क्या योग इस्लाम विरोधी है?

इस्लाम मतलब आप किस इस्लाम कि बात कर रहे है? ज़्यादातर मुस्लमान जिस हन्नाफी इस्लाम का अमल करते है उसके हिसाब से योग इस्लाम विरोधी नही है।

यदि आप वहाब्बी इस्लाम कि बात करतें हैं तो ज़िंदगी में जो चिज़े सब लोग करते है उस में से 80–90% चिज़े जैसे गाना गाना, फिल्में देखना, बिना हिजाब घर से बाहर निकलना, टी वी देखना वैगैरा सब इस्लाम विरोधी है। फिर योग तो दुर कि बात है।


योग शब्द यूजिर योगे से बना है जिसका अर्थ है जोड़ना

योग’ और ‘मेडिटेशन’ के बीच क्या अंतर है?

योग एक सम्पूर्ण प्रक्रिया व प्रणाली है जबकि मेडिटेशन या ध्यान महज एक भाग है अष्टांगिक योग प्रणाली का।

योग का अर्थ है - “मिलन”। जीव की समष्टिगत चेतना का व्यष्टिगत चेतना से एकाकार होना ही योग है।

पातंजल योगसूत्र के अनुसार - “योगश्चित्तवृत्ति निरोधः” —

अर्थात, चित्त की समस्त वृत्तियों यथा - प्रमाण-विपर्यय-विकल्प-निद्रा और स्मृति रूप समस्त वृत्तियों का पूरी तरह से निरुद्ध हो जाना ही योग है।

योग समाधि को भी कहते हैं क्योंकि यह ‘योग’ शब्द “युज् समाधौ” से निष्पन्न होता है, ना कि “युजिर् योगे” संयोग अर्थ वाली युजिर धातु से।

दुनिया को क्यों है योग की ज़रूरत

आधुनिक युग ने मनुष्य को इतना प्रायौगिक बना दिया है कि वह हर चीज़ को वैज्ञानिक दृष्टि से परखने की कोशिश करता है। अगर उसका मस्तिष्क उस बात को मान लेता है तो वह उसे अपने जीवन में उतारने की कोशिश करता है। अगर ऐसा नहीं हो पाता तो वह अपने मस्तिष्क का इस्तेमाल करके वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हुए उसका हल निकालने का प्रयत्न करता है। विज्ञान के कामयाब सफर ने आज मनुष्य की जिंदगी को आसान और खुबसूरत बना दिया है। यही वजह है कि आज जीवन के हर रंग और रूप में हर स्तर पर आपको विज्ञान की झलक देखने को मिल जाएगी। आज हम कह सकते हैं कि आज का युग वैज्ञानिक युग है। आज विज्ञान ने हर क्षेत्र में तेज़ी से विकास किया है।<

योग करें और किडनी को मजबूत बनाए

किडनी शरीर के मुख्य अंगों में से एक है। शरीर में किडनी का काम है रक्त में से पानी और बेकार पदार्थों को अलग करना। इसके अलावा शरीर में रसायन पदार्थों का संतुलन, लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी सहायता करता है। इसका एक और कार्य है विटामिन-डी का निर्माण करना, जो शरीर की हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है

कर्मयोग से तात्पर्य

“अनासक्त भाव से कर्म करना”। कर्म के सही स्वरूप का ज्ञान।

कर्मयोग दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘कर्म’ तथा ‘योग’ ।

कर्मयोग के सन्दर्भ ग्रन्थ – गीता, योगवाशिष्ठ एवं अन्य।

1. कर्मों का मनोदैहिक वर्गीकरण –

योग करते समय रहें सावधान... और बनें स्वास्थ्य

कहते हैं जहां भोग है वहां रोग है. जहां योग है वहां निरोग, लेकिन गलत योग रोगी बना सकता है. यानी योग करते समय सावधान रहें.

एक्सरसाइज करना अच्छी बात है. यह शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखती है. लेकिन अधकचरा ज्ञान कभी-कभी आपको बड़ी मुश्किल में डाल सकता है. 

इसलिए एक्सरसाइज करने से पहले कुछ बातें जरूर ध्यान कर लें. फिट रहने के कुछ खास मंत्र होते हैं जिन्हें आप अपनी दिनचर्या में यदि शामिल कर लें तो आप फिटनेस की ओर निरंतर बढ़ते चले जायेंगे.

प्रशिक्षक से सलाह ले

योग क्या है

पतंजलि योग-दर्शन में योग | योग-दर्शन में मोक्ष को अपनाने के लिये तत्वज्ञान पर अधिक बल दिया गया है। योग-दर्शन के अनुसार तत्वज्ञान की प्राप्ति तब तक नहीं हो सकती जब तक मनुष्य चित्त विकारों से परिपूर्ण है। अतः योग-दर्शन में चित्त की स्थिरता को प्राप्त करने के लिये तथा चित्तवृत्ति का निरोध करने के लिए योग-मार्ग की व्याख्या हुई है। योग-दर्शन में योग का अर्थ चित्तवृत्तियों का निरोध है। योग-दर्शन में राजयोग का विवेचन मिलता है। योग-मार्ग की आठ सीढ़ियाँ हैं। इसीलिये इसे अष्टांगयोग भी कहा जाता है।


यह अष्टांग-मार्ग इस प्रकार है

प्रेगनेंसी के समय में योगा

भले ही प्रेगनेंसी का समय बहुत ही तनावपूर्ण माना जाता हो, लेकिन उस अवस्‍था में आपको अपनी मन की शांति को बनाए रखना चाहिये। अगर तन और मन शांत रहेगा, तो यह स्‍ट्रेसफुल प्रोसेस भी बिल्‍कुल आसान हो जाएगा। इसके लिये जरुरी है कि प्रेगनेंसी के दौरान में योग आसन किया जाए, जिसको करने के पहले डॉक्‍टर की सलाह ले लें। योगा, चौथे महीने से ले कर प्रेगनेंसी के नवे महीने तक करने की सलाह दी जाती है। आइये जानते हैं कि प्रेनेंसी के दौरान कौन सा योगा करना फायदेमंद रहेगा।

दिमाग के लिए कुछ योगासन

दिनभर की थकान और तनाव के बाद कई बार हम छोटी छोटी चीजें भूल जाते हैं। लेकिन दिन में सिर्फ 10 मिनट योगा करने से इस परेशानी को भी दूर कर सकते हैं और अपनी याद्दाश्त मजबूत कर सकते हैं।

सर्वांगसन

कंधों के बल अपने शरीर को ऊपर की तरफ उठाने की यह मुद्रा दिमाग तक खून के बहाव को बढ़ाती है। यह योग आपको भावात्मक रूप से भी मजबूत बनाता है।

भुजंगासन

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।