पश्चिमोत्तानासन
મત્સ્યેન્દ્રાસન
નાથ સંપ્રદાયમાં થઈ ગયેલા સમર્થ યોગી શ્રી મત્સ્યેન્દ્રનાથજીએ આ આસન સિદ્ધ કરી એનો પ્રચાર કર્યો હોવાથી એમના નામ પરથી આ આસન મત્સ્યેન્દ્રાસન તરીકે પ્રસિદ્ધ થયું છે. ઘેરંડ સંહિતમાં મત્સ્યેનદ્રાસન વિશે નીચે પ્રમાણે ઉલ્લેખ કરવામાં આવ્યો છે.
अथ मत्स्येन्द्रासनम् ।
उदरं पश्चिमाभासं कृत्वा तिष्ठति यत्नतः ।
नम्राङ्गं वामपादं हि दक्षजानूपरि न्यसेत् ॥२२॥
तत्र याम्यं कूर्परञ्च याम्यकरे च वक्त्रकम् ।
भ्रुवोर्मध्ये गता दृष्टिः पीठं मात्स्येन्द्रमुच्यते ॥२३॥
હઠયોગ પ્રદીપિકામાં મત્સ્યેન્દ્રાસન વિશે નીચે પ્રમાણે ઉલ્લેખ જોવા મળે છે.
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मत्स्येन्द्रासन
मत्स्येन्द्रासन की रचना गोरखनाथ के गुरु स्वामी मत्स्येन्द्रनाथ ने की थी।
विधि-सर्वप्रथम बैठने की स्थिति में आइए अब दायें पैर को घुटने से मोड़कर एड़ी गुदाद्वार के नीचे ले जाइए ।
बायें पैर के पंजे को दायें पैर के घुटने के पास बाहर की तरफ रखिए ।
अब दायें हाथ को बायें घुटने के बाहर से लाइए और बायें पैर के अंगूठे को पकडिए।
अब बायें हाथ को पीठ के पीछे से ले जाकर दायें जाँघ पर रखिए गर्दन को बायें और मोड़कर पीछे देखिए।
कुछ देर इसी स्थिति को रोकिए धीरे से वापिस आइए।
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Trikonasana
This asana helps to strengthen the muscles in the hip and chest region. It also helps to reduce lower back pain. Trikonasana is generally considered as a good warm-up exercise to improve general health.
How to do Trikonasana?
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त्रिकोणासन
त्रिकोण आसन का अभ्यास खड़ा रहकर किया जाता है.यह आसन पार्श्व कोणासन से मिलता जुलता है.इस योग से हिप्स, पैर, टखनों, पैरों और छाती का व्यायाम होता है.यह मु्द्रा कमर के लिए भी लाभप्रद है.इस मुद्रा का अभ्यास किस प्रकार करना चाहिए.इस मुद्रा की अवस्था क्या है एवं इससे क्या लाभ मिलता है आइये इसे देखें.
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