योग के आसन दूर कर सकते हैं डिप्रेशन
अक्सर किसी को खोने या जीवन में छोटी-बड़ी घटनाएं घटने से हम डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। कई बार हम लंबे समय तक इसे नजरंदाज करते रहते हैं। इस तरह ना तो हम प्रफेशनली अपना बेस्ट दे पाते हैं और न ही निजी जिंदगी में खुश रह पाते हैं। ऐसा माना गया है कि डिप्रेशन का इलाज योग में भी है। आइए जानें कि किस तरह दिनचर्या से कुछ वक्त निकालकर योग के जरिए हम डिप्रेशन को खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं-
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कमजोर याददाश्त से छुटकारा चाहिए तो करे भद्रासन
आप चाहकर भी आप बातों को याद नहीं रख पाते। यदि आपके साथ भी यह समस्या है तो रोजाना कुछ समय अपनी भागदौड़ भरी दिनचर्या में से थोड़ा वक्त निकालकर भद्रासन करें। कमजोर याददाश्त की समस्या धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी।
भद्रासन
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हाइट एवं परफेक्ट पर्सनालिटी बनाने के लिए ताड़ासन
परफेक्ट पर्सनालिटी पाने के लिये लंबी हाइट होनी बहुत जरुरी है। जिन लोगों की हाइट कम होती है वे लोग अपने पर्सनालिटी में कुछ कमी सी महसूस करते हैं। लंबाई कम होने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण रोल आनुवांशिक गुण अदा करते हैं। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपकी हाइट बढ जाए तो इसमें योग आपकी निश्चित रूप से सहायता कर सकता है। माना जाता है कि प्रोटिन युक्त भोजन करने से व नियमित रूप से दस मिनट ताडा़सन करने से हाइट बढती है। लेकिन यह आसन २३ साल की उम्र तक ही हाइट बढाने में मददगार है। ताड़ासन की खासियत यह है कि बच्चों की लंबाई निश्चित रूप से बढ़ती है
मन की शांति और सुकून के लिये करें सुखासन
अगर आप योगा करते हैं तो आपको पता होगा कि सुखासन करना कितना आसान होता है। जो लोग सुखासन करते हैं उनका मन एक दम शांत हो जाता है। चित्त की एकाग्रता से धारणा सिद्ध होती है। यह योग श्वास प्रश्वास और ध्यान पर आधारित है। यह योगा की सबसे आसान विधि है इसलिए इसे सुखासन के नाम से जानते हैं। इसको करने से घुटने 90 डिग्री मुडते हैं, जिससे उन्हें दर्द से आराम मिलता है। यह आसान प्रणायाम करने से पहले किया जाता है। सुखासन से पैरों का रक्त-संचार कम हो जाता है और अतिरिक्त रक्त अन्य अंगों की ओर संचारित होने लगता है जिससे उनमें क्रियाशीलता बढ़ती है। यह तनाव हटाकर चित्त को एकाग्र कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
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विपरीत करनी आसन से पाइये मां बनने का सुख
वे महिलाएं जिन्हें स्ट्रेस की वजह से बच्चा नहीं हो पा रहा है, उनके लिये विपरीत करनी मुद्रा बहुत ही फायदेमंद है। विपरीत करनी योग मुद्रा करने से मानसिक तनाव दूर होता है। इस करने में मन को शांति और मन स्थिर हो जाता है। इस योग मुद्रा को करते समय मन को शांत रखें और चाहें तो हल्का सा म्यूजिक चला लें। यह मुद्रा करने से शरीर का हार्मोन प्राकृतिक रूप से बैलेंस होता है। इसके अलावा भी पैरों में थकान एवं दर्द की स्थिति में इस योग से लाभ होता है। यह आसन रक्त संचार को सुचारू बनाता है। अनिद्रा सम्बनधी रोग में इस आसन का अभ्यास लाभकारी होता है। गर्दन और कंधों में मौजूद तनाव को दूर करने के लिए भी यह व
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खाना खाने के बाद वज्रासन करने के फायदे वजन कम करने में
पेट कम करने का सबसे अच्छा उपाय वज्रासन करना हो सकता है। प्रतिदिन खाना खाने के बाद वज्रासन करने से यह शरीर में पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से अवशोषित करता है। जिससे मेटाबोलिक रेट बढ़ने लगता है और इसकी वजह से शरीर में कैलोरी तेजी से नष्ट होती है। जिससे व्यक्ति की टमी भी फ्लैट रहती है।
भोजन के बाद वज्रासन करने के फायदे पाचन में
नियमित रूप से खाना खाने के बाद वज्रासन योग करना आपकी पाचन क्रिया में सुधार कर सकता है। आप जब इस योग को करते है तो पाचन अंगों की वैस्कुलेरिटी यानी ब्लड फ्लो बढ़ता है। यदि आप अपच या कब्ज आदि की समस्या से परेशान है तो रूप से इस योग को करें, इससे आपको राहत मिलेगी।
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कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन’ अर्थात कर्म योग
श्रीमद्भगवद्गीता में योग शब्द का प्रयोग व्यापक रूप में हुआ है | गीता के प्रत्येक अध्याय के नाम के साथ योग शब्द लगाया गया है जैसे ‘अर्जुन विषाद योग, सांख्य योग, कर्म योग, ज्ञान कर्म सन्यास योग आदि। एक विद्वान् के अनुसार गीता में इस शब्द उपयोग एक उद्देश्य़ से किया गया है। उन का कहना है कि जिस काल में गीता कही गयी थी, उस समय कर्म का अर्थ प्रायः यज्ञादि जैसे अनुष्ठानों के सन्दर्भ में किया जाता था। इसलिए गीता में कर्म के साथ योग शब्द जोड़ कर इसे अनुष्ठानों से अलग कर दिया। इस योग में कर्म को ईश्वर प्राप्ति का एक साधन बताया गया है। गीता में कर्म योग को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस के अनुसार कर्म के
सर्वाइकल के लिए योग : मकरासन
मकरासन में मकर का अर्थ है मगरमच्छ। यह आसन सर्वाइकल, स्पॉन्डिलाइटिस, कंधों और पीठ के दर्द के साथ-साथ तनाव को दूर करने में भी सहायक है। इसके साथ ही, इस आसन के और भी बहुत से फायदे हैं।
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एक हफ्ते में कितने दिन योगा करना है फायदेमंद? यहां पढ़ें योग से जुड़े कई सवालों के जवाब
योगा संस्कृत के युज शब्द से बना है। इसका अर्थ होता है जोड़ना। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार और धारण, ध्यान और समाधि के संयोजन से वाह्य जगत से अंतर्मुखी होने की पद्धति है योग। योग करने वाले को योगी कहा जाता है। प्राचीन महर्षियों ने अनुशासित जीवन और निरोगी काया को ध्यान में रखकर योग के बारे में बताया था। आज विश्व के अधिकांश हिस्सों में रोगमुक्त होने और स्वस्थ रहने के लिए लोग योगासनों का निरंतर अभ्यास कर रहे हैं। योग एक विज्ञान है। इसे ठीक तरह से समझे बिना इसका अभ्यास करना नुकसानदेह भी हो सकता है। इसलिए अक्सर इसे विशेषज्ञों की देख-रेख में ही करने की सलाह दी जाती है। जब भी कोई योग शुरू क
“योग विज्ञान है” – ओशो
योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है।
जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।
नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।