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प्राणायाम के प्रकार

प्राणायाम के द्वारा रोगों का उपचार

प्राणायम योग की एक महत्वपूर्ण क्रिया है जिसमे हम अपने शरीर के पाचनतंत्र को सुद्रिड करके समस्त हैं अंदरूनी बिमारियों से मुक्ति पा सकते हैं ! जैसा कि सर्बविधित है की हमारा सरीर पञ्च तत्वों से बना है ! जो कि समय के साथ-साथ बनते टूटते रहते हैं ! उन तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए हम खाना खाते हैं, पानी की पूर्ती के लिए पानी पीते हैं, और आक्सीजन की पूर्ती के लिए साँस लेते हैं तथा बेकार हुए तत्वों को बिभिन्न रास्तों से सरीर से बाहर किया जाता है ! इस भोजन,पानी को ग्रहण करने से लेकर अनुपयोगी तत्वों को सरीर से बाहर करने तक की क्रियाओं को उपापचय क्रिया कहते हैं !

प्राणायाम के लाभ एवं महत्व

हमारे शरीर में जितनेही चेष्टाएँ होती है उन सभी का प्राण से प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। प्रणायाम से इन्द्रियों एवं मन के दोष्  दूर होते है।

प्राणायाम से मिलने वाले समस्त सामान्य लाभ

  1. भस्त्रिका प्राणायाम: ष्श्वास को यथाषक्ति फेफड़ो में पूरा भरना एवं बाहर छोड़ना। यह प्राणायाम एक से पाँच मिनट तक किया जा सकता है। लाभ: सर्दी, जुकाम, श्वास रोग, नजला, साइनस, कमजोरी, सिरदर्द व स्नायु रोग दूर होते है। फेफड़े एवं हृदय स्वस्थ होता है।
  1. कपालभाति प्राणायाम: ष्श्वास को यथाषक्ति बाहर छोड़कर पूरा ध्यान श्वास को बाहर छोड़ने में होना चाहिए। भीतर श्वास जितना अपने आप जाता है उतना जाने देना चाहिए। श्वास जब बाहर छोड़ंेगे तो स्वाभाविक रूप से पेट अन्दर आयेगा। यह प्राणायाम यथाशक्ति पाँच मिनट तक प्रतिदिन खाली पेट करना चाहिए।

लाभ: मस्त