योग के प्रकार
योग क्या है ? योग के 10 फायदे
योग शब्द संस्कृत की ‘युज’ धातु से बना है जिसका अर्थ है जोड़ना यानि शरीर,मन और आत्मा को एक सूत्र में जोड़ना |योग के महान ग्रन्थ पतंजलि योग दर्शन में योग के बारे में कहा गया है|
“ योगश्च चित्तवृत्ति निरोध : “ l
यानि मन की वृत्तियों पर नियंत्रण करना ही योग है l
गीता में कहा गया है – योग: कर्मसु कौशलम l
यानि कर्मों में कौशल या दक्षता ही योग है।
योग के 10 फायदे / Benefits of Yoga in Hindi
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योग क्या है
पतंजलि योग-दर्शन में योग | योग-दर्शन में मोक्ष को अपनाने के लिये तत्वज्ञान पर अधिक बल दिया गया है। योग-दर्शन के अनुसार तत्वज्ञान की प्राप्ति तब तक नहीं हो सकती जब तक मनुष्य चित्त विकारों से परिपूर्ण है। अतः योग-दर्शन में चित्त की स्थिरता को प्राप्त करने के लिये तथा चित्तवृत्ति का निरोध करने के लिए योग-मार्ग की व्याख्या हुई है। योग-दर्शन में योग का अर्थ चित्तवृत्तियों का निरोध है। योग-दर्शन में राजयोग का विवेचन मिलता है। योग-मार्ग की आठ सीढ़ियाँ हैं। इसीलिये इसे अष्टांगयोग भी कहा जाता है।
यह अष्टांग-मार्ग इस प्रकार है
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योग क्या है योगासनों के गुण एवं योगाभ्यास के लिए आवश्यक बातें
चित्तवृत्तियों का निरोध ही योग है।
(मृत्यु) दु:ख से छूटने और (अमृत) आनन्द प्राप्त करने का साधन (योग) ईश्वर उपासना करना है।
योग शब्दों के बारे में भाष्यकारों के अपने-अपने मत हैं। कुछ भाष्यकारों ने योग शब्द को ‘वियोग’, ‘उद्योग’ और ‘संयोग’ के अर्थों में लिया है, तो कुछ लोगों का कहना है कि योग आत्मा और प्रकृति के वियोग का नाम है। कुछ कहते हैं कि यह एक विशेष उद्योग अथवा यत्न का नाम है,
योग की परिभाषा
योग संतुलित तरीके से एक व्यक्ति में निहित शक्ति में सुधार या उसका विकास करने का शास्त्र है। यह पूर्ण आत्मानुभूति पाने के लिए इच्छुक मनुष्यों के लिए साधन उपलब्ध कराता है। संस्कृत शब्द योग का शाब्दिक अर्थ 'योक' है। अतः योग को भगवान की सार्वभौमिक भावना के साथ व्यक्तिगत आत्मा को एकजुट करने के एक साधन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। महर्षि पतंजलि के अनुसार, योग मन के संशोधनों का दमन है।
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योगअभ्यास के लिए सामान्य दिशानिर्देश
योगाभ्यास करते समय योग के अभ्यासी को नीचे दिए गए दिशा निर्देशों एवं सिद्धांतों का पालन अवश्य करना चाहिए :
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