योग
योग में पाँच सर्वश्रेष्ठ बैठने की अवस्थाएँ/स्थितियाँ हैं
योग में पाँच सर्वश्रेष्ठ बैठने की अवस्थाएँ/स्थितियाँ हैं :
सुखासन - सुखपूर्वक (आलथी-पालथी मार कर बैठना)।
सिद्धासन - निपुण, दक्ष, विशेषज्ञ की भाँति बैठना।
वज्रासन - एडियों पर बैठना।
अर्ध पद्मासन - आधे कमल की भाँति बैठना।
पद्मासन - कमल की भाँति बैठना।
ध्यान लगाने और प्राणायाम के लिये सभी उपयुक्त बैठने की अवस्थाओं के होने पर भी यह निश्चित कर लेना जरूरी है कि :
शरीर का ऊपरी भाग सीधा और तना हुआ है।
सिर, गर्दन और पीठ एक सीध में, पंक्ति में हैं।
कंधों और पेट की मांसपेशियों में तनाव न हो।
हाथ घुटनों पर रखें हैं।
ਯਾਮਾ ਯੋਗਾ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਭਾਗ ਹੈ
ਇਹ ਸਾਡੇ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਸੰਭਾਲ ਰਿਹਾ ਹੈ. ਯਕੀਨਨ ਇਹ ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਮੁ natureਲਾ ਸੁਭਾਅ ਵੀ ਹੈ. ਯਮ ਦੁਆਰਾ ਮਨ ਨੂੰ ਮਜਬੂਤ ਅਤੇ ਸ਼ੁੱਧ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ. ਮਾਨਸਿਕ ਤਾਕਤ ਵੱਧਦੀ ਹੈ. ਇਹ ਆਪਣੇ ਵਿਚ ਦ੍ਰਿੜਤਾ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵੱਲ ਅਗਵਾਈ ਕਰਦਾ ਹੈ.
ਇੱਥੇ ਪੰਜ ਕਿਸਮਾਂ ਦੀਆਂ ਯਮ ਹਨ - (1) ਅਹਿੰਸਾ, (2) ਸੱਤਿਆ, (3) ਅਸਟਯਾ, (4) ਬ੍ਰਹਮਾਚਾਰੀਆ ਅਤੇ (5) ਅਪਰਿਗ੍ਰਹਿ
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'यम' है योग का प्रथम अंग
यह हम सब को संभाले हुए है। निश्चित ही यह मनुष्य का मूल स्वभाव भी है। यम से मन मजबूत और पवित्र होता है। मानसिक शक्ति बढ़ती है। इससे संकल्प और स्वयं के प्रति आस्था का विकास होता है।
यम के पाँच प्रकार हैं- (1) अहिंसा, (2) सत्य, (3) अस्तेय, (4) ब्रह्मचर्य और (5) अपरिग्रह
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ਜੇ waterਰਜਾ ਪਾਣੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਇਹ ਯੋਗਾ ਆਸਣ ਕਰੋ
ਯੋਗਾ ਤੁਹਾਡੇ ਸਰੀਰ, ਮਨ ਅਤੇ ਆਤਮਾ ਨੂੰ ਇਕੱਠਾ ਕਰਨ ਲਈ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ. ਇਹ ਇੱਕ ਰੂਹਾਨੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹੈ. ਇਹ ਸਰੀਰ ਨੂੰ energyਰਜਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸਰੀਰ ਅਤੇ ਆਤਮਾ ਦਾ ਮਿਲਾਪ. ਯੋਗਾ ਨਾ ਸਿਰਫ ਤਣਾਅ ਨੂੰ ਘਟਾਉਂਦਾ ਹੈ, ਬਲਕਿ ਭਾਰ ਘਟਾਉਣ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਕਈ ਹੋਰ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦੇ ਇਲਾਜ ਲਈ ਵੀ ਇਹ ਅਸਰਦਾਰ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ.
ਬਾਲਸਨ
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अगर एनर्जी पानी है, तो कीजिए ये योग मुद्राएं
योगा आपके शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम करता है। ये एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और शरीर और आत्मा का मिलन होता है। योगा से तनाव तो कम होता ही है, साथ ही ये वजन कम करने से लेकर कई अन्य बीमारियों के इलाज में कारगर साबित होता है।
बालासन
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योगा करें और पायें निरोग आंखें
आखों के योग अपनाकर आजीवन अपनी दृष्टि को मजबूत बना सकते हैं। निश्चित अंतराल के बाद आखों की रोशनी अपने-आप कम हो जाती है। आखों के आसपास की मांसपेशियां अपने लचीलेपन को समाप्त कर देती हैं और कठोर हो जाती हैं। लेकिन अगर आखों के आस-पास की मासपेशिया मजबूत हों तो आखों की रोशनी बढ़ती है। आखों और दिमाग के बीच एक गहरा संबंध होता है। दिमाग की 40 प्रतिशत क्षमता आखों की रोशनी पर निर्भर होती है। जब हम अपनी आखों को बंद करते हैं तो दिमाग को अपने-आप आराम मिलता है। दुनिया की कुल आबादी की 35 प्रतिशत जनसंख्या निकट दृष्टि दोष और दूरदृष्टि दोष (हाइपरमेट्रोपिया) से ग्रस्त है जिसकी वजह से लोग मोटे-मोटे चश्मों का प्र
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पेट, कमर और पीठ के लिए करें योगा
यदि आपका पेट थुलथुल हो रहा है, कमर मोटी हो चली है या पीठ दुखती रहती है, तो योग की यह हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें। इस एक्सरसाइज के नियमित अभ्यास करते रहने से निश्चितरूप से जहां पेट फ्लैट हो जाएगा वहीं कमर भी छरहरी हो जाएगी।
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डायबिटीज और तोंद को कंट्रोल करे कुर्मासन योग
कुर्म का अर्थ होता है कछुआ। इस आसन को करते वक्त व्यक्ति की आकृति कछुए के समान बन जाती है इसीलिए इसे कुर्मासन कहते हैं।
कुर्मासन की विधि : सबसे पहले आप वज्रासन में बैठ जाएं। फिर अपनी कोहनियों को नाभि के दोनों ओर लगाकर हथेलियों को मिलाकर ऊपर की ओर सीधा रखें।
इसके बाद श्वास बाहर निकालते हुए सामने झुकिए और ठोड़ी को भूमि पर टिका दें। इस दौरान दृष्टि सामने रखें और हथेलियों को ठोड़ी या गालों से स्पर्श करके रखें। कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद श्वास लेते हुए वापस आएं।
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योगासन एवं आसन के मुख्य प्रकार
चित्त को स्थिर रखने वाले तथा सुख देने वाले बैठने के प्रकार को आसन कहते हैं। आसन अनेक प्रकार के माने गए हैं। योग में यम और नियम के बाद आसन का तीसरा स्थान है।
आसन का उद्येश्य : आसनों का मुख्य उद्देश्य शरीर के मल का नाश करना है। शरीर से मल या दूषित विकारों के नष्ट हो जाने से शरीर व मन में स्थिरता का अविर्भाव होता है। शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। अत: शरीर के स्वस्थ रहने पर मन और आत्मा में संतोष मिलता है।
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योग से रोग और शोक का निदान
।।ॐ।।योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:।।ॐ।।
योग से चित्त वृत्तियों का निरोध किया जा सकता है। चित्त में ही रोग और शोक उत्पन्न होते हैं जो शरीर, मन और मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त कर देते हैं। सदा खुश और हंसमुख रहना जीवन की सबसे बड़ी सफलता होती है।
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