वरुण मुद्रा

वरुण मुद्रा जल की कमी से होने वाले सभी तरह के रोगों से बचाती है। इस मुद्रा का आप कभी भी और कहीं भी अभ्यास कर सकते हैं।  छोटी या चीठी अँगुली के सिरे को अँगूठे के सिरे से स्पर्श करते हुए दबाएँ। बाकी की तीन अँगुलियों को सीधा करके रखें। इसे वरुण मुद्रा कहते हैं।  यह शरीर के जल तत्व के संतुलन को बनाए रखती है। आँत्रशोथ तथा स्नायु के दर्द और संकोचन को रोकती है। तीस दिनों के लिए पाँच से तीस मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास करने से यह मुद्रा अत्यधिक पसीना आने और त्वचा रोग के इलाज में सहायक सिद्ध हो सकती है। यह खून शुद्ध कर उसके सुचारु संचालन में लाभदायक है। शरीर को लचीला

सुखासन

सुखासन : ध्यान के लिए सुखासन महत्वपूर्ण आसन है। पद्‍मासन के लिए यह आसन विकल्प‌ हैं।

आसन के लाभ

सुखासन करने से साधक या रोगी का चित्त शांत होता है। पद्‍मासन के लिए यह आसन विकल्प‌ हैं। इससे चित्त एकाग्र होता है। चित्त की एकाग्रता से धारणा सिद्ध होती है। सुखासन से पैरों का रक्त-संचार कम हो जाता है और अतिरिक्त रक्त अन्य अंगों की ओर संचारित होने लगता है जिससे उनमें क्रियाशीलता बढ़ती है। यह तनाव हटाकर चित्त को एकाग्र कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। छाती और पैर मजबूत बनते हैं। वीर्य रक्षा में भी मदद मिलती है।

उत्तानासन

पादहस्तासन के फायदे -
पादहस्तासन के अनेक फायदे होते हैं। यह दिखने में तो एक सरल सा आसन लगता है किंतु यह आपके शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करता है।
1.    मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव व हल्के डिप्रेशन में राहत देने में मदद करता है।
2.    जिगर और गुर्दों के बेहतर कार्य पद्धति में मदद करता है।
3.    हैमस्ट्रिंग, पिंडली, और कूल्हों में ज़रूरी खिचाव पैदा करता है।
4.    जांघों को मज़बूत करता है।
5.    पाचन में सुधार लाता है।
6.    रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के लक्षण को कम करने में मदद करता है।

సర్వాంగాసనము

సర్వాంగాసనము (సంస్కృతం: सर्वाङ्गसन) యోగాలో ఒక విధమైన ఆసనము. శరీరంలోని అన్ని అంగాలకు ఉపయోగపడే ఆసనం కాబట్టి దీనికి సర్వాంగాసనమని పేరు వచ్చింది.

સિદ્ધાસન

સૌપ્રથમ જમીન પર બેસી ડાબા પગને ઢીંચણથી વાળી એ પગની પાનીને સીટની નીચે રાખવી. અને જમણો પગ વાળી એ પગની પાનીને લિંગના મૂળમાં રાખવી. પછી જમણા પગના પંજાને ડાબા પગની પીડી અને સાથળ વચ્ચે ભરાવી દેવો. આસનમાં કરોડ અને કમર સીધાં એક રેખામાં રાખવા. બંને પંજાને ઢીંચણ પર ચત્તા મૂકી જ્ઞાન મુદ્રા કરવી. દ્રષ્ટિ ભ્રમરની મધ્યમાં સ્થિર કરવી. પાંચ મિનીટથી શરૂઆત કરી સમય વધારતાં વધારતાં ત્રણ કલાક સુધી સિદ્ધાસનમાં બેસી શકાય. અગત્યની વાત સમય કરતાં આસનમાં સ્થિરતા અને એકાગ્રતાથી બેસવાની છે.

 

ઉત્તાનપાદાસન

ઉત્તાનપાદાસન : ઉત્તાનપાદાસન એટલે ઉત્તાન + પાદ. ઉત્તાન શબ્દનો અર્થ થાય છે ઉઠાવવું અને પાદ એટલે પગ. ઉત્તાનપાદાસનમાં પગને ઉઠાવવામાં આવે છે.  તેથી આ આસનને ઉત્તાનપાદાસન કહેવામાં આવે છે. આ આસનને દ્વિપાદાસન પણ કહેવામાં આવે છે.

મૂળ સ્થિતિ : સ્વચ્છ આસન પર સીધા સૂઈ જાઓ.

પદ્ધતિ :

মণ্ডূকাসন

মণ্ডূকাসন

যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। মণ্ডূক-এর সমার্থ হলো-ব্যাঙ ব্যাঙের মতো উপবেশন ভঙ্গি অনুসারে এই আসনের নামকরণ করা হয়েছে মণ্ডূকাসন (মণ্ডূক + আসন)।

बद्ध पद्मासन

पद्मासन का अर्थ और उसके करने का तरीका : “पद्म” अर्थात् कमल। जब यह आसन किया जाता है, उस समय वह कमल के समान दिखाई पड़ता है। इसलिए इसे ‘पद्मासन’ नाम दिया गया है। यह आसन “कमलासन’ के नाम से भी जाना जाता है। ध्यान एवं जाप के लिए इस आसन का मुख्य स्थान होता है। यह आसन पुरुषों और स्त्रियों दोनों के लिए अनुकूल 

“योग विज्ञान है” – ओशो

 योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग का इस्लाम, हिंदू, जैन या ईसाई से कोई संबंध नहीं है। 

जिन्हें हम धर्म कहते हैं वे विश्वासों के साथी हैं। योग विश्वासों का नहीं है, जीवन सत्य की दिशा में किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों की सूत्रवत प्रणाली है। इसलिए पहली बात मैं आपसे कहना चाहूंगा वह यह कि  योग विज्ञान है, विश्वास नहीं। योग की अनुभूति के लिए किसी तरह की श्रद्धा आवश्यक नहीं है। योग के प्रयोग के लिए किसी तरह के अंधेपन की कोई जरूरत नहीं है।

नास्तिक भी योग के प्रयोग में उसी तरह प्रवेश पा सकता है जैसे आस्तिक। योग नास्तिक-आस्तिक की भी चिंता नहीं करता है। विज्ञान आपकी धारणाओं पर निर्भर नहीं होता; विपरीत, विज्ञान के कारण आपको अपनी धारणाएं परिवर्तित करनी पड़ती हैं। कोई विज्ञान आपसे किसी प्रकार के बिलीफ, किसी तरह की मान्यता की अपेक्षा नहीं करता है। विज्ञान सिर्फ प्रयोग की, एक्सपेरिमेंट की अपेक्षा करता है।