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योग

पीलिया को दूर करने के लिए योग कपालभाति प्राणायाम

प्राणायाम एक साँस लेने का व्यायाम है जो यकृत के सिरोसिस, पीलिया, हेपेटाइटिस और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के यकृत के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। कपालभाति प्राणायाम योग जो यकृत को उत्तेजित करता है और विभिन्न प्रकार की यकृत समस्याओं का प्रभावी ढंग से इलाज करता है। यह प्लीहा की कार्यक्षमता में भी मदद करता है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछाकर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखे और ध्यान की मुद्रा में बैठे। साँस अन्दर को ओर ले अब साँस को बाहर छोड़ते हुए पेट को अन्दर की ओर इस प्रकार खींचे की पेट और पीठ आपस में मिल जाएं।

निम्न रक्तचाप के लिए योग भस्त्रिका प्राणायाम

निम्न रक्तचाप से पीड़ित लोगों के लिए भस्त्रिका प्राणायाम एक प्रभावी श्वास योग है। इसके अभ्यास से शरीर को सभी विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। फेफड़े मजबूत बनते हैं और आप भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करके शरीर को ऑक्सीजन की प्रचुर आपूर्ति प्राप्त करते हैं। योग करने से पहले इसका अभ्यास करें। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछा के पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अपनी आँखों को बंद कर लें और अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। कुछ देर ध्यान की मुद्रा में बैठे और तर्जनी को अंगूठे से मिलाएं।

बालों को उगाने के लिए योग कपालभाति प्राणायाम

कपालभाति प्राणायाम योग आपके बालों को फिर से उगाने में मदद कर सकता है। कपालभाति प्राणायाम पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण की समस्या का मुकाबला करता है और बालों के विकास में मदद करता है। इस योग को करने से आपके पेट की पाचन क्रिया स्वस्थ रहती है जो वजन कम करने और मधुमेह में मदद करती है। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले एक योगा मैट को जमीन पर बिछाकर पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखे और ध्यान की मुद्रा में बैठे। साँस अन्दर को ओर ले, अब साँस को बाहर छोड़ते हुए पेट को अन्दर की ओर इस प्रकार खींचे की पेट और पीठ आपस में मिल जाएं। फिर साँस को अन्दर ले ओर पेट को ढीला करें। य

पेट की चर्बी कम करने के लिए प्राणायाम में करें धनुरासन योग

धनुरासन योग बेली फैट को कम करने में बहुत ही फायदेमंद होता है। इस आसन को करने के लिए एक योगा मैट को जमीन पर बिछा के उस पर पेट के बल लेट जाएं। अब अपने अपने दोनों हाथों शरीर के समान्तर रखें, अब अपने दोनों पैरों को पीछे की घुटनों के यहाँ से मोड़े।

अपने हाथों को पीछे की ओर ले जाएं और दोनों पैरों को दोनों हाथों से पकड़ लें। इस आसन में कम से कम 20 से 30 सेकंड तक रुकने का प्रयास करें। अंत में दोनों हाथों को खोल के अपनी प्रारंभिक स्थिति में आयें।

दमा से राहत दिलाए योग व प्राणायाम

दमा की यह कहावत अब पुरानी हो चुकी है कि दमा दम लेकर ही दूर होता है। दमा को श्वास रोग कहते हैं। दमा के रोगियों में सांस नली चौड़ी होने के बजाय सिकुड़ जाती है। सांस नली में पड़ी कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर नहीं निकल पाती है और रोगी को बलपूर्वक एवं कठिनाई से उसे निकालने का प्रयास करना पड़ता है। परन्तु योग ने यह सिद्ध कर दिया है कि उन्हें भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। दमे के रोगियों के लिए कुछ खास योगों में गोमुखासन और सूर्यभेदी प्राणायाम अत्यन्त लाभदायक है।
गोमुखासन

प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए योग भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम तनाव और अवसाद को दूर कर आपकी प्रेगनेंसी की सम्‍भावना को बढ़ाता है। यह आपके दिमाग से किसी भी नकारात्मक भावनाओं को छोड़ने में मदद करता है और आपको शांत भी करता है। यदि आपको कंसीव करने में द‍िक्‍कत आ रही है तो आपको यह भ्रामरी योगासन को जरूर करना चाहिए।

थायराइड की समस्या और योग उपचार

 थायराइड मानव शरीर मे पाए जाने वाले एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है। थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। और इसका आकार तितली जैसा होता है। यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है।

* यह ग्रंथि शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है यानि जो भोजन हम खाते हैं यह उसे उर्जा में बदलने का काम करती है। इसके अलावा यह हृदय, मांसपेशियों, हड्डियों व कोलेस्ट्रोल को भी प्रभावित करती है।

बुजुर्गों के लिए योगासन की जरूरत?

कहा जाता है कि हम जिस वातावरण में रहते हैं उसका हमारी सेहत पर प्रभाव पड़ता है, इसलिए प्रकृति के बीच में रहने के साथ मित्रता अच्छे लोगों के साथ करनी चाहिए। वहीं उनकी अच्छी आदतों को अपनाना चाहिए। जैसा कि हम सब जानते और देखते आ रहे हैं कि, उम्र के बढ़ने के साथ-साथ डायबिटीज, दिल की बीमारी, अल्जाइमर आदि कई क्रॉनिक बीमारियां लग जाती हैं। बुजुर्गों में ब्लड प्रेशर की दिक्कत और रक्त प्रवाह में असंतुलन आदि भी हो जाता है। ऐसे में उनके लिए सुरक्षित योगासन का अभ्यास करके उनके शरीर को फिट रखा जा सकता है और एजिंग के साथ होने वाली बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। योगासन करने से आपके फेफड़े सही रहते हैं

बुजुर्गों के लिए आसान योगासन त्रिकोणासन

त्रिकोणासन काफी प्रभावशाली और आसान योगासन है, जिसे बुजुर्ग आसानी से कर सकते हैं। बुजुर्गों के लिए योगासन में यह आसन इसलिए भी शामिल किया गया है, क्योंकि यह उनमें आमतौर पर होने वाली कूल्हों की दिक्कत और दर्द को दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह ब्लड प्रेशर को सामान्य रखता है। इसे करने के लिए अपने पैरों को कंधों के जितना खोलकर आराम से खड़े हो जाएं। अब दाएं पंजे को थोड़ा बाहर की तरफ ले जाएं और बाएं पंजे को अंदर की तरफ करें। अब दोनों हाथों को दोनों तरफ कंधे की सीध में फैला लें। इसके बाद गहरी सांस लें और फिर सांस बाहर छोड़ते हुए सिर और कमर को सामान्य रखते हुए कूल्हों की तरफ से दाई तरफ झुके