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ओशो ध्यान योग

ध्यान : स्टॉप! - ओशो

जैसे ही कुछ करने की वृत्ति हो, रुक जाओ।

 

तुम कहीं भी इसका प्रयोग कर सकते हो। तुम स्नान कर रहे हो; अचानक अपने को कहो: स्टॉप! अगर एक क्षण के लिए भी यह एकाएक रुकना घटित हो जाए तो तुम अपने भीतर कुछ भिन्न बात घटित होते पाओगे। तब तुम अपने केंद्र पर फेंक दिए जाओगे। और तब सब कुछ ठहर जाएगा। तुम्हारा शरीर तो पूरी तरह रुकेगा ही, तुम्हारा मन भी गति करना बंद कर देगा।

 

ध्यान : श्वास : सबसे गहरा मंत्र - ओशो

श्वास भीतर जाती है, इसका आपके प्राणों में पूरा बोध हो कि श्वास भीतर जा रही है। श्वास बाहर जाती है, इसका भी आपके प्राणों में पूरा बोध हो कि श्वास बाहर जा रही है। और आप पाएंगे कि एक गहन शांति उतर आई है। यदि आप श्वास को भीतर जाते हुए और बाहर जाते हुए, भीतर जाते हुए और बाहर जाते हुए देख सकें, तो यह अभी तक खोजे गए मंत्रों में से सबसे गहरा मंत्र है।