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उत्तान पादासन

उत्तान पादासन

मानव शरीर के लिए योग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका सम्बंध शरीर के अंगों, अन्तःकरण और आत्मा से है। योग के द्वारा हम शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्त हो जाते हैं और हम शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं। हमारी बौद्धिक शक्ति भी तीव्र होती है। योग के कारण कई लोगों का जीवन तनाव मुक्त हो गया है। योग के कारण कई लोग आज ख़ुशहाल और समृद्ध जीवन जी रहे हैं। आप भी योग को अपने जीवन में अपनाएं। तो आइए ऐसे ही एक आसान उत्तानपादासन के करने की विधि को सीखते हैं –

उत्तान पादासन करने की विधि -

सर्वप्रथम सीधे चित पीठ के बल लेट जाइए।  हाथों को शरीर के बिल्कुल बराबर में रख लीजिए। हथेलियाँ ज़मीन की तरफ रखेंगे।
अब दोनो पैरों को साँस लेते हुए धीरे धीरे उपर उठाइए (60 डिग्री का कोण बनाते हुए ) 5-7 सेकेंड रोकिएअब साँस निकलते हुए धीरे धीरे पैरों को वापिस लाइए इस अभ्यास को 4-5 बार दोहरा सकते हैं।

उत्तान पादासन करने की सावधानी- 

कमर दर्द व स्लिप डिस्क के रोगी इस अभ्यास को न करें।

उत्तान पादासन करने की लाभ- 

  1. पेट की चर्बी को कम करता  है ।
  2. पाचन क्रिया ठीक रखता है। 
  3. नाभि को अपनी जगह संतुलित रखता है। 
  4. क़ब्ज़ में काफ़ी लाभदायक है। 
  5. शुगर के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है।

Comments

Anand Wed, 21/Apr/2021 - 15:27

पीठ के बल लेट जायें। हथेलियां भूमि की ओर, पैर सीधे, पंजे मिले हुए हो। अब श्वास अन्दर भरकर पैरों को 1 फुट तक (करीब 30 डिग्री तक) धीरे-धीरे ऊपर उठाये, कुछ समय तक इसी स्थिति में बने रहे। वापस आते समय धीरे-धीरे पैरों को नीचे भूमि पर टिकायें, झटके के साथ नहीं। कुछ आराम कर फिर यह क्रिया कीजिए। इसे 3 - 6 बार करना चाहिये। जिनको कमर में अधिक दर्द रहता हो, वे एक - एक पैर से क्रमशः इस अभ्यास को करें।

लाभ

यह आसन आँतों को सबल एवं निरोग बनाता है तथा कब्ज, गैस, मोटापा आदि को दूर कर जठराग्नि को प्रदीप्त करता है। नाभि का टलना, ह्रदयरोग, पेटदर्द एवं श्वासरोग में भी उपयोगी है। एक-एक पैर से क्रमशः करने पर कमर दर्द में विशेष लाभप्रद है।