मधुमेह (Diabetes) प्रबंधन में कारागार है योगासन
मधुमेह (Diabetes) से ग्रसित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। और यह कोई हैरानी वाला तथ्य नहीं है। कुछ लोग इसे शुगर की बीमारी के नाम से भी जानते है। ब्लड शुगर को नियंत्रित करने का अगर कोई तरीका है, तो वो है नियमित व्यायाम। और योग (Yoga) इसका एक बेहद पुराना और असरदार उपाय है। योग के आसनो को रोज करना जहा स्वस्थ रहने की कुंजी है वही दूसरी ओर मेडिकल साइंस ने भी इसके अभूतपूर्व लाभ कि पुष्टि करा दी है|
आयुर्वेद-मूल अवधारणाएं
आयुर्वेद भारतीय उपमहाद्वीप की एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है। ऐसा माना जाता है कि यह प्रणाली भारत में 5000 साल पहले उत्पन्न हुई थी। शब्द आयुर्वेद दो संस्कृत शब्दों ‘आयुष’ जिसका अर्थ जीवन है तथा ‘वेद’ जिसका अर्थ 'विज्ञान' है, से मिलकर बना है’ अतः इसका शाब्दिक अर्थ है 'जीवन का विज्ञान'। अन्य औषधीय प्रणालियों के विपरीत, आयुर्वेद रोगों के उपचार के बजाय स्वस्थ जीवनशैली पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। आयुर्वेद की मुख्य अवधारणा यह है कि वह उपचारित होने की प्रक्रिया को व्यक्तिगत बनाता है।
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पाइल्स का क्या हैं? यौगिक क्रियाएँ से इलाज
क्या होते हैं पाइल्स
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टीवी देखते वक्त करें ये पांच काम, थम जाएगा बुढ़ापा
प्रदूषण, तनाव और असंतुलित जीवनशैली की वजह से चेहरे पर वक्त से पहले झुर्रियां पड़ने लगती हैं और वे अपनी उम्र से बड़े लगने लगते हैं। इसके लिए वे मंहगी क्रीम खरीदते हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं।
अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो आपको फेशियल योगा जरूर करना चाहिये। इसकी सबसे खास बात ये है कि इसे आप दफ्तर या घर में बैठे-बैठे आराम से कर सकते हैं।
तन और मन को शांत करता है शशांकासन
तनाव है, उदर विकार है, मांसपेशियों में दिक्कत है, अत्यधिक क्रोध आता है, वगैरह-वगैरह। अगर आपको इस तरह की कोई भी दिक्कत है तो जाहिर है आप डॉक्टर का दरवाजा खटखटाएंगे। लेकिन अगर आप शशांकासन का हाथ थाम लें तो चिकित्सकों के द्वार पर भटकना नहीं पड़ेगा। जी, हां! शशांकासन कई मर्ज की अकेली दवा है। शशांक का शाब्दिक अर्थ खरगोश होता है। चूंकि इस आसन को करते हुए हम खरगोश की तरह हो जाते हैं इसलिए इसे शशांकासन कहा जाता है। इस आसन के असंख्य लाभ हैं। लेकिन इस आसन को करते हुए हमें अपनी सांस की गति का खास ख्याल रखना चाहिए नहीं तो अच्छे परिणाम की बजाय बुरे परिणाम सामने आ सकते हैं।
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पञ्च तत्व और हाथ का संबंध
योग के अभ्यासकों में मुद्रा विज्ञान अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। कुछ योग विशेषज्ञ मुद्रा को 'हस्त योगा' भी कहते हैं। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए विभिन्न योगासन और प्राणायाम के साथ इन मुद्राओं का अभ्यास करना भी जरूरी हैं। योग मुद्रा का अभ्यास करने से शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक लाभ होता हैं।
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कसरत के समय उर्जा का इस्तेमाल
फिटनेस या तंदुरुस्ती यह अब जीवन का एक नया मंत्र है। इसके बारे में अपने परिवार और मित्रों में जागृती फैलाएं। लेकिन पहले आप स्वयं फिट रहने की जरुरत है। तंदुरुस्ती से अनेक बीमारियाँ टलती है और जीवन का सही आनंद भी इसी से मिलता है।
बचपन से इसकी आदत होनी चाहिए। आप स्वयं सोचे की आप फिट या तंदुरुस्त है या नहीं। उम्र और कामकाज के अनुरुप फिटनेस के मायने बदलते है। हर एक खेल के लिए फिटनेस की अलग जरूरतें होती है। फिटनेस के लिए हमको अलग अलग व्यायाम जरुरी है। आमतौर पर ऐसे व्यायाम के लिए शरीर में सिंपथॅटीक तंत्रिका तंत्र कृतीशील होती है। इसके चलते एक मस्ती का अनुभव होता है।
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जापान के लोग हमेशा गर्म पानी ही क्योँ पीते हैं?
1. पाचन तंत्र को साफ करता है: पानी का तापमान शरीर के अंदरूनी अंगों पर उसके प्रभाव को बदल देता है. ठंडा पानी जहां अंदरूनी मांसपेशियों को सिकोड़ने का काम करता है, वहीं गर्म पानी उन्हें रिलैक्स कर विभिन्न क्रियाओं में सहयोग करता है. इसीलिए पाचन की अनियमितता, कब्ज, एसिडिटी जैसी रोजमर्रा की समस्याओं से निजात दिलाती हैं. दरअसल गर्म पानी पेट में मौजूद भोजन को छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़ देता है, जिससे उन्हें पचाना आसान हो जाता है. साथ ही घी, तेल और वसा को आंतों में जमने से रोकता है.
किन-किन खुशबू से महकाएं अपना घर कि मिले सकारात्मक ऊर्जा, पढ़ें रोचक जानकारी
प्राचीनकाल में राजा-महाराजाओं द्वारा अपने महल, वस्त्रों, विभिन्न कक्षों, मुख्य द्वार आदि पर अलग-अलग अवसरों के अनुरूप इत्र एवं सुगंधित तेलों के प्रयोग का वर्णन मिलता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि किसी खुशबू विशेष का प्रयोग कर आप अपने आसपास के वातावरण को सजीव बना सकते हैं।
विभिन्न प्रकार की खुशबुओं व उनके उपयोग पर शोध कर चुके ब्रिटिश शरीरक्रिया-विज्ञानी डॉ. एडवर्ड बैच के अनुसार फूलों की खुशबू में वह गुण है, जो एक प्राकृतिक औषधि की तरह नुकसान पहुंचाए बिना हर प्रकार के रोगों को ठीक करने में सक्षम है।
अपानवायु मुद्रा
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“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।