मुगदर व्यायाम के लाभ अपर बॉडी के विकास में

इंडियन क्लब ट्रेनिंग एक्सरसाइज हमारी अपर बॉडी के विकास के लिए बहुत ही अच्छा हैं। यह हमारे शरीर के ऊपरी भाग और छाती के विकास के लिए बहुत ही मददगार होता है। जब आप मुगदर व्यायाम करते हैं, तो आप अपनी पीठ को सीधा रखने के लिए अपने पेट को अपनी रीढ़ की ओर खींचना होता हैं जिससे आपका सीने को फैलता है। यह न सिर्फ आपकी भुजाएं बल्कि आपकी छाती, पीठ और कंधे को भी खोलता हैं।

इंडियन क्लब ट्रेनिंग एक्सरसाइज के फायदे ह्रदय स्वास्थ्य में

हृदय संबंधी समस्या को दूर करने के लिए आप मुगदल व्यायाम को करें। दिल हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके बिना जीवन संभव नहीं है इसलिए इसे स्वस्थ रखना आवश्यक होता है। मुदगल एक्सरसाइज करके आप अपने ह्रदय के स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं। इंडियन क्लब ट्रेनिंग एक्सरसाइज रक्तचाप को कम करने में मदद करती है।

मुगदर व्यायाम के फायदे संतुलन में

शरीरक संतुलन को बनाये रखने के लिए मुगदर एक्सरसाइज अनेक प्रकार से फायदेमंद है। यह आपकी मांसपेशियों को लचीला बनता है जिससे आप किसी भी कार्य को अच्छी तरह से कर सकते है। यह व्यायाम कोआर्डिनेशन पर अधिक ध्यान देता है और शरीर के सभी अंगों में संतुलन को बनाये रखता है। इंडियन क्लब ट्रेनिंग एक्सरसाइज अप्रत्यक्ष रूप से उन छोटी मांसपेशियों को लक्षित करते हैं जो आपको सीधा रखने में मदद करती हैं और रोजमर्रा के कार्यों का ध्यान रखती हैं।

मुगदर एक्सरसाइज के फायदे कंधे की मजबूती में

इंडियन क्लब ट्रेनिंग करने से कंधे मजबूत होते है और उनमें लचीलापन आता है। बेसबॉल, मार्शल आर्ट और टेनिस जैसे खेलों में लचीले कंधे की आवश्यकता होती है, जिसमें इंडियन क्लब ट्रेनिंग एक्सरसाइज आपकी मदद कर सकती है। यदि आप कंधे का दर्द और अकड़न से परेशान है तो मुगदर एक्सरसाइज इसमें आपकी सहायता करती है।

मुगदर व्यायाम के लाभ

मुगदर व्यायाम के लाभ आपको पहलवानों जैसी ताकत दिलाने में मदद कर सकते है। मुगदर व्यायाम को भारत में प्राचीन समय से किया जा रहा है, उस समय शरीर बनाने के लिए आज जैसी आधुनिक जिम की मशीन नहीं होती थी।

चंदगी राम “हिन्द केसरी”, दारा सिंह  “रुस्तम-ए-हिंद” और गामा पहलवान “रुस्तम-ए-ज़माना” जैसे पहलवान लोग पहले अखाड़े में मुगदर व्यायाम का अभ्यास करते है। मुगदर या मुदगल व्यायाम को आज “इंडियन क्लब ट्रेनिंग (Indian Club Training)” के नाम से जाना जाता है।

आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए पलक झपकाएं

अपनी आँखों को स्वस्थ रखने के लिए आँखों की पलकों को बार बार झपकाना आवश्यक होता हैं, यह एक बहुत ही सरल एक्सरसाइज हैं। कंप्यूटर, मोबाइल और टीवी आदि को लम्बे समय तक प्रयोग करते समय हम अपनी आँखों की पलकों को झपकाना भूल जाते हैं।

आँखों को स्वस्थ रखने के लिए आप किसी स्थान पर आराम से बैठ जाएं।
अपनी आँखों को खुला रखें।
अब 10 बार अपनी आँखों को जल्दी जल्दी से झपकाएं।
इसके बाद आप अपनी साँस को सामान्य रखें और 20 सेकंड का आराम करें।
उसके बाद फिर से इस व्यायाम को करें।
इसे आपको 5 बार करना हैं।
 

गुर्दे की समस्यायों लिए करें योग

आज के आधुनिक जीवनशैली के कारण लोगों को कई तरह की बीमारियाँ, जैसे- डाइबीटिज, हाई ब्लड-प्रेशर, हर्ट डिजीज आदि हो रहे हैं जिसके कारण किडनी के ऊपर बहुत बूरा प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए किडनी की बीमारी आज तेजी से बढ़ रही हैं। इस रोग का पता पहले अवस्था में ही नहीं चलता है, इसलिए किडनी को स्वस्थ रखना बहुत ज़रूरी हो जाता है।गुर्दे( Kidney) को नुकसान में कई चरणो में वर्गीकृत किया जाता है। योग केवल प्रारंभिक चरण मे मददगार होना पाया जाता है।

फोकस को बदलकर आँखों की एक्सरसाइज करें

अपनी आँखों की रोशनी बढ़ाने वाली एक्सरसाइज को करने में आप फोकस बदलने का व्यायाम करें।

  • इसे करने के लिए आप सबसे पहले अपनी उंगली को कुछ इंच की दूरी पर रखें।
  • फिर अपनी उंगली पर ध्यान केंद्रित करें।
  • अब इस उंगली पर अपना ध्यान केंद्रित करे हुए धीरे-धीरे अपनी उंगली को अपने चेहरे से दूर ले जाएं।
  • कुछ सेकंड इस दूरी पर ही उंगली पर फोकस रखें।
  • फिर अपनी उंगली पर ध्यान केंद्रित करे हुए, धीरे-धीरे अपनी आंख की ओर वापस लाएं।
  • अब किसी दूरी में स्थित चीज़ पर ध्यान केंद्रित करें।
  • इस क्रिया को तीन बार दोहराएं।

आंखों के लिए एक्सरसाइज करने के फायदे

आई की रोशनी बढ़ाने के लिए व्यायाम करने से आपको निम्न नेत्र रोग संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।