योग की कितनी अवस्था होती है
चित्त की सभी वृत्तियों को रोकने का नाम योग है
योग अनेक प्रकार के होते हैं। राजयोग , कर्मयोग ,हठयोग , लययोग , सांख्ययोग , ब्रह्मयोग , ज्ञान योग ,भक्ति योग , ध्यान योग , क्रिया योग , विवेक योग ,विभूति योग व प्रकृति - पुरुष योग , मंत्र योग , पुरुषोत्तमयोग , मोक्ष योग , राजाधिराज योग आदि। मगरयाज्ञवल्क्य ने जीवात्मा और परमात्मा के मेल को ही योगकहा है। वास्तव में योग एक ही प्रकार का होता है , दो याअनेक प्रकार का नहीं
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योग एक परिचय
योग भारतीय वैदिक परंपरा की अमूल्य देन है योग का प्रारंभिक ज्ञान वैदिक दर्शन से ही प्राप्त हुआ है ऋग्वेद में सर्वप्रथम योग संबंधी विचारधारा का उल्लेख मिलता है वेद भारतीय अध्यात्म दर्शन की के प्रेरणा स्रोत हैं वेदों में ही मानव मुक्ति हेतु योग दर्शन के ज्ञान का प्रादुर्भाव मिलता है
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मन और भावनाओं पर योग
जीवन में सकारात्मक विचारों का होना बहुत आवश्यक है. निराशात्मक विचार असफलता की ओर ले जाता है. योग से मन में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है. योग से आत्मिक बल प्राप्त होता है और मन से चिंता, विरोधाभास एवं निराशा की भावना दूर हो जाती है. मन को आत्मिक शांति एवं आराम मिलता है जिससे मन में प्रसन्नता एवं उत्साह का संचार होता है. इसका सीधा असर व्यक्तित्व एवं सेहत पर होता है.
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