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चित्त का प्रदूषण : ओशो

"इस बात का ध्यान रखो कि तुम्हारे मन में क्या जा रहाहै। लोग बेखबर हैं; वे सब कुछ और कुछ भी पढ़े चले जाते हैं, टी वी पर कोई भी मूर्खतापूण बात देखे चले जाते हैं, कोई भी मूर्खतापूर्ण बात किए चले जाते हैं और एक-दूसरे के सिर में कचरा डाले चले जाते हैं।

ऐसी परिस्थिति को टालो जिसमें तुम बेवजह के कचरे से भर दिए जाते हो। तुम्हारे पास पहले ही बहुत साराहै। तुम्हें उससे हल्का होने की जरूरतहै!

सिर्फ आवश्यक बातें सुनो और करो, और धीरे-धीरे तुम शुद्धता की एक सफाई देखोगे, ऐसे जैसे कि तुमने अभी-अभी स्नान लियाहै, तुम्हारे भीतर संकल्प पैदा होने लगेगा। वह ध्यान के विकसित होने के लिए आवश्यक मिट्टी बनेगा। यदि तुम अपने मन में कुछ अंतराल खाली छोड़ देते हो, वे चेतना के खाली क्षण ध्यान की झलकें बन जाएंगे, उस पार की पहली झलक, अ-मन की पहली चमक।"

ओशो