निकला पेट अंदर करने का उपाय थ्रेड नीडल एक्सरसाइज
थ्रेड नीडल एक्सरसाइज महिलाओं के निकले हुए पेट को कम करने और पेट की चर्बी कम करने में मदद करता हैं। इसके अलावा यह व्यायाम कूल्हों, बट (butt) और आंतरिक जांघों को फैलाता है। अपने हैमस्ट्रिंग में लचीलापन बढ़ाने के लिए यह एक अच्छी एक्सरसाइज है। इस एक्सरसाइज को करने के लिए आप सबसे पहले एक एक्सरसाइज मैट को बिछा के उस पर सीधे लेट जाएं और अपने पैरों को घुटनों के यहाँ से मोड़ लें, दोनों हाथों को सीधा फर्श पर रखें। अब अपना दायं पैर को उठा के बाएं पैर के घुटने से थोड़ा ऊपर रख लें। फिर दोनों हाथों से बाएं पैर को पकड़ के अपनी ओर खींच लें। अपने सिर को दायं पैर की पिंडली से लगाने की कोशिश करें। पुनः यह पूरी प
महिलाएं इन एक्सरसाइज की मदद से पा सकती है फ्लैट पेट
पेट कम करने की एक्सरसाइज आज इंटरनेट पर सबसे अधिक खोजा जाने वाला प्रश्न हैं। महिलाओं के लिए सपाट पेट (फ्लैट बेली) बनाने के लिए कई तरह के एक्सरसाइज उपलब्ध है पेट की चर्बी कम करने और फिट टमी के लिए महिलाएं इन एक्सरसाइज को रोजाना कर सकती हैं। फ्लैट बेली महिलाओं के शारीरिक आकर्षण के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर माना जाता है। महिलाएं अपने सपाट पेट के लिए कई प्रकार के तरीके अपनाती है फिर भी वह निराश रहती है। आज के इस आर्टिकल में हम महिलाओं के लिए पेट कम करने की एक्सरसाइज बताने जा रहें जिससे महिलाएं अपने निकले हुए पेट अंदर को अन्दर कर सकती है।
पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए साँस लेने का व्यायाम
गहरी साँस लेना भी एक प्रकार का व्यायाम है जो आपके पाचन तंत्र को मजबूत करता है। यह एक आसान एक क्रिया है जिसे कहीं भी किया जा सकता है। उचित श्वास पैटर्न हार्टबर्न और सूजन जैसी समस्याओं में सहायता कर सकता है। गहरी साँस लेने से गला और ग्रसनी मुख्य रूप से लाभान्वित होते हैं, साथ में इससे आप पाचन तंत्र के कई हिस्सों में भी सुधार कर सकते हैं। यह व्यायाम पाचन की प्रक्रिया को अच्छे से बनाए रखने में मदद करता हैं। इसके लिए आपको बस इतना करना है कि सीधे बैठें और अपने पेट की मांसपेशियों का उपयोग करके धीरे-धीरे गहरी साँस को अंदर-बाहर लेने का अभ्यास करें। यह आपको आराम करने में मदद कर सकता है और इस तरह आप त
पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए साइकिलिंग एक्सरसाइज
पाचन तंत्र के सुचारू रूप से संचालन के लिए एक साइकिल की सवारी करना भी काफी प्रभावी है। साइकिलिंग ना केवल पेट की सेहत का ध्यान रखती है, बल्कि इससे पेट की चर्बी को भी कम करने में मदद मिलती है। पाचन तंत्र को मजबूत करने के लिए आप रोज कम से कम 10-15 मिनट के लिए साइकिलिंग एक्सरसाइज करें यह बहुत ही प्रभावी है। यह भोजन को बड़ी आंत के माध्यम से जल्दी से स्थानांतरित करने और मल में खो जाने वाले पानी की मात्रा को कम करने में सहायता करती है। इस प्रकार यह एक स्वस्थ पाचन वातावरण बनाता है।
स्वस्थ पाचन क्रिया के लिए पुशअप एक्सरसाइज
पुशअप एक्सरसाइज हमारे पाचन को मजबूत बनाने के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। पुशअप एक्सरसाइज में हम अपने हाथों के द्वारा बल का प्रयोग करके पेट की मांसपेशियों पर काम करते हैं। पाचन में सुधार के लिए यह काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस एक्सरसाइज को करने के लिए आप फर्श पर पेट के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों की हथेलियों को फर्श पर अपनी छाती के पास में रखें। अब दोनों हाथों और पैर की उंगलियों पर वजन डालते हुए शरीर को ऊपर करें और फिर से हाथ की कोहनी को मोड़ें और शरीर को नीचे करें। पुशअप एक्सरसाइज के आप 3 सेट पूरा करें। यदि आप अच्छे फॉर्म के साथ एक मानक पुशअप नहीं कर सकते हैं तो अपने घुटनों क
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योग करने से पहले क्या करे
किसी भी कार्य को करने से पहले उसकी कुछ तैयारियां जरूरी होती है | इसी प्रकार योग करने से पहले कुछ तैयारियां जरूरी होती है और सही समय का चुनाव योग के लिए उचित स्थान स्थान का साफ सुथरा होना संचित हवा का होना और योग के करने की जगह पर किसी भी प्रकार के चुगने वाले चीज नहीं होने चाहिए योग अगर प्रातः काल खुले में किया जाए तो यह सर्वोत्तम होता है अन्यथा आप अपने घर के अंदर भी साफ सुथरी जगह पर नियमित रूप से योग कर सकते हैं|
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किस रोग में कौन से योग आसन कारगर
मोटापा : वैसे तो मात्र आंजनेय आसन ही लाभयायक सिद्ध होगा लेकिन आप करना चाहे तो ये भी कर सकते हैं- वज्रासन, मण्डूकासन, उत्तानमण्डूसकासन, उत्तानकूर्मासन, उष्ट्रासन, चक्रासन, उत्तानपादासन, सर्वागांसन व धनुरासन, भुजंगासन, पवनमुक्तासन, कटिचक्रासन, कोणासन, उर्ध्वाहस्तोहत्तातनासन और पद्मासन।
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स्तन कैंसर में योगाभ्यास का महत्व
योग करना सामान्य मनुष्य के लिए तो स्वास्थ्यवर्धक है, और कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को योग के अभ्यास विधायक उर्जा से भर देते हैं | और स्तन कैंसर की महिलाओं के लिए योग के आसन इलाज के दौरान और इलाज के बाद भी अत्यंत जरूरी होते हैं|
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एसिडिटी से हैं परेशान तो इन योगासनों का करें नियमित अभ्यास
नियमित योग करने वाले कई बीमारियों से बचे रहते हैं. एसिडिटी भी उनमें से एक है. एसीडिटी आधुनिक जीवनशैली की वजह से होने वाली आम समस्या है. खाने-पीने में जरा भी अनियमितता हुई नहीं कि एसिडिटी गले पड़ गई. इससे बचने के लिए लोग कई तरह की औषधियों और दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं फिर भी परेशान रहते हैं.
एसीडिटी की समस्याओं से बचने के लिए अपनाएं ये आसान से योगासन-
मत्स्यासन
यह आसन मांसपेशियों के लिए बहुत लाभदायक है. इसके नियमित अभ्यास से एसिडिटी की समस्या से राहत मिलती है.
योग से गैस की दिक्कत को यूं करें गायब
पेट गैस को अधोवायु बोलते हैं। इसे पेट में रोकने से कई बीमारियां हो सकती हैं, जैसे एसिडिटी, कब्ज, पेटदर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, बेचैनी आदि। लंबे समय तक अधोवायु को रोके रखने से बवासीर भी हो सकती है। आयुर्वेद कहता है कि आगे जाकर इससे नपुंसकता और महिलाओं में यौन रोग होने की भी आशंका हो सकती है।
गैस बनने के लक्षण
पेट में दर्द, जलन, पेट से गैस पास होना, डकारें आना, छाती में जलन, अफारा। इसके अलावा, जी मिचलाना, खाना खाने के बाद पेट ज्यादा भारी लगना और खाना हजम न होना, भूख कम लगना, पेट भारी-भारी रहना और पेट साफ न होने जैसा महसूस होना।
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“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।