शरीर की हर बीमारी का नाश कर सकने में सक्षम प्राणायाम:
9 महीने तक नियम से सुबह शाम आधा घंटा प्राणायाम को परहेजों के साथ करने से निश्चित रूप से हर खतरनाक से खतरनाक बीमारी में भी आराम मिलते देखा गया है !
प्राण स्वस्थ हो तो शरीर को कोई भी बीमारी छू नहीं सकती है !
सिर्फ एक मणिपूरक चक्र के ही जागने भर से शरीर के सभी रोगों का नाश होने लगता है जबकि भारतीय हिन्दू धर्म ग्रन्थों में बहुत से ऐसे अद्भुत योग, आसन व प्राणायाम का वर्णन है जो एक साथ कई चक्रों को जगाते हैं जिनसे पूरा शरीर ही एकदम स्वस्थ और दिव्य होने लगता है। सिर्फ योग, आसन व प्राणायाम कैसे, किसी भी मानव शरीर का बिना किसी मेकअप के, सही में कायाकल्प कर देते हैं !
प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए योग भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम तनाव और अवसाद को दूर कर आपकी प्रेगनेंसी की सम्भावना को बढ़ाता है। यह आपके दिमाग से किसी भी नकारात्मक भावनाओं को छोड़ने में मदद करता है और आपको शांत भी करता है। यदि आपको कंसीव करने में दिक्कत आ रही है तो आपको यह भ्रामरी योगासन को जरूर करना चाहिए।
સુપ્ત पादांगुष्ठासन
सुप्त पादांगुष्ठासन (સુપ્ત પાદંગુસ્થાસન), संस्कृत भाषा का शब्द है. આ ચાર શબ્દોથી મળીકર બનાવો. પહેલો शब्द सुप्त का अर्थ है लेटा हुआ या Reclined. બીજો શબ્દ છે પાદ, શબ્દોનો અર્થ છે પગ અથવા પગ.
तृतीय शब्द अंगुष्ठ का अर्थ है अंगूठा या बिग टो. આસન, કોઈ વિશેષ સ્થિતિ ઊભી થઈ, લેટને અથવા બેસીને કહ્યું. અંગ્રેજી ભાષામાં તે પોજ અથવા પોઝ કહે છે.
सुप्त पादांगुष्ठासन को अंग्रेजी में Reclined Hand to Big Toe Pose भी कहा जाता है। इस योगासन की रचना का श्रेय महान योग गुरु आचार्य बीकेएस आयंगर (B. K. S. આયંગર) को जाता है।
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સુત બંધકોણાસન
સુપ્ત बद्धकोणसन की विधि
શવાસનની મુદ્રામાં पीठના બલ લેટ જાઓ. આ સ્થિતિમાં હથેલની છતની દિશા જોઈએ.ઘુતનો કો મોડ અને તલવો કો ज़मीन से लगाकर रखें.દોણો તલવોને નમસ્કારની મુદ્રામાં એક બીજા નજીકના લાકર ज़मीन से देखे। મુદ્રામાં 30 સેકન્ડથી 1 મિનિટ સુધી બની ગયાં.હાથों से दो जंघा को दबाएं और धीर धीरे सामान्य स्थिति में आएं.
સુપ્ત બાંધકોણાસન કરવાની લાભ
હિપ્સ અને પેડુમાં તણાવ દૂર કરવા માટે આ શ્રેષ્ઠ કસરત હતી.
सुप्त बद्धकोणासन की सावधानी
સુપ્ત बद्धकोणासन का अभ्यास करते समय कुछ सावधानियों का भी ख्याल रखना चाहिए। ઘુટણમાં ક્યાંકલીફ થવા પર આસનનો અભ્યાસ ન કરવો જોઈએ.
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सुप्त भद्रासन
सुप्तभद्रासन: योग में वर्णित एक विशेष आसन। लेटते समय भद्रासन की मुद्रा के रूप में इसे सुप्तभद्रासन (सुप्त-भद्रा + आसन) નામ આપવામાં આવ્યું છે. मूल रूप से, આ આસનની શારીરિક મુદ્રા ભદ્રાસન સમાન નથી.
રીત
1. સૌથી પહેલા पीठ के बल લેટ જાઓ.
2. હવે पैरों को मोड़कर छाती पर ले आएं और पैरों के दोनों तलवों को आपस में मिला लें.
3. બંને હાથથી પગ એક સાથે પકડો અને જાંઘો વચ્ચે ખેંચો.
4. હવે તમારા શ્વાસને સામાન્ય રાખો અને 30 સેકન્ડ સુધી સ્થિર રહો.
5. ફરી આસન છોડી દો અને 30 સેકન્ડ માટે આરામ કરો.
. फिर आसन को दो बार और।
લાભ
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સુપ્ત વીરાસન
वीरासन का ही एक रूपांतर, सुप्त वीरासन सिरदर्द से साइटिका तक में सहायता मिल सकती है. इस आसन को अक्सर लोग नहीं करते हैं क्यूंकि इसे अध्ययन की शुरुआत में थोड़ी असहजता महसूस होती है। તેના પર અનગિનત લાભોની કારણથી તે તમારા યોગભ્યાસના નવા સ્તર સુધી પહોંચવા માટે દરવાઝા બની શકે છે.
सुप्त वीरासन की विधि जानें-
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સુત-વજ્રાસન
सुप्त का अर्थ था सोया हुआ अर्थात वज्रासन की स्थिति में सोया हुआ. આ આસનમાં पीठ के बल लेटना पड़ता है, આ આસનને સપ્ત-વજ્રાસન કહે છે, જ્યારે વજ્રાસન બેઠક કરી રહી છે. આ આસન વજ્રાસનનું વિસ્તૃત સ્વરૂપ છે. इस आसन को हलासन या कोई भी आगे की ओर किये जाने वाले आसनों के बाद. આ આસનમાં સ્વાધિષ્ઠાન ચક્ર, મેરુદંડ અને કમર ઉમેરવા પર ધ્યાન આપવું જોઈએ.
सुत-वज्रासन की विधि-
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સેતુબંધાસન
भूमि पर सीधे लेट जाइए। दोनों घुटनों को मोड़कर रखिए। कटिप्रदेश को ऊपर उठा कर दोनों हाथो को कोहनी के बल खड़े करके कमर के नीचे लगाइये। अब कटि को ऊपर स्थिति रखते हुए पैरों को सीधा किजिए। कंधे व सिर भूमि पर टिके रहें। इस स्थिति में 6-8 सेंकण्ड रहें। वापस आते समय नितम्ब एवं पैरों को धीरे-धीरे जमीन पर टेकिए। हाथो को एकदम कमर से नहीं हटाना चाहिये। शवासन में कुछ देर विश्राम करके पुनः अभ्यास को 4-6 बार दोहराएं।
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સ્કંદાસન
સ્કંદાસનની સાચી રીતથી તમારા પગની પીડાની ફરિયાદ દૂર કરો, જાને,,
કહો છો,महायोगी स्वामी सत्येन्द्र सत्य साहिब जी,,,
મુખ્ય વાત:-
સૌથી પહેલા તમારી સ્વર તપાસ લે, જે નાનકનો સ્વર ચાલતો હોય, ઉસી ભાગનું પગ આસનમાં તપાસો અને બીજા પગને મોઢે રાખો.
હવે રીત જા
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સ્વસ્તિકાસન
સ્વસ્તિકનો અર્થ શુભ છે. આ ધ્યાન માટે એક ઉમદા આસન છે. बहुत सारे शारीक एवं मानसिक परेशानियों से आपको बचाता है. તે તન અને મનમાં સંતુલન બનાવવા માટે ખૂબ જ ભૂમિકા નિભાતા છે. स्वस्तિકાસન જેમ સૌથી વધુ કિંમતની આ વાતથી સમજાવી શકાય છે કે યોગગ્રંથ હઠયોગ પ્રદીપિકા, घेरण्ड सिंता में बैठकर किये जाने वाले आसो का अगर जिक्र किया तो पहले स्वस्तिकासन का ही नाम है. ભગવાન आदि ને જીન ચાર આસનો સર્વોત્તમ નાથ છે ઉનામે થી એક સ્વસ્તિકાસન પણ છે.
સ્વસ્થિકાસન વિધી
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“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।