अपान मुद्रा बेनिफिट्स इन हिंदी
प्राण, अपान और अपानवायु मुद्रा
मुद्राओं का जीवन में बहुत महत्व है। मुद्रा दो तरह की होती है पहली जिसे आसन के रूप में किया जाता है और दूसरी हस्त मुद्राएँ होती है। मुद्राओं से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ प्राप्त किया जा सकता है। यहाँ प्रस्तुत है प्राण, अपान और अपानवायु मुद्रा की विधि और लाभ।
प्राण मुद्रा : छोटी अँगुली (चींटी या कनिष्ठा) और अनामिका (सूर्य अँगुली) दोनों को अँगूठे से स्पर्श करो। इस स्थिति में बाकी छूट गई अँगुलियों को सीधा रखने से अंग्रेजी का 'वी' बनता है।
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वरुण मुद्रा
वरुण मुद्रा जल की कमी से होने वाले सभी तरह के रोगों से बचाती है। इस मुद्रा का आप कभी भी और कहीं भी अभ्यास कर सकते हैं। छोटी या चीठी अँगुली के सिरे को अँगूठे के सिरे से स्पर्श करते हुए दबाएँ। बाकी की तीन अँगुलियों को सीधा करके रखें। इसे वरुण मुद्रा कहते हैं। यह शरीर के जल तत्व के संतुलन को बनाए रखती है। आँत्रशोथ तथा स्नायु के दर्द और संकोचन को रोकती है। तीस दिनों के लिए पाँच से तीस मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास करने से यह मुद्रा अत्यधिक पसीना आने और त्वचा रोग के इलाज में सहायक सिद्ध हो सकती है। यह खून शुद्ध कर उसके सुचारु संचालन में लाभदायक है। शरीर को लचीला
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