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ऊर्जा का मात्रक होता है

काम ऊर्जा से मुक्ति - ओशो

जब काम ऊर्जा वैसी नहीं बह रही जैसी बहनी चाहिए, तो यह बहुत सी समस्याएं पैदा करती है।

 

यदि काम ऊर्जा बिल्कुल सही बह रही है तब हर चीज सही गूंजेगी, हर चीज लयबद्ध रहती है। तब तुम सरलता से सुर में हो और एक किस्म का तारतम्य होगा। एक बार काम ऊर्जा कहीं अटक जाती है तो सारे शरीर पर प्रभाव होते हैं। और पहले वे दिमाग में आएंगे हैं, क्योंकि सेक्स और दिमाग विपरीत धुरी हैं।