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आसन

अधोमुख श्वानासन के फायदे –

अधोमुख श्वानासन एक सर्वोत्तम योग मुद्रा मानी जाती है। इस योग मुद्रा का अभ्यास करने से स्वास्थ्य को कई फायदे होते हैं एवं शरीर से विभिन्न विकार दूर हो जाते हैं। आइये जानते हैं अधोमुख श्वानासन के फायदे क्या हैं।

अधोमुख श्वानासन के जैसे अन्य आसन

अधोमुख श्वानासन की तरह कुछ अन्य आसन है जिनका प्रतिदिन अभ्यास करने से अधोमुख श्वानासन की तरह की लाभ मिलता है और ये आसन भी स्वास्थ्य को ठीक रखनें एवं शरीर से कई विकारों को दूर करने में फायदेमंद होते हैं।

तड़ासन (Mountain pose)
बालासन (Child’s pose)
उत्तानासन (Forward-Bending pose)
 

अधोमुख श्वानासन करने का तरीका

सबसे पहले जमीन पर एकदम सीधे खड़े हो जाएंं और उसके बाद दोनों हाथों को आगे करते हुए नीचे जमीन की ओर झुक जाएं।
झुकते समय आपके घुटने सीधे होने चाहिए और कूल्हों(hips) के ठीक नीचे होने चाहिए जबकि आपके दोनों हाथ कंधे के बराबर नहीं बल्कि इससे थोड़ा सा पहले झुका होना चाहिए।
अपने हाथों की हथेलियों को झुकी हुई अवस्था में ही आगे की ओर फैलाएं और उंगलियां समानांतर रखें।
श्वास छोड़ें और अपने घुटनों को अधोमुख श्वानासन मुद्रा के लिए हल्का सा धनुष के आकार में मो़ड़े और एड़ियों को जमीन से ऊपर उठाएं।

अधोमुख श्वानासन के फायदे और करने का तरीका

अधोमुख श्वानासन के फायदे और करने का तरीका, अधोमुख श्वानासन संस्कृत का शब्द है जहां अधो का अर्थ आगे (forward), मुख का अर्थ चेहरा (Face) श्वान का अर्थ कुत्ता (Dog) और आसन का अर्थ मुद्रा(posture) है। इस आसन को अधोमुख श्वानासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस आसन को करते समय ठीक वैसे ही आकृति (pose) बनायी जाती है जैसे श्वान आगे की ओर झुककर अपने शरीर को खींचते समय बनाता है। अधोमुख श्वानासन सूर्य नमस्कार का एक आवश्यक हिस्सा है और यह पूरे शरीर को मजबूत बनाने के साथ ही मांसपेशियों को लचीला बनाने में मदद करता है। अधोमुख श्वानासन कंधों में अकड़न से छुटकारा दिलाने और रीढ़ की हड्डी (spine) को बढ़ाने और पैर

सेतुबंधासन करते समय सावधानियां

अन्य योग मुद्रा की तरह सेतु बंधासन करने से भी फायदों के साथ इसका नुकसान भी हो सकता है। इसलिए इस आसन का अभ्यास करने से पहले सावधानी बरतना जरूरी होता है।
प्रेगनेंट महिलाएं सेतु बंधासन कर सकती हैं लेकिन उन्हें योगा एक्पर्ट की देखरेख में ही यह आसन करना चाहिए।
यदि आपके घुटनों में गंभीर दर्द हो तो इस आसन को न करें।
सेतु बंधासन का अभ्यास करते समय अपने सिर को दाएं और बाएं घुमाने से बचें।
यदि आपके गर्दन, पीठ, कंधे एवं कमर में चोट लगी हो तो सेतु बंधासन का अभ्यास न करें।

सेतुबंधासन के लाभ मासिक धर्म में

माना जाता है कि सेतु बंधासन स्त्रियों में मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को दूर करने में बहुत सहायक होता है। यह अधिक उम्र की स्त्रियों में मेनोपॉज के लक्षणों को दूर करने में प्रभावी रूप से कार्य करता है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह आसन अच्छा माना जाता है।

अच्छे पाचन में सेतुबंधासन के फायदे

सेतुबंधासन पाचन अंगो (digestive organs)  विशेषरूप से कोलन का मसाज करने का काम करता है इसलिए इस आसन का प्रतिदिन अभ्यास करने से पाचन क्रिया ठीक रहती है।

सेतुबंधासन के फायदे थॉयराइड की समस्या में

सेतुबंधासन करते समय फेफड़े खुलते हैं और इस कारण थॉयराइड से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। इस आसन को करने से नितंब मजबूत होते हैं और थके हुए पैरों को भी राहत मिलती है। इसके अलावा यह अर्थराइटिस को दूर करने में भी मदद करता है।

सेतुबंधासन के फायदे डिप्रेशन दूर करने में

इस आसन का प्रतिदिन और सही तरीके से अभ्यास करने से डिप्रेशन, स्ट्रेस और चिंता दूर हो जाती है और व्यक्ति का मस्तिष्क शांत रहता है। मन को शांत रखने के लिए सेतु बंधासन काफी लोकप्रिय आसन माना जाता है। माइग्रेन की समस्या को दूर करने में भी यह आसन बहुत सहायक होता है।

मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सेतुबंधासन के फायदे

सेतु बंधासन करने से पीठ की मांसपेशियां लचीली (flexible) और मजबूत होती हैं। यह मांसपेशियों में खिंचाव (stretch) उत्पन्न करता है और मांसपेशियों में तनाव से राहत प्रदान करने में मदद करता है। इसके अलावा यह आसन रीढ़ की हड्डी, सीने(chest) और गर्दन में खिंचाव उत्पन्न कर उन्हें टोन करने का काम करता है।