभ्यास करें जिससे आपको इस आसन करने में आसानी होगी-

वीरभद्रासन
गरुड़ासन
पश्चिमोत्तानासन
जानुशीर्षासन

शुतुरमुर्गासन क्या है

शुतुरमुर्गासन एक प्रकार का योग आसन है। शुतुरमुर्गासन करने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई व्यक्ति अपने सिर को जमीन में छुपा रहा हो। शुतुरमुर्गासन योग दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें पहला शब्द “शुतुरमुर्ग” होता है जो कि एक पक्षी है और दूसरा शब्द “आसन” होता है जिसका अर्थ “ मुद्रा या स्थिति” होता है। शुतुरमुर्गासन योग को अंग्रेजी में ऑस्ट्रिच पोज (Ostrich Pose) कहा जाता है। इस योग को करने वाला व्यक्ति एक शुतुरमुर्ग के सामान दिखाई देता है। शुतुरमुर्ग मुद्रा एक महान वार्म अप (warm up) है क्योंकि यह आपकी बाहों, कंधों और हैमस्ट्रिंग को फैलाता है। आइये शुतुरमुर्गासन योग को करने का तरीका और फायदे को

शुतुरमुर्गासन योग करने की विधि और उसके लाभ

शुतुरमुर्गासन (Sutarmurgasana) हमारी योग श्रंखला की एक और महत्वपूर्ण योग आसन है। इस योग को करने वाला व्यक्ति एक शुतुरमुर्ग के सामान खड़ा हुआ दिखाई देता है। शुतुरमुर्गासन योग हमारे लिए कई प्रकार से लाभदायक होता है। यह योग आसन हमारी अनेक प्रकार की समस्या जैसे कमर दर्द, गैस की समस्या को कम करना, पेट की चर्बी कम करना और हमारे शरीर को मजबूत करने में मदद करता है। कुछ लोग इस योग को खरगोश योग मुद्रा (Rabbit Yoga Pose) के नाम से भी जानते है। आइये शुतुरमुर्गासन योग को करने की विधि और उससे होने वाले लाभों को विस्तार से जानते हैं।

Osho: I Have Been Keeping a Secret My Whole Life — Now the Complete Answer

“I had always wanted not to be a Master to anybody. But people want a Master, they want to be disciples; hence, I played the role. It is time that I should say to you that now many of you are ready to accept me as the friend. Those who are in tune with me continuously, without any break, are the only real friends.” Upgrade your subscription. An ongoing series of full length talks with a new talk available everyday. Plus a collection of talks on various themes.

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।