अपान वायु मुद्रा के फायदे
अपान मुद्रा
विधि-
सर्वप्रथम वज्रासन / पद्मासन या सुखासन में बैठ जाइए।
अब मध्यमा और अनामिका उंगली को आपस में मिलाकर अंगूठे के अग्र भाग से स्पर्श कीजिए ।अन्य दो उंगलियों को सीधा रखिए।
हाथों को घुटनो पर रखिए हथेलियों को आकाश की तरफ रखेंगे।
आँखे बंद रखते हुए श्वांस सामान्य बनाएँगे।
अपने मन को अपनी श्वांस गति पर केंद्रित रखिए।
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वायु मुद्रा
सर्वप्रथम वज्रासन / पद्मासन या सुखासन में बैठ जाइए। हाथ की तर्जनी उंगली के अग्र भाग को अंगूठे की जड़ में स्पर्श कीजिए और बाकी तीन उंगलियों को सीधा रखिए आँखे बंद रखते हुए श्वांस सामान्य बनाएँगे। यह वायु के असंतुलन से होने वाले सभी रोगों से बचाती है। दो माह तक लगातार इसका अभ्यास करने से वायु विकार दूर हो जाता है। सामान्य तौर पर इस मुद्रा को कुछ देर तक बार-बार करने से वायु विकार संबंधी समस्या की गंभीरता 12 से 24 घंटे में दूर हो जाती है।
अपने मन को अपनी श्वांस गति पर केंद्रित रखिए।
कुछ देर इसी स्थिति में बैठिए
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