YOGA RIVER FLOW

 

Yoga river flow, at this beautiful place in #valledelcauca #colombia .
Yoga flow will show that not everything in the practice is perfect, a lot of things to work on and improve, especially on my weak side, but that is the beauty of the practice.
The challenges that bring on us.

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काम ऊर्जा से मुक्ति - ओशो

जब काम ऊर्जा वैसी नहीं बह रही जैसी बहनी चाहिए, तो यह बहुत सी समस्याएं पैदा करती है।

 

यदि काम ऊर्जा बिल्कुल सही बह रही है तब हर चीज सही गूंजेगी, हर चीज लयबद्ध रहती है। तब तुम सरलता से सुर में हो और एक किस्म का तारतम्य होगा। एक बार काम ऊर्जा कहीं अटक जाती है तो सारे शरीर पर प्रभाव होते हैं। और पहले वे दिमाग में आएंगे हैं, क्योंकि सेक्स और दिमाग विपरीत धुरी हैं। 

 

श्वास को विश्रांत करें - ओशो

जब भी आपको समय मिले, कुछ मिनटों के लिये अपनी श्वास-प्रक्रिया को शिथिल कर दें, और कुछ नहीं―पूरे शरीर को शिथिल करने की कोई आवश्यकता नहीं। रेलगाड़ी में बैठे हों या हवाई जहाज में, या फिर कार में, किसी को पता नहीं लगेगा की आप कुछ कर रहे हैं। बस अपनी श्वास-प्रक्रिया को शिथिल कर लें। जब यह सहज हो जाये तो इसे होने दें। तब आंखें बंद कर लें और इसे देखें- श्वास भीतर जा रही है, बाहर जा रही है, भीतर जा रही है...

प्राण मुद्रा

प्राण मुद्रा : कनिष्ठिका और अनामिका (सबसे छोटी तथा उसके पास वाली) उंगलियों के सिरों को अंगूठे के सिरे से मिलाने पर प्राण मुद्रा बनती है| शेष दो उंगलियां सीधी रहती हैं| प्राण मुद्रा एक अत्यधिक महत्वूर्ण मुद्रा है| रहस्यमय है जिसके संबंध में ऋषि-मुनियों ने अनन्तकाल तक तप, स्वाध्याय एवं आत्मसाधना करते हुए कई महत्वपूर्ण अनुसंधान किए हैं| इसका अभ्यास प्रारंभ करते ही मानो शरीर में प्राण शक्ति को तीव्रता से उत्पन्न करनेवाला डायनमो चलने लगता है| फिर ज्यों-ज्यों प्राण शक्ति रूपी बिजली शरीर की बैटरी को चार्ज करने लगता है, त्यों-त्यों चेतना का अनुभव होने लगता है| प्राण शक्ति का संचार करनेवाली इस मुद्र

पाचनतंत्र को मजबूत बनाने वाले योगासन

यदि पाचनतंत्र मजबूत हो तो शरीर स्वस्थ और मजबूत बना रहता है। पाचनतंत्र को मजबूत बनाने के कुछ योगासन हैं जिन्हें प्रतिदिन करने से पाचनतंत्र दुरुस्त बनता है और शरीर भी स्वस्थ और मजबूत होता है।

पाचनतंत्र के लिए योग

 

चिन्मय मुद्रा

विधि-
सर्वप्रथम वज्रासन / पद्मासन या सुखासन में बैठ जाइए।
अब तर्जनी उंगली के अग्र भाग को अंगूठे के अग्र भाग से स्पर्श कीजिए व बाकी तीन उंगलियों को मुट्ठी बाँधने की स्थिति में मोड़ लीजिए  ।
हाथों को घुटनो पर रखिए हथेलियों को आकाश की तरफ रखेंगे।
आँखे बंद रखते हुए श्वांस सामान्य बनाएँगे।
अपने मन को अपनी श्वांस गति पर केंद्रित रखिए।

लाभ-

प्रत्येक दिन कितना पैदल चलना चाहिऐ ?

स्वीडन की यूनिवर्सिटी ऑफ काल्मर में 14 रिसर्चर्स ने एक स्टडी में यह साबित किया है कि किस उम्र के व्यक्ति को कितने कदम रोज चलना चाहिए।

अगर उम्र के हिसाब से इतने कदम रोज चलें तो वजन कंट्रोल किया जा सकता है। वजन कंट्रोल में रहने से हार्ट डिजीज, डायबिटीज और हाई BP जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है। साथ ही और भी कई तरह के फायदे मिलते हैं।

इसी रिसर्च के आधार पर यहां हम आपको बता रहे हैं कि उम्र के हिसाब से दिनभर में किस व्यक्ति को कितने कदम रोज चलना चाहिए।

ओशो नाद ब्रह्म ध्यान

ओशो नाद ब्रह्म ध्‍यान नाद ब्रह्म एक प्राचीन तिब्‍बती विधि है जिसे सुबह ब्रह्ममुहूर्त में किया जाता रहा है। अब इसे दिन में किसी भी समय अकेले या अन्‍य लोगों के साथ किया जा सकता है। पेट खाली होना चाहिए और इस ध्‍यान के बाद पंद्रह मिनट तक विश्राम करना जरूरी है। यह ध्‍यान एक घंटे का है और इसके तीन चरण है।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।