शीर्षासन से ठीक रहता है ब्लड सर्कुलेशन
सिर के बल उल्टा हो जाने को शीर्षासन कहा जाता है। इसमें सिर या हाथों के बल अलग-अलग कोणों में शरीर को उल्टा किया जा सकता है। पूरे शरीर का संतुलन सिर या हाथों पर टिका होता है। योग शास्त्र में इसके कई फायदे बताए हैं।
लाभ
ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है, मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने से दिमाग सक्रिय होता है, ग्रंथियों की कार्य प्रणाली दुरूस्त होती है, पेट में स्थित अंगों जैसे आमाशय, लिवर, किडनी आदि एक्टिव होते हैं और पाचन तंत्र ठीक रहता है। ईसा पूर्व विख्यात ग्रीक फिजिशियन हिप्पोक्रेट्स भी रोगी को रस्सियों और पुली की सहायता से सीढियों पर उल्टा लटकाते थे।
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योगासन से दूर होती हैं बीमारियाँ
जमीन पर पद्मासन लगाकर बैठ जाइए। लेफ्ट पैर को उठाइए और राईट जंघा पर लगाइए ताकि लेफ्ट पैर की ऐड़ी नाभि के नीचे आ जाए। फिर राईट पैर को उठाइए और लेफ्ट जंघा पर रखिए ताकि दोनों ऐड़ियां नाभि से नीचे एक दूसरे को मिलें। दोनों हाथों को पीठ के पीछे ले जा कर राईट हाथ से लेफ्ट पैर को और लेफ्ट हाथ से राईट पैर को पकड़िए। पेट को अंदर की ओर चिपकाते हुए कमर के ऊपरी भाग को आगे झुकाइए और जमीन पर लगाइए।
लाभ:
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हाई बीपी के मरीजों के लिए शवासन उपयोगी
शवासन में सांस पर नियंत्रण रखकर शरीर को निर्जीव अवस्था में छोड़ा जाता है। इस अभ्यास में हम इंद्रियों व मन को बाहर के विषयों से हटाते हैं और शरीर व मन को ऊर्जा से भर देते हैं। इस आसन का अभ्यास कोई भी व्यक्ति कर सकता है। हाई ब्लड प्रेशर के रोगी लगातार इस आसन को करें तो बीपी कंट्रोल किया जा सकता है।
फायदे
इस अभ्यास को करने से मानसिक तनाव, थकान दूर होकर नई ऊर्जा का संचार होता है। इससे सिरदर्द, अनिद्रा और अवसाद की समस्या नहीं रहती।
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योग करें और पायें अस्थमा से मुक्ति
अस्थमा फेंफड़ों से संबंधित बीमारी है। अस्थामा में छाती और गला संवेदनशील रहता है। अस्थामा का मरीज, धूल, धुवां या ज्यादा कोल्ड वातावरण बर्दाश्त नहीं कर सकता। जहां ज्यादा ऑक्सिजन नहीं है वहां रहने में भी उसे तकलीफ होती है। योग से अस्थमा से छुटकारा पाया जा सकता है। अस्थमा अनुभव निम्न लक्षणों में से एक या एक से अधिक के साथ अधिकांश लोगों को हो सकता है
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योगासन करें और दें अपनी बॉडी को खूबसूरत शेप
सूर्य नमस्कार
यह एक बुनियादी, सबसे ज्यादा जाना-जाने वाला और व्यापक रूप से अभ्यास किया जाने वाला आसन है। सूर्य नमस्कार का अर्थ है-'सूरज का अभिवादन' या 'वंदन करना'। इसमें 12 योग मुद्राओं का मिश्रण होता है, जो कि शरीर के विभिन्न भागों को केंद्रित करता है। इसकी यही खासियत इसे पूरे शरीर के लिए फायदेमंद बनाती है। उदाहरण के लिए प्रार्थना की मूल मुद्रा, आगे की ओर मुड़ना और फिर भुजांगासन।
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सिर्फ छह योगासन करें और दें अपनी बॉडी को खूबसूरत शेप
यह एक बुनियादी, सबसे ज्यादा जाना-जाने वाला और व्यापक रूप से अभ्यास किया जाने वाला आसन है। सूर्य नमस्कार का अर्थ है-'सूरज का अभिवादन' या 'वंदन करना'। इसमें 12 योग मुद्राओं का मिश्रण होता है, जो कि शरीर के विभिन्न भागों को केंद्रित करता है। इसकी यही खासियत इसे पूरे शरीर के लिए फायदेमंद बनाती है। उदाहरण के लिए प्रार्थना की मूल मुद्रा, आगे की ओर मुड़ना और फिर भुजांगासन।
प्रस्तावना
योग भारतीय संस्कृति का एक आधार स्तंभ है l जो प्राचीन काल से आधुनिक काल तक हमारे काल से जुड़ा हुआ है l इस योग का महत्व प्राचीन काल से भी था तथा आधुनिक काल में भी इसका महत्व और अधिक बढ़ा है l प्रिय पाठक योग एक ऐसी विद्या है जिसके द्वारा मन को अविद्या अस्मिता आदि देशों से बचाकर वृत्तियों से रहित कर परमात्मा में लीन करने का विज्ञान प्राप्त होता है एक सामान्य ज्ञान से लेकर उच्च कोटि के साधकों के लिए योग के अलग-अलग मार्गों का निर्देश अलग-अलग भागों में किया गया है इन सभी भागों में साधना एवं साधन की विधि अलग-अलग हो सकती है परंतु इन सभी
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हठ प्रदीपिका एवं हिरण संहिता में योग अर्थात श्रीनाथ गुरु को प्रणाम करके योगी स्वर आत्माराम केवल राज रोक की प्राप्ति के लिए हट विद्या का उपदेश करते हैं हिरण संगीता में हठयोग के सप्त साधनों पर प्रकाश डालते हुए कहा गया अर्थात शोधन धैर्य लाग्यो प्रत्यक्ष और नैनीताल J7 शरीर सूती के साधन हैं जिन्हें सामान्य तथा प्रसाधन की संज्ञा दी जाती है इन सब साधनों के लाभों पर प्रकाश डालते हुए हिरण ऋषि कहते हैं
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पंचकर्म में छिपा है असाध्य रोगों का इलाज-
शरीर की शुद्घि की प्राचीन आयुर्वेदिक पद्घति है पंचकर्म। आयुर्वेद के अनुसार, चिकित्सा के दो प्रकार होते हैं- शोधन चिकित्सा एवं शमन चिकित्सा। जिन रोगों से मुक्ति औषधियों द्वारा संभव नहीं होती, उन रोगों के कारक दोषों को शरीर से बाहर कर देने की पद्घति शोधन कहलाती है। यही शोधन चिकित्सा पंचकर्म है। पंचकर्म चिकित्सा में केरल विश्वप्रसिद्घ है। अब भारत के बाकी राज्यों में भी इसका बोलबाला बढ़ रहा है।
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ॐ (OM) उच्चारण के 11 शारीरिक लाभ
*ॐ (OM) उच्चारण के 11 शारीरिक लाभ -*
*ॐ*:- ओउम् तीन अक्षरों से बना है।
*अ उ म्*
*"अ"*का अर्थ है उत्पन्न होना..
*"उ"* का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास..
*"म्"*का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना..
ॐ सम्पूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।
ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।
*जानिए कैसे??*
ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक और अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग...
● *उच्चारण की विधि*
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“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।