मयूरासन
इसमें शरीर मोर की तरह आकार लेता है, इसलिए इसे मयूरासन कहते हैं।
- Read more about मयूरासन
- Log in to post comments
शलभासन
शलभासन करने की विधि :
- सर्वप्रथम पेट के बल लेट जाएँगे ।
- पैरो को पास रखेंगे और हाथों की मुत्ठियाँ बनाकर जांघों के नीचे रखेंगे।
- अब दोनो पैरो को साँस लेते हुए उपर उठाइए ।
- धीरे से वापिस लाइए ।
- 5 बार इसी तरह दोहरायें ।
- ध्यान रखिएगा पैरो को उपर ले जाते समय घुटने से सीधा रखेंगे।
शलभासन करने की साबधानियाँ :
हर्निया ,आँतों की गंभीर समस्या व हृदय रोगी इस अभ्यास को न करें।
- Read more about शलभासन
- 1 comment
- Log in to post comments
भुजंग आसन
भुजंगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन के तरह उठाया जाता है। भुजंगासन की जितनी भी फायदे गिनाए जाएं कम है। भुजंगासन का महत्व कुछ ज्यादा ही है क्योंकि यह सिर से लेकर पैर की अंगुलियों तक फायदा पहुंचाता है। अगर आप इसके विधि को जान जाएं तो आप सोच भी नही सकते यह शरीर को कितना फायदा पहुँचा सकता है।
- Read more about भुजंग आसन
- 1 comment
- Log in to post comments
पद्मासन
पद्मासन का अर्थ इस प्रकार पद्मासन करने का अर्थ होता है कमल यानी कमल का आसन। यह योग का एक एैसा आसन है जिसमें शरीर को कमल के आसन में बैठने का आकार दिया जाता है। यह आसन केवल ध्यान में बैठने का तरीका है। लेकिन इस आसन से शरीर को काफी लाभ मिल सकते हैं। वैदिकवाटिका आपको पद्मासन के तरीकों और इसके फायदों को आप को बताएगा। ताकि आप निरोगी रह सकें।
- Read more about पद्मासन
- 1 comment
- Log in to post comments
मकरासन
सबसे पहले चादर बिछाकर जमीन पर पेट के बल लेट जाइए। उसके बाद दोनों हाथों की कोहनियों को मिलाते हुए गाल के नीचे रख लीजिए। दोनों पैरों को मिलाकर सांस को अंदर कीजिए, उसके बाद सांस को बाहर करते हुए दोनों कोहनियों को अंदर की तरफ खींचिए। इस क्रिया को कम से कम 5 बार दोहराइए। उसके बाद पेट पर दोनों हथेली दोनों गाल के नीचे और कोहनियां मिला कर रखिए। सांस को आराम से लेते हुए पैरों को बारी-बारी घुटने से मोडिए। कोशिश कीजिए कि आपके पैरों की एडी नितंबों को छुए। इस क्रिया को 20 बार दोहराइए।
- Read more about मकरासन
- 1 comment
- Log in to post comments
वीरभद्रासन
वीरभद्रासन जिसको वॉरईयर पोज़ (Warrior Pose) के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन का नाम भगवान शिव के अवतार, वीरभद्र, एक अभय योद्धा के नाम पर रखा गया। योद्धा वीरभद्र की कहानी, उपनिषद की अन्य कहानियों की तरह, जीवन में प्रेरणा प्रदान करती है। यह आसन हाथों, कंधो ,जांघो एवं कमर की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।
- Read more about वीरभद्रासन
- Log in to post comments
कटिचक्रासन
कटिचक्रासन क्या है इसके लिए आपको इस शब्द को तोड़कर देखना होगा। कटिचक्रासन दो शब्द मिलकर बना है -कटि जिसका अर्थ होता है कमर और चक्र जिसका अर्थ होता है पहिया। इस आसन में कमर को दाईं और बाईं ओर मरोड़ना अर्थात् घुमाना होता है। ऐसा करते समय कमर पहिये की तरह घूमती है, इसलिए इसका नाम कटिचक्र रखा गया है।
कटिचक्रासन की विधि
अब बात आती है कि कटिचक्रासन को कैसे किया जाए ? इस आसन से आप अधिक लाभ तभी ले सकते हैं जब इसको टेक्निकली सही तरीके से करते हैं।
तरीका
- Read more about कटिचक्रासन
- 4 comments
- Log in to post comments
शवासन
मृत शरीर जैसे निष्क्रिय होता है उसी प्रकार इस आसन में शरीर निष्क्रिय मुद्रा में होता है अत: इसे शवासन कहा जाता है. इस आसन का अभ्यास कोई भी कर सकता है. यह शरीर को रिलैक्स प्रदान करने वाला योग है.
- Read more about शवासन
- Log in to post comments
वसिष्ठासन
- का शाब्दिक अर्थ है “सबसे उत्कृष्ट, सर्वश्रेष्ठ, सबसे धनी” वशिष्ठ योग परंपरा में कई प्रसिद्ध संतों का नाम है। को भारतवर्ष के सबसे सम्मानीय संतो में से माना जाता है। ऋषि वशिष्ठ सप्तऋषि मंडल के एक ऋषि है। वे ऋग्वेद मंडल के सबसे प्रधान व मुख्य लेखक भी है। ऋषि वशिष्ठ के पास एक गाय थी जिसका नाम कामधेनु था। उस गाय का एक बछड़ा था जिसका नाम नन्दिनी था। उस गाय के पास दैविक शक्तियां थी और उसने ऋषि वशिष्ठ को बहुत धनवान बना दिया था। इसलिए वशिष्ठ का वास्तवित अर्थ धनवान है।
- Read more about वसिष्ठासन
- 4 comments
- Log in to post comments
वृक्षासन
वृक्षासन का अर्थ है वृक्ष के समान मुद्रा. इस आसन को खड़े होकर किया जाता है. नटराज आसन के समान यह आसन भी शारीरिक संतुलन के लिए बहुत ही लाभप्रद है
- Read more about वृक्षासन
- 1 comment
- Log in to post comments
“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।