योग
ਜੇ ਤੁਸੀਂ ਐਸਿਡਿਟੀ ਤੋਂ ਪ੍ਰੇਸ਼ਾਨ ਹੋ, ਤਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਯੋਗਾਸ਼ਾਂ ਦਾ ਨਿਯਮਿਤ ਅਭਿਆਸ ਕਰੋ
ਜੋ ਨਿਯਮਿਤ ਯੋਗਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਉਹ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਤੋਂ ਬਚ ਜਾਂਦੇ ਹਨ. ਐਸਿਡਿਟੀ ਵੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਹੈ. ਐਸਿਡਿਟੀ ਆਧੁਨਿਕ ਜੀਵਨ ਸ਼ੈਲੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਆਮ ਸਮੱਸਿਆ ਹੈ. ਖਾਣ-ਪੀਣ ਵਿਚ ਕੋਈ ਮਾਮੂਲੀ ਬੇਨਿਯਮੀ ਨਹੀਂ ਹੋਈ ਕਿ ਐਸਿਡਿਟੀ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕੀਤੀ ਗਈ. ਲੋਕ ਇਸ ਤੋਂ ਬਚਣ ਲਈ ਕਈ ਕਿਸਮਾਂ ਦੀਆਂ ਦਵਾਈਆਂ ਅਤੇ ਦਵਾਈਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਫਿਰ ਵੀ ਉਹ ਪ੍ਰੇਸ਼ਾਨ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ.
ਐਸਿਡਿਟੀ ਦੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਤੋਂ ਬਚਣ ਲਈ, ਇਸ ਯੋਗ ਯੋਗ ਅਭਿਆਸ ਨੂੰ ਅਪਣਾਓ-
ਮਾਤਸਿਆਸਨ
ਇਹ ਆਸਣ ਮਾਸਪੇਸ਼ੀਆਂ ਲਈ ਬਹੁਤ ਫਾਇਦੇਮੰਦ ਹੈ. ਇਸ ਦੇ ਨਿਯਮਤ ਅਭਿਆਸ ਨਾਲ ਐਸਿਡਿਟੀ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਮਿਲਦਾ ਹੈ.
एसिडिटी से हैं परेशान तो इन योगासनों का करें नियमित अभ्यास
नियमित योग करने वाले कई बीमारियों से बचे रहते हैं. एसिडिटी भी उनमें से एक है. एसीडिटी आधुनिक जीवनशैली की वजह से होने वाली आम समस्या है. खाने-पीने में जरा भी अनियमितता हुई नहीं कि एसिडिटी गले पड़ गई. इससे बचने के लिए लोग कई तरह की औषधियों और दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं फिर भी परेशान रहते हैं.
एसीडिटी की समस्याओं से बचने के लिए अपनाएं ये आसान से योगासन-
मत्स्यासन
यह आसन मांसपेशियों के लिए बहुत लाभदायक है. इसके नियमित अभ्यास से एसिडिटी की समस्या से राहत मिलती है.
योग से गैस की दिक्कत को यूं करें गायब
पेट गैस को अधोवायु बोलते हैं। इसे पेट में रोकने से कई बीमारियां हो सकती हैं, जैसे एसिडिटी, कब्ज, पेटदर्द, सिरदर्द, जी मिचलाना, बेचैनी आदि। लंबे समय तक अधोवायु को रोके रखने से बवासीर भी हो सकती है। आयुर्वेद कहता है कि आगे जाकर इससे नपुंसकता और महिलाओं में यौन रोग होने की भी आशंका हो सकती है।
गैस बनने के लक्षण
पेट में दर्द, जलन, पेट से गैस पास होना, डकारें आना, छाती में जलन, अफारा। इसके अलावा, जी मिचलाना, खाना खाने के बाद पेट ज्यादा भारी लगना और खाना हजम न होना, भूख कम लगना, पेट भारी-भारी रहना और पेट साफ न होने जैसा महसूस होना।
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योग का महत्व
यह प्रमाणित तथ्य हैं की योग मुद्रा, ध्यान और योग में श्वसन की विशेष क्रियाओं द्वारा तनाव से राहत मिलती है, योग मन को विभिन्न विषयों से हटाकर स्थिरता प्रदान करता है और कार्य विशेष में मन को स्थिर करने में सहायक होता है.
हम मनुष्य किसी चीज़ की ओर तभी आकर्षित होते हैं जब उनसे हमें लाभ मिलता है. जिस तरह से योग के प्रति हमलोग आकर्षित हो रहे हैं वह इस बात का संकेत हैं कि योग के कई फायदे हैं. योग को न केवल हमारे शरीर को बल्कि मन और आत्मिक बल को सुदृढ़ और संतुष्टि प्रदान करता है. दैनिक जीवन में भी योग के कई फायदे हैं, आइये! इनसे परिचय करें.
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प्राणायाम के द्वारा रोगों का उपचार
प्राणायम योग की एक महत्वपूर्ण क्रिया है जिसमे हम अपने शरीर के पाचनतंत्र को सुद्रिड करके समस्त हैं अंदरूनी बिमारियों से मुक्ति पा सकते हैं ! जैसा कि सर्बविधित है की हमारा सरीर पञ्च तत्वों से बना है ! जो कि समय के साथ-साथ बनते टूटते रहते हैं ! उन तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए हम खाना खाते हैं, पानी की पूर्ती के लिए पानी पीते हैं, और आक्सीजन की पूर्ती के लिए साँस लेते हैं तथा बेकार हुए तत्वों को बिभिन्न रास्तों से सरीर से बाहर किया जाता है ! इस भोजन,पानी को ग्रहण करने से लेकर अनुपयोगी तत्वों को सरीर से बाहर करने तक की क्रियाओं को उपापचय क्रिया कहते हैं !
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प्राणायाम का रहस्य व महत्व
कछुए की साँस लेने और छोड़ने की गति इनसानों से कहीं अधिक दीर्घ है। व्हेल मछली की उम्र का राज भी यही है। बड़ और पीपल के वृक्ष की आयु का राज भी यही है। वायु को योग में प्राण कहते हैं।
प्राचीन ऋषि वायु के इस रहस्य को समझते थे तभी तो वे कुंभक लगाकर हिमालय की गुफा में वर्षों तक बैठे रहते थे। श्वास को लेने और छोड़ने के दरमियान घंटों का समय प्राणायाम के अभ्यास से ही संभव हो पाता है।
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पीठ दर्द को जड़ से खतम करे मार्जारी आसन
मार्जारी आसन एक बहुत ही सरल आसन है जो कि खासतौर पर रीढ़ को लचीला बनाने के लिये किया जाता है। रीढ़ हमारे शरीर का स्तंभ होता है, अगर यह ठीक नहीं रहेगा तो आप ठीक से काम नहीं कर पाएंगे। मार्जारी आसन करने में बहुत ही आसान है। अगर आपको पीठ दर्द रहता है तो आप के लिये यह मार्जारी आसन बहुत लाभकारी होगा। पीठ दर्द की वजह से शरीर के अन्य भाग जैसे, कंधों में दर्द, मांसपेशियों में लोच की कमी, वजन का घटना, गर्दन में दर्द, कमजोरी और कभी-कभी सिरदर्द की भी शिकायत हो सकती है। मार्जारी आसन महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभदायक है। गर्भावस्था के दौरान पहले तीन महीने तक मार्जारी आसन का अभ्यास किया जा सकता है। यह
नाभि का टलना दूर करता है सुप्तवज्रासन
सुप्त का अर्थ होता है सोया हुआ अर्थात वज्रासन की स्थिति में सोया हुआ। इस आसन में पीठ के बल लेटना पड़ता है, इसिलिए इस आसन को सुप्त-वज्रासन कहते है, जबकि वज्रासन बैठकर किया जाता है
विधिः
१. वज्रासन में बैठकर हाथों को पाश्व भाग में रखकर उनकी सहायता से शरीर को पीछे झुकाते हुए भूमि पर सर को टिका दीजिये। घुटने मिले हुए हों तथा भूमि पर ठीके हुए हों।
२. धीरे-धीरे कंधो,ग्रीवा एवं पीठ को भूमि पर टिकाने का प्रयत्न कीजिये। हाथों को जंघाओं पर सीधा रखे।
३. आसन को छोड़ते समय कोहनियों एवं हाथों का सहारा लेते हुये वज्रासन में बैठ जाइए।
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हरिकासन पेट की समस्या के लिए रामबाण
असंतुलित खाना और असंयमित दिनचर्या पेट से जुड़ी हर समस्या की मुख्य वजह है। कब्ज, गैस व एसीडिटी पेट से जुड़ी कुछ ऐसी प्राब्लम्स हैं जो हर उम्र के लोगों में देखी जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए योग सबसे अच्छा और आसान तरीका है। हरिकासन के लिए थोड़ा समय निकाले आपको यह आसन हमेशा के लिए इस समस्या से निजात दिला सकता है। पेट साफ रखने के लिए हरिकासन काफी फायदेमंद है। इस आसन को पद्मासन की ही तरह खाने के बाद भी किया जा सकता है। हरिकासन प्रार्थना व ध्यान के लिए भी लाभकारी है। इस आसन में काफी समय तक बैठा जा सकता है। इसलिए अधिकांश ऋषि-मुनि, योगी आदि इस आसन की मुद्रा में ही बैठते थे।
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ब्रेस्ट साइज बढ़ाना चाहती हैं, तो आज से शुरू कर दें गोमुखासन
योग ब्रेस्ट साइज बढ़ाने के लिए काफी सही उपचार है। इससे किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है। ऐसे में गोमुखासन करने से आपको फर्क जरूर दिखेगा।