Full body yoga and stretching

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तितली आसन करने में सावधानी

अगर घुटनों में किसी प्रकार की चोट या दर्द हो तो यह आसन ना करें।
यदि आपको साइटिका या पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो तो तितली आसान ना करें।
इस आसन को करते समय पैरों को ज्यादा जोर से नहीं हिलाएं। जितना हो सके उतना ही करे| अभ्यास करते रहने से धीरे धीरे आपके पैर अच्छे से मुड़ने लगेंगे|
ऊपर आपने जाना तितली आसन के फायदे Titli Asana in Hindi यदि आप भी उपरोक्त लाभ चाहते है तो तितली आसन का अभ्यास जरूर करे| योग शरीर व मन का विकास करता है| इसके अनेक शारीरिक और मानसिक लाभ हैं

तितली आसन का सरल रूपांतर

तितली आसन को आसान बनाने के लिए पैरों को शरीर के कम करीब लायें।
अगर घुटनों में दर्द महसूस हो, या जो महिलायें गर्भावस्था में हो, उन्हे घुटनों के नीचे एक तौलिया या कंबल गोल करके रख लेना चाहिए।
यदि आपके पीठ के निचले हिस्से में तकलीफ है तो रीढ़ की हड्डी सीधी रखकर ही यह मुद्रा करें
 

तितली आसन के फायदे (लाभ)

शरीर लचीला बनाये: जाँघो,कटि प्रदेश व् घुटनो का अच्छा खिंचाव होने से श्रोणि व् कूल्हों में लचीलापन बढ़ता है।

मांसपेशियों का खिचाव करें कम: तितली आसन करने से अंदरूनी जांघ की मांसपेशियों में बहुत खिचाव होता है, जो इस आसन से ख़त्म हो जाता है।

पैरो की थकान दूर करेलम्बे समय तक खड़े रहने व् चलने की वजह से होने वाले थकान को मिटाता है।

मासिक धर्म में दिलाये आराम: मासिक धर्म के दौरान होने वाली असुविधा व् रजोनिवृति के लक्षणों से आराम।

तितली आसन करने का तरीका

पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएँ,रीढ़ की हड्डी सीधी रहे।
घुटनो को मोड़ें और दोनों पैरों को श्रोणि की ओर लाएँ,पाँव के तलवे एक दुसरे को छूते हुए।
दोनों हाथों से अपने दोनों पाँव को कस कर पकड़ लें। सहारे के लिए अपने हाथों को पाँव के नीचे रख सकते हैं।
एड़ी को जननांगों के जितना करीब हो सके लाने का प्रयास करें।
लेकिन हां यह करते वक्त ध्यान रहे कि हाथ सीधे रहें और शरीर भी पूरी तरह सीधा होना चाहिए|
ऐसा इसलिए करना चाहिए ताकि रीढ़ की हड्डी सीधी हो जाए|
लंबी,गहरी साँस ले, साँस छोड़ते हुए घुटनो व् जांघो को फर्श की ओर दबाएँ।

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।